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Arthritis Awareness Month: अर्थराइटिस की है फैमिली हिस्ट्री तो आपको अपनी डाइट में शामिल करने चाहिए ये 5 तरह के फूड्स

अर्थराइटिस के कारण जोड़ों और हड्डियों में सूजन और दर्द रहता है। अर्थराइटिस के अनेक कारणों में से एक फैमिली हिस्ट्री भी है। अगर आपके पेरेंट्स को आर्थराइटिस है, तो आपके लिए इसका जोखिम और भी ज्यादा बढ़ जाता है।
आर्थराइटिस के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए ही हर वर्ष मई माह में आर्थराइटिस अवेयरनेस मंथ मनाया जाता है। चित्र : अडोबी स्टॉक
स्मिता सिंह Updated: 23 Oct 2023, 09:25 am IST
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खराब जीवनशैली और खराब खानपान का ही परिणाम है अर्थराइटिस। इसके कारण हड्डियों में सूजन, जोड़ों में दर्द की समस्या होने लगती है। जोड़ों को मजबूत रखने के लिए हमें बचपन से ही खानपान पर ध्यान देना चाहिए। भोजन में विटामिन की कमी से बोंस और कार्टिलेज पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इसके लिए आर्थराइटिस जैसे रोगों से बचाव के लिए जागरूक भी रहना चाहिए। हमें विटामिन और इसके सप्लीमेंट बोन हेल्थ के लिए कितना जरूरी (foods to avoid arthritis) है, इसके लिए हमने बात की गाजियाबाद के मनिपाल हॉस्पिटल में डाइटीशियन अदिति शर्मा (Dietician Aditi Sharma) से।

आर्थराइटिस अवेयरनेस मंथ (Arthritis Awareness Month-May)

जागरूकता के अभाव में लोग अर्थराइटिस के प्रति सबसे अधिक गलतफहमी के शिकार होते हैं। वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाईजेशन के अनुसार, गठिया या आर्थराइटिस से संबंधित 100 से अधिक रूप हो सकते हैं। यह जानना बहुत जरूरी है कि बड़ों की तरह बच्चों को भी गठिया हो सकता है। आर्थराइटिस के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए ही हर वर्ष मई माह में आर्थराइटिस अवेयरनेस मंथ मनाया जाता है।

 बचाव के लिए जरूरी हैं विटामिन्स (Vitamin for Arthritis)

अदिति शर्मा कहती हैं, ‘विटामिन डी (Vitamin D) और विटामिन के (Vitamin K) हड्डियों को मजबूती प्रदान करता है। विटामिन के कार्टिलेज कम्पोजिशन में शामिल होता है। इन दोनों विटामिन की कमी होने पर विटामिन सप्लीमेंट (Vitamin Supplement) भी लिया जा सकता है। सप्लीमेंट डॉक्टर की देखरेख में लेना चाहिए, तभी यह सुरक्षित हो सकता है।’

1 विटामिन बी 12 का योगदान (Vitamin B12 for Arthritis) 

अदिति शर्मा के अनुसार, विटामिन बी 12 की कमी का प्रभाव भी हड्डियों पर पड़ सकता है। समग्र स्वास्थ्य के लिए इसके सप्लीमेंट को जीवन का अनिवार्य हिस्सा बनाना चाहिए। जिन लोगों को ऑटोइम्यून बीमारियां जैसे कि रुमेटीइड अर्थराइटिस है, यह पेन मैनेजमेंट और भविष्य के स्वास्थ्य जोखिमों को रोकने में मदद कर सकता है। क्रोनिक ऑस्टियोआर्थराइटिस और रुमेटीइड आर्थराइटिस (Rheumatoid Arthritis) में लिए जाने वाले कुछ नेचुरल प्रोडक्ट में ग्लूकोसामाइन और कोंड्रोइटिन, ओमेगा 3 फैटी एसिड, एसईएम-ई और करक्यूमिन भी होते हैं।

फिश  में मौजूद ओमेगा-3 फैटी एसिड जोड़ों के दर्द, जकड़न और सूजन को कम कर सकते हैं। चित्र : अडोबी स्टॉक

2 मछली का तेल (Fish Oil)

फिश आयल में पॉलीअनसैचुरेटेड ओमेगा-3 फैटी एसिड पाया जाता है। इसमें शक्तिशाली एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं। ओमेगा 3 फैट ऑस्टियोआर्थराइटिस की तुलना में रुमेटीइड गठिया के लिए बेहतर काम करता है। ओमेगा 3 सप्लीमेंट जोड़ों के दर्द, जकड़न और सूजन को कम कर सकते हैं। अलसी और चिया सीड्स जैसे प्लांट बेस्ड फ़ूड में भी ओमेगा-3 होता है। यह शॉर्ट-चेन अल्फा-लिनोलेनिक एसिड के रूप में होता है। फिश आयल लॉन्ग चेन वाला ओमेगा 3 फैटी एसिड है। इसलिए यह अधिक फायदेमंद है। शाकाहारी लोग प्लांट बेस्ड फ़ूड सप्लीमेंट ले सकते हैं।

3 करक्यूमिन (Curcumin)

हल्दी में सक्रिय कंपाउंड करक्यूमिन पाया जाता है। यह एंटी इनफ्लेमेट्री एजेंट के रूप में कार्य करता है, जो सूजन को बढ़ावा देने वाले एंजाइम को अवरुद्ध करता है। करक्यूमिन का नकारात्मक पक्ष यह है कि इसे शरीर द्वारा अवशोषित करना कठिन होता है। इसे फैट के स्रोत के साथ लिया जा सकता है

4 काली मिर्च (foods to avoid arthritis)

कुछ नेचुरल सप्लीमेंट में काली मिर्च का अर्क पिपेरिन भी मिलाया जाता है। यह विटामिन के अवशोषण को बढ़ाती है, जिससे हड्डियों को फायदा पहुंचता है। हालांकि अधिक पिपेरिन जिगर की क्षति का कारण भी बन सकता है

काली मिर्च का अर्क पिपेरिन विटामिन के अवशोषण को बढ़ाती है, जिससे हड्डियों को फायदा पहुंचता है। चित्र एडॉबी स्टॉक

5 ग्लूकोसामाइन और कोंड्रोइटिन

गठिया के लिए सबसे अधिक इस्तेमाल किए जाने वाले सप्लीमेंट्स ग्लूकोसामाइन और चोंड्रोइटिन हैं। ये कार्टिलेज को मजबूत बनाते हैं और जॉइंट्स के कुशन को मजबूती देते हैं। यदि आप सप्लीमेंट्स आजमाना चाहती हैं, तो उन्हें गठिया की दवाओं के ऐड-ऑन के रूप में उपयोग करें। इन्हें दवाओं के स्थान पर कभी नहीं लें। यह सुनिश्चित करने के लिए कि यह आपके लिए सही है और आप एक सुरक्षित सप्लीमेंट और उसकी डोज ले रही हैं। कोई भी नया सप्लीमेंट आज़माने से पहले अपने डॉक्टर से बात कर लें।

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स्मिता सिंह

स्वास्थ्य, सौंदर्य, रिलेशनशिप, साहित्य और अध्यात्म संबंधी मुद्दों पर शोध परक पत्रकारिता का अनुभव। महिलाओं और बच्चों से जुड़े मुद्दों पर बातचीत करना और नए नजरिए से उन पर काम करना, यही लक्ष्य है। ...और पढ़ें

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