दिनों दिन बीमारियों का खतरा बढ़ रहा है, जिससे शरीर का बचाव करने के लिए एंटीबायोटिक का प्रयोग किया जाता है। शरीर को फिट रखने और लंबी उम्र (herbs for longevity) तक स्वस्थ रहने के लिए दवाओं को जड़ी बूटियों से रिप्लेस करना फायदेमंद साबित हो सकता है। हाल ही के वर्षों में सुपरफूड शब्द ने खूब लोकप्रियता बटोरी है। सुपरफूड (Superfood) शब्द का इस्तेमाल ऐसे पोषक तत्वों से भरपूर फूड्स के लिए किया जाता है, जिससे शरीर को कई तरह के लाभ प्राप्त होते हैं। आयुर्वेद में ऐसी ही कुछ जड़ी-बूटियों के बारे में बताया गया है, जो आपको लंबी और हेल्दी (Herbs for longevity) लाइफ दे सकती हैं ।
सदियों से हर्ब्स का इस्तेमाल बीमारियों का इलाज करने, इम्यून सिस्टम को बूस्ट (tips to boost immune system) करने और संपूर्ण स्वास्थ्य को बढ़ावा देने के लिए किया जाता रहा है। दिनों- दिन हृदय रोगों (heart disease), डायबिटीज़ (Diabetes) और कैंसर (Cancer) के मामलों में बढ़ोतरी हो रही है। इसके चलते कम उम्र में लोग मौत का शिकार हो रहे है। ऐसे में लंबी उम्र पाने के लिए जड़ी बूटियों को मॉडरेट ढ़ग से आहार में शामिल किया जा सकता है।
भारतीय औषधीय जड़ी.बूटियां स्वास्थ्य लाभों के मामले में एक शक्ति के रूप में उभर रही हैं। इन्हें सुपरफूड के रूप में वर्गीकृत करना पूरी तरह से सही है। जहां जीवनशैली से संबंधित बीमारियाँ बढ़ रही हैं। इन समय.परीक्षित जड़ी-बूटियों (Benefits of herbs) की ओर मुड़ना हमारे स्वास्थ्य को पुनः प्राप्त करने का एक सरल लेकिन प्रभावी तरीका हो सकता है। आइए कुछ ज़रूरी भारतीय औषधीय जड़ी.बूटियों के बारे में।
हल्दी सबसे प्रचलित जड़ी-बूटी है। इसका इस्तेमाल हजारों वर्षों से न केवल मसाले के रूप में बल्कि एक औषधि के रूप में किया जा रहा है। हल्दी से करक्यूमिन कंपाउड की प्राप्ति होती है, जिसमें शक्तिशाली एंटी.इंफ्लेमेटरी (anti-inflammatory) और एंटीऑक्सीडेंट (antioxidant) गुण पाए जाते हैं। शोध से पता चला है कि करक्यूमिन गठिया, हृदय रोग और कैंसर जैसी पुरानी समस्याओं को रेगुलेट करने में मदद करता है।
रोज़मर्रा के आहार में हल्दी का सेवन (benefits of turmeric) किया जाता है, जिससे शरीर को इसके लाभ की प्राप्ति होती है। को दैनिक भोजन में शामिल करना इसके स्वास्थ्य लाभों का लाभ उठाने का एक सरल और प्रभावी तरीका हो सकता है। करक्यूमिन की जैव उपलब्धता कम होती है, जिसके चलते इसे काली मिर्च (black pepper), जो पिपेरिन कंपाउड से भरपूर होता है। उसके साथ मिलाने से अवशोषण 2000 फीसदी तक बढ़ जाता है।
मेडिसिनल प्रॉपर्टीज़ से भरपूर अश्वगंधा जिसे अक्सर इंडियन जिनसेंग कहा जाता है। आयुर्वेदिक परंपरा में एक और महत्वपूर्ण जड़ी.बूटी है। यह मुख्य रूप से शरीर को तनाव से निपटने और संतुलन बहाल करने में मदद करता है।
