इन दिनों खांसी-सर्दी (cold and cough) का मौसम है। कई बार कई तरह के काढ़े का सेवन का सेवन करने के बावजूद खांसी छूटती नहीं है। यहां तक कि गार्गल और दवाओं का असर भी कम हो पाता है। विशेषज्ञ बताते हैं कि हम रोजमर्रा की जिंदगी में कुछ बातों पर ध्यान नहीं दे पाते हैं। उनकी उपेक्षा कर जाते हैं। कुछ लोगों को तो गलत सलाह मिल जाती है। उनके बताये तरीकों का पालन करने पर खांसी और बदतर हो जाती है। आप या आपके परिवार के किसी सदस्य को यह समस्या हो सकती है। इसलिए खांसी को बिगड़ने से रोकने के लिए कुछ बातों पर ध्यान (avoid things for cough) देना जरूरी है।
लगातार हो रही खांसी को ठीक करने के लिए कुछ बातों को अवॉयड करना जरूरी है।
होमियोपैथ एक्सपर्ट और डायटीशियन डॉ. प्रदीप नेगी बताते हैं, ‘खांसी होने के बावजूद हम आइसक्रीम और कोल्ड ड्रिंक जैसे ठंडे खाद्य पदार्थों का सेवन कर लेते हैं। एलोपैथ में इस बात का कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है कि ठंडे खाद्य पदार्थ खांसी बढ़ा सकते हैं। आयुर्वेद मानता है कि ठंढे खाद्य पदार्थ कफ दोष को बढ़ा देते हैं। इसलिए सर्दी-खांसी के मरीज जब तक पूरी तरह से ठीक न हो जाएं, तब तक इनसे पूरी तरह परहेज करें। ठंडे पेय पदार्थ और खाद्य पदार्थ ब्रीदिंग लाइनिंग के सूखने का कारण बनते हैं। इससे यह संक्रमण के प्रति संवेदनशील हो जाता है। इसमें इरीटेशन के कारण खांसी शुरू हो जाती है।’
डॉ. प्रदीप नेगी बताते हैं, ‘जो व्यक्ति पहले से खांसी और सर्दी से पीड़ित है, उसे उन खाद्य पदार्थों से बचना चाहिए जो हिस्टामाइन से भरपूर होते हैं। हिस्टामाइन शरीर की कुछ कोशिकाओं में पाया जाने वाला एक केमिकल है, जो एलर्जी के कई लक्षणों का कारण बनता है। जैसे नाक बहना या छींक आना। जब किसी व्यक्ति को किसी विशेष पदार्थ, जैसे कि भोजन या धूल, से एलर्जी होती है, तो शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली गलती से मान लेती है कि आमतौर पर यह हानिरहित पदार्थ वास्तव में शरीर के लिए हानिकारक है।
फर्मेंट किया हुआ सोया प्रोडक्ट जैसे टेम्पेह, मिसो, सोया सॉस हानिकारक हो सकते हैं। टमाटर, बैंगन, पालक, डिब्बाबंद नमकीन, डिब्बाबंद मछली, जैसे सार्डिन और ट्यूना भी एलर्जी के कारण बन सकते हैं। विनेगर और टोमैटो सौस भी हिस्टामाइन वाले खाद्य पदार्थ होते हैं।’
तले हुए खाद्य पदार्थ प्रकृति में तैलीय होते हैं। तेल खांसी को ट्रिगर करने वाले कारक माने जाते हैं। गर्म तेल में खाद्य पदार्थों को तलने से एक्रोलिन नामक यौगिक उत्पन्न होता है। एक्रोलिन एलर्जी के रूप में कार्य करता है। यह गले में खुजली का कारण बनता है। यह खांसी को बढ़ा देता है। खांसी होने पर तले हुए खाद्य पदार्थों से बचने की सलाह दी जाती है।
डॉ. प्रदीप नेगी के अनुसार, ‘ जिन लोगों को एसिडिटी और गैस्ट्रो इंटेस्टिनल प्रॉब्लम के कारण खांसी होती है, उन्हें कैफीन से बचना चाहिए। यह खांसी से अस्थायी राहत तो प्रदान कर देता है। वास्तव में यह एसोफेजियल स्फिंक्टर को ढीला कर देता है, जिससे अधिक एसिड एसोफैगस में प्रवाहित हो जाता है। इससे खांसी अधिक होने लगती है।’
सोने की मुद्रा भी खांसी की वजह बन सकती है, खासकर यदि किसी व्यक्ति को बहुत अधिक खांसी हो रही है। जब आप पीठ के बल लेटती हैं, तो दिन भर में इकट्ठा होने वाला बहुत सारा बलगम और कफ गले में इरिटेशन पैदा कर सकता है। पारम्परिक चिकित्सा खांसी होने पर पीठ के बल लेटने की मनाही करता है।इसकी बजाय, करवट लेकर सोने से कफ जमा रहता है। रात में खांसी की समस्या नहीं होती है।
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