आयुर्वेद में हैं कब्ज से राहत पाने के अचूक उपाय, यहां हम साझा कर रहे हैं हैं ऐसे ही कुछ घरेलू उपाय 

आयुर्वेद कई समस्याओं से निपटने के लिए चिकित्सा की एक प्रभावी प्रणाली है, इसलिए इसमें बिल्कुल भी आश्चर्य की बात नहीं है कि यह कब्ज के इलाज के लिए भी एक बेहतरीन समाधान है!
Constipation ki problem ko dur karta hai fibre
कब्ज की समस्या को दूर करता है फ़ाइबर। चित्र-शटरस्टॉक
टीम हेल्‍थ शॉट्स Published: 27 Feb 2021, 10:50 am IST
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डॉ. वैशाली सावंत वैदिक जो कि हेल्थ केयर एंड वेलनेस में सहायक चिकित्सा निदेशक हैं, हमें आज कब्ज से राहत पाने के लिए कुछ घरेलू उपचारों का सुझाव दे रही हैं। 

आयुर्वेद का कहना है कि कब्ज विभांदा (vibhanda) है, जो कुछ बाउल मूवमेंट्स, ठोस कठोर मल, दर्दनाक शौच, सूजन, पेट की परेशानी और अधूरे उन्मूलन (incomplete elimination) जैसे लक्षणों से चिह्नित है।

वात दोष (Vata dosha) की मलोत्सर्ग संबंधी क्रिया (excretory function) के लिए जिम्मेदार है। जबकि एक महत्वपूर्ण वात कब्ज का कारण है। अपान (Apana) एक प्रकार का वात दोष है जो मल को होल्ड रखने के लिए जिम्मेदार है। जब तक कि यह निष्कासित होने के साथ-साथ मल के मुक्त प्रवाह और निष्कासन के लिए तैयार नहीं होता है। जब अपान वायु (apana vayu) के कार्य प्रभावित होते हैं, तो इसके परिणामस्वरूप कब्ज होता है। लेकिन इससे पहले कि हम कब्ज के इलाज के बारे में बात करें, इसके कारणों को समझना महत्वपूर्ण है।

क्या हैं कब्ज के कारण?

  1. सूखे, खुरदरे भोजन का सेवन जो शरीर में सूखेपन और खुरदरेपन का कारण बनता है।
  2. तीखे, कसैले और नमकीन खाद्य पदार्थों का अत्यधिक सेवन
  3. पर्याप्त पानी नहीं पीना
  4. रात में जागना
  5. तेज धूप में काम करना
  6. लंबे समय तक पैदल चलना, बहुत अधिका यात्रा करना
  7. लंबे समय तक एक ही जगह पर बैठे रहना
असल में आप समय बर्बाद कर रहीं हैे। चित्र : शटरस्‍टॉक
कब्ज के चलते आपको बार-बार बाथरूम जाना पड़ता है। चित्र : शटरस्‍टॉक

यहां हैं कब्ज से बचने के लिए निवारक उपाय

  1. बहुत सारे तरल पदार्थों का सेवन करें। नोट: खाली पेट पर पानी के अधिक सेवन से बचें
  2. नियमित व्यायाम का अभ्यास करें
  3. कॉफी, चाय और धूम्रपान से बचें
  4. मछली और दूध या दूध और खट्टे फलों जैसे हानिकारक फूड्स के संयोजनों से बचें

अब जानिए आयुर्वेद के अनुसार कब्ज के घरेलू उपचार

आयुर्वेद के अनुसार, उपचार की पहली पंक्ति निदान परिर्वतन (nidan parivartana) या आहर (aahar) और विहार (vihar) का सुधार है। आहार एक बेहतरीन दवा है। इसलिए जब आपका आहार गलत है, तो दवा वास्तव में किसी काम की नहीं है। इसके अलावा, यदि आप एक स्वस्थ और पौष्टिक आहार का सेवन करते हैं, तो आपको वास्तव में किसी और चीज की जरूरत नहीं है।

सबसे पहले, असंगत खाद्य पदार्थ न खाएं

नमक के साथ दूध, कुल्थी की दाल, हरी मूंग, दूध के साथ खट्टे पदार्थ, फलों के बाद दूध और इसके विपरीत सभी असंगत खाद्य पदार्थों की सूची हैं। तिल के तेल के साथ आटा, शराब, दही या शहद के बाद गर्म पेय, दही और छाछ के साथ केला, ठंडे और गर्म पदार्थ, डेयरी उत्पादों के साथ मांसाहारी भोजन, गुड़ के साथ मूली, साथ ही कांसे के बर्तन में रखे घी से भी परहेज करना चाहिए।

सही तरीके से खाएं

कुछ और काम करते हुए खाना न खाएं जैसे कि टीवी देखना, बातचीत करना या पढ़ना। प्यासे होने पर भोजन से बचें, और भूखे होने पर पानी से बचें, भोजन के एक से दो घंटे बाद या भोजन के एक घंटे पहले फल खाएं। जब आपको भूख न हो तो भोजन से बचें।

अजवायन आपको पेट में गैस और डकार से छुटकारा दिलाती है। चित्र: शटरस्‍टॉक

एक व्यक्ति को केवल तभी खाना चाहिए जब उसे भूख लगे। दोपहर का भोजन 12 से 1 बजे के बीच खाना चाहिए। यह समय पित्त काल के साथ मेल खाता है, जो पाचन के लिए जिम्मेदार है। आयुर्वेद की सलाह है कि दोपहर का भोजन दिन का सबसे बड़ा भोजन होना चाहिए। डिनर लंच से हल्का होना चाहिए। आमतौर पर, पेट की क्षमता का आधा भाग ठोस पदार्थों और 1/4 भाग तरल पदार्थों से भरा होना चाहिए और बाकी हिस्से को खाली रखना चाहिए।

इन टिप्स को याद रखें

  • सुबह जल्दी उठकर अपने बिस्तर से उठें, और कुछ मिनटों तक टहलें
  • अपने दिन की शुरुआत हल्की एक्सरसाइज या जॉगिंग से करें
  • एक भारतीय शौचालय का उपयोग करें, या जब आप शौच करें तो स्क्वाट मुद्रा में बैठें।
  • शौच के दौरान अधिक दबाव से बचें

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