कभी – कभी जब आप बहुत गहरी नींद में होते हैं तो आप कॉन्शियस तो होते हैं, लेकिन हाथ – पैर एक झटके में हिलाने से नहीं हिलते हैं। यह सब स्लीप पैरालिसिस (Sleep Paralysis) के कारण हो सकता है। अमेरिकन एकेडमी ऑफ स्लीप मेडिसिन के अनुसार, स्लीप पैरालिसिस वाले लोग आमतौर पर 14 से 17 साल की उम्र के बीच पहली बार इस स्थिति का अनुभव करते हैं।
यह काफी सामान्य नींद की स्थिति है। शोधकर्ताओं का अनुमान है कि 5 से 40 प्रतिशत लोग इस स्थिति का अनुभव करते हैं। मगर ऐसा क्यों होता है? आपको इस स्थिति के बारे में जानने की ज़रूरत है। क्या यह नॉर्मल है? या यह किसी गंभीर बीमारी का संकेत हो सकता है। चलिये पता करते हैं।
सोते या जागते समय, आपका मस्तिष्क संकेत भेजता है जो आपकी बाहों और पैरों की मांसपेशियों को आराम देता है। परिणाम – मसल एटोनिया – आपको रैपिड आई मूवमेंट (आरईएम) नींद के दौरान स्थिर रहने में मदद करता है। स्लीप पैरालिसिस की वजह से, आप कॉन्शियस होते हैं लेकिन हिल नहीं सकते।
इस पैरालिसिस के दौरान, आप अपने आस-पास के बारे में जागरूक होते हैं, लेकिन हिल या बोल नहीं सकते। मगर आप अभी भी अपनी आंखें हिला सकते हैं और सांस ले सकते हैं। बहुत से लोग ऐसी चीजें सुनते या देखते हैं जो वहां नहीं हैं (मतिभ्रम), इसलिए, यह स्थिति को और भी भयावह बना देता है। स्लीप पैरालिसिस कुछ सेकंड या कुछ मिनट तक रह सकता है।
रैपिड आई मूवमेंट (आरईएम) स्लीप स्टेज के दौरान, आपको सपने आने की संभावना होती है। मस्तिष्क आपके अंगों की मांसपेशियों को अपने आप को सपने देखने और खुद को चोट पहुंचाने से बचाने के लिए हिलने से रोकता है। स्लीप पैरालिसिस तब होता है जब आप नींद से बाहर आते हैं और कॉन्शियस होते हैं।
इस स्थिति के कई कारण हैं, जिनमें शामिल हैं:
शिफ्ट में काम करना
सोने का अभाव
नींद में बाधा आना
आपके अंगों में पैरालिसिस होना
बोलने में असमर्थता
घुटन की भावना
मतिभ्रम
डर
घबराहट
बेबसी
अपने गले के चारों ओर कसाव महसूस करना
दिन में नींद आना
यह सभी उम्र के लोगों में हो सकता है। साथ ही, नींद के बदलते शेड्यूल के साथ नींद की कमी के कारण होता है। बार – बार होने वाला स्लीप पैरालिसिस नार्कोलेप्सी का एक लक्षण है, जो एक तरह का नींद विकार है।
स्लीप पैरालिसिस होने से रोकने के लिए आप बहुत कुछ नहीं कर सकते। मगर आपके जोखिम को कम करने के लिए आप कुछ कदम उठा सकते हैं।
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कस्टमाइज़ करेंसोने और जागने के लिए निश्चित समय के साथ सोने का एक निश्चित समय निर्धारित करना।
एक आरामदायक नींद का वातावरण बनाना जो अंधेरे में हो और शांत हो।
सोने से पहले फोन, टैबलेट, ई-रीडर और कंप्यूटर को दूर रखना।
सोने से पहले स्नान करना, पढ़ने या सुखदायक संगीत सुनना, इससे आराम मिलता है।
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