रिसर्च के अनुसार अश्वगंधा की मदद से कोर्टिसोल नामक तनाव हार्मोन (stress hormone) के स्तर को कम करने में मदद मिलती है। इससे क्रोनिक तनाव, चिंता और तनाव से परेशान लोगों को फायदा हो सकता है। ये शारीरिक ताकत को बढ़ाता है, इम्यून सिस्टम को मजबूत करता है और दिमागी क्षमताओं को बेहतर बना सकता है। अध्ययनों से संकेत मिलता है कि अश्वगंधा थायराइड असंतुलन के लक्षणों को प्रबंधित करने में भी मदद कर सकता है। साथ ही पुरुषों में टेस्टोस्टेरोन के स्तर को बढ़ाकर पुरुष प्रजनन क्षमता में सुधार कर सकता है।
पोषक तत्वों से भरपूर सहजन को ड्रमस्टिक ट्री (drumstick tree) कहा जाता है, जिसे इंडियन सुपरफूड कहा जाता है। सहजन ए, सी, ई, आयरन कैल्शियम और अमीनो एसिड (amino acid) की प्रचुर मात्रा पाई जाती है, जो समग्र स्वास्थ्य का समर्थन करता है।
सहजन के मौजूद एंटीऑक्सीडेंट गुण शरीर को हानिकारक प्रभावों से बचाते हैं। क्वेरसेटिन जैसे एंटी.इंफ्लेमेटरी यौगिक सूजन को कम कर सकते हैं। सहजन रक्त शर्करा को नियंत्रित करने में भी मदद करता है। इससे यह मधुमेह के रोगियों के लिए फायदेमंद हो सकता है। इसके अलावा, सहजन में उच्च आयरन होता है, जो एनीमिया के इलाज के लिए अच्छा है। खासकर विकासशील क्षेत्रों की महिलाओं और बच्चों के लिए ये बेहद फायदेमंद है। सहजन का रस या इसके रस से परांठे या रोटी बनाकर खाना स्वास्थ्य के लिए बहुत लाभकारी है।
दालचीनी भारतीय भोजन और पारंपरिक चिकित्सा में व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है। दालचीनी कई प्रकार की होती है, जो एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होती है। इससे रक्त शर्करा को कम करने में मदद मिलती है, जिसमें एंटी.इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं।
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कस्टमाइज़ करेंशोध के अनुसार असली दालचीनी इंसुलिन संवेदनशीलता को सुधार सकती है, जिससे यह टाइप 2 डायबिटीज वाले लोगों के लिए लाभकारी हो सकती है। नियमित दालचीनी का सेवन भी खराब कोलेस्ट्रॉल स्तर को कम करने और हृदय स्वास्थ्य को समर्थन देने में मदद कर सकता है।
कैसिया दालचीनी अधिक सामान्य रूप से पाई जाती है। इसमें कूमारिन की उच्च मात्रा होती है, जो उच्च मात्रा में यकृत को हानि पहुंचा सकती है और रोजाना इसके सेवन से कैंसर का खतरा भी बढ़ सकता है। इसलिए औषधीय उद्देश्यों के लिए असली दालचीनी को इसकी सुरक्षा और स्वास्थ्य लाभ के कारण प्राथमिकता दी जाती है।
कैमोमाइल एक ऐेसी औषधीय जड़ी.बूटी है, जिसे एंटी.इंफ्लेमेटरी, और एंटीऑक्सीडेंट गुणों के लिए जाना जाता है। इसे अक्सर चाय के रूप में सेवन किया जाता है। ये तनाव, चिंता, और अनिद्रा को कम करने में मदद करती है, जिससे यह बेहतर नींद और विश्राम के लिए एक प्राकृतिक उपाय बन जाती है। कैमोमाइल पाचन स्वास्थ्य को भी समर्थन देती है।
अपच और सूजन को शांत करती है और मासिक धर्म की ऐंठन से राहत प्रदान करती है। इसके एंटीबैक्टीरियल गुण प्रतिरक्षा को बढ़ाते हैं जबकि बाहरी उपयोग से त्वचा की स्थितियों जैसे एक्जिमा और मुँहासे को शांत करने में मदद मिलती है। एपीजेनिन जैसे यौगिकों से भरपूर कैमोमाइल समग्र भलाई को बढ़ावा देती है।