AMR : एंटी माइक