हार्वर्ड मेडिकल स्कूल के माइक्रोबायोलॉजी के प्रोफेसर माइकल स्टारनबैक कहते हैं, “दुर्भाग्य से, वास्तविकता यह है कि ये उत्पाद वास्तव में कोई लाभ नहीं देते। यानी कोई सबूत नहीं है कि वे बीमारी से लड़ने में आपकी मदद करते हैं या इमम्युनिटी बूस्ट करते हैं।
यह समझने के लिए हमें जानना होगा कि प्रतिरक्षा प्रणाली कैसे काम करती है, तभी हम जान पाएंगे कि प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ावा देने का विचार त्रुटिपूर्ण है।
स्टारनबैक कहते हैं, “हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली बहुत कारगर हथियार है।” प्रतिरक्षा प्रणाली एक संतुलन होता है, जो बैक्टीरिया, वायरस और परजीवियों की संक्रमण पैदा करने की क्षमता को सीमित करने में सक्षम बनाता है। वहीं दूसरी ओर अतिसक्रिय प्रतिरक्षा प्रणाली एलर्जी, मधुमेह और कई अन्य प्रकार के ऑटोइंफ्लेमेटरी और ऑटोइम्यून विकारों जैसे मधुमेह स्किल्रोसिस आदि समस्याओं का कारण बन सकती है।
यानी अगर ऐसे पदार्थ प्रतिरक्षा प्रणाली को थोक में बढ़ावा दे भी दें, तो यह ऑटोइम्यूनिटी और अन्य समस्याओं को ट्रिगर कर सकता है,”
कोरोना काल में इम्यूनिटी बूस्टर का बड़ा बोलबाला है। मगर इनके साथ ही आजकल सुपरफूड का भी काफी ढोल पीटा जा रहा है। लेकिन क्या ये तथाकथित वस्तुएं प्रतिरक्षा को बढ़ा सकती हैं?
यह दावा किया जा रहा है कि कुछ विटामिन , एंटी ऑक्सीडेंट्स टेबलेट्स, फैशनेबल सुपरफूड्स स्वस्थ प्रतिरक्षा प्रणाली के लिए एक शॉर्टकट प्रदान कर सकते है। यकीनन यह केवल एक भ्रम है। वास्तव में, प्रतिरक्षा प्रणाली को “बढ़ाने” की अवधारणा का कोई भी वैज्ञानिक आधार नहीं है।
येल यूनिवर्सिटी के इम्यूनोलॉजिस्ट अकीको इवासाकी कहते हैं, ‘ प्रतिरक्षा के लिए तीन अलग-अलग घटक होते हैं – त्वचा, श्वसन मार्ग और म्यूकस झिल्ली। अगर विषाणु इन तीन अवरोधों को पार कर लेता है तो फिर शरीर आंतरिक प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया प्रेरित करता है।
यह एक ‘ सहज ‘ प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया है। इसमें शरीर इस चेतावनी से अपने भीतर रसायनों और कोशिकाओं को तेजी से बढ़ा सकते हैं और किसी भी घुसपैठिए से लड़ना शुरू कर देते हैं।
एडेप्टिव प्रतिरक्षा प्रणाली अपनाना यानी टी सेल व एंटीबॉडी बनाने की प्रक्रिया आरंभ कर देता है । टी सेल व एंटीबॉडी के उभरने में कुछ दिन या सप्ताह लग सकते हैं।
महत्वपूर्ण बात यह है कि यह आंतरिक प्रतिरक्षा प्रणाली केवल किसी विशेष रोगजनक यथा फ्लू या कोरोना को लक्षित कर सकती है। यानी जो टी सेल Covid-19 के लिए बनेगा वह इंफ्लूएंजा या जीवाणु रोगजनकों का जवाब नहीं होगा।” अधिकांश संक्रमण अंततः आंतरिक प्रतिरक्षा को ट्रिगर करेंगे।
इम्युनिटी बूस्टर और सुपरफूड एक व्यक्ति की प्रतिरक्षा प्रणाली को “बढ़ाने” की अवधारणा, संभवतः इन सभी प्रतिक्रियाओं को अधिक सक्रिय, या मजबूत बनाना शामिल होगा। वास्तविकता में ऐसा संभव नहीं है ।
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कस्टमाइज़ करेंउदाहरण हेतु सर्दी-जुकाम के लक्षणों को लें – शरीर में दर्द, बुखार, मस्तिष्क में भ्रम और कफ का पैदा होना, वास्तव में वायरस के कारण नहीं हैं। बल्कि वे शरीर से ट्रिगर जन्मजात प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया का हिस्सा हैं।
कई “प्रतिरक्षा-बढ़ाने वाले” उत्पाद सूजन को कम करने का दावा करते हैं, जो सही नहीं है और अगर यह सही है तो भी यह हमारे शरीर को नुकसान ही पहुंचाएगा।
बलगम रोगज़नक़ को बाहर निकालने में मदद करता है। बुखार शरीर को एक असुविधाजनक गर्म वातावरण बनाने में मदद करता है, जिससे वायरस को प्रतिलिपि बनाने यानी संख्या बढ़ाने में कठिनाई पैदा होती है।
दर्द, बलगम, बुखार सामान्य अस्वस्थता भड़काऊ उत्पादों के उप उत्पाद हैं। जो इस माध्यम से प्रतिरक्षा कोशिकाओं को संदेश देती है कि क्या करना है और कहां जाना है। ये लक्षण आपके मस्तिष्क को संकेत देने में भी मदद करते हैं ।
बलगम रासायनिक संकेत है और सूजन का हिस्सा हैं, जो एक स्वस्थ प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया का आधार है।
एलर्जी तब होती है जब अत्यधिक प्रतिरक्षा कोशिकाएं पराग (Allergen) जैसे हानिकारक निकायों से लड़ना सीखती है, क्योंकि ये अलर्जन हानिकारक हैं।
वैज्ञानिक कहते हैं, “समस्या यह है कि इन इम्युनिटी बढ़ाने वाली वस्तुओं के दावों के सबूत नहीं हैं।”
विटामिन की खुराक प्रतिरक्षा प्रणाली के लिए फायदेमंद नहीं है, जब तक शरीर में उनकी कमी न हों। यदि आप स्वस्थ हैं तो पूरक यानी सप्लीमेंट भूल जाएं। विटामिन डी को छोड़कर कई मल्टीविटामिन “प्रतिरक्षा सहायता” प्रदान करने या “स्वस्थ प्रतिरक्षा समारोह को बनाए रखने” में मदद करने का दावा करते हैं।
बीबीसी फ़्यूचर ने 2016 में एक शोध में बताया कि विटामिन सप्लीमेंट आमतौर पर स्वस्थ लोगों में काम नहीं करते, बल्कि कुछ हानिकारक भी हो सकते हैं। विटामिन सी एंटीऑक्सिडेंट के स्वास्थ्य प्रभावों को पौराणिक कथाओं की तरह न जाने कब से देखा सुना गया है।
हालांकि सर्दी और अन्य श्वसन संक्रमण से लड़ने में मदद करने के लिए विटामिन सी की शक्तिशाली प्रतिष्ठा का समर्थन करने के लिए बहुत कम सबूत हैं।
कोच्रेन की 2013 की समीक्षा – एक संगठन जो कि निष्पक्ष शोध के लिए प्रसिद्ध है – ने पाया कि वयस्कों में “विटामिन सी की उच्च खुराक के परीक्षण में, सामान्य सर्दी के लक्षणों की अवधि या गंभीरता पर कोई सुसंगत प्रभाव नहीं दिखाता।”
कई विशेषज्ञ विटामिन सी के बाजार को एक रैकेट मानते हैं। हालांकि विटामिन सी की कमी से स्कर्वी होती है। जिसके कारण 15वीं से 18वीं शताब्दी के बीच बीस लाख नाविक और समुद्री डाकू मारे गए बताए जाते हैं।
मगर अब यह संख्या घट रही है। उदाहरण के लिए, 2016 और 2017 के बीच इंग्लैंड में सिर्फ 128 लोग इस बीमारी से पीड़ित थे। दूसरी ओर, इस विटामिन की उच्च खुराक से गुर्दे की पथरी हो सकती है।
तो मेरा मानना है कि इम्यूनिटी बूस्टर खाद्य पदार्थ यथा सिट्रस फल संतरे ,कीनू, अदरक , शिमला मिर्च , ब्रोकली हल्दी ,लहसुन पालक आदि को प्राकृतिक रूप में सेवन करने में तो नुकसान नहीं है, लेकिन केप्सूल या बोतल बंद दवा रूप में इनका सेवन करने से बचना चाहिए।
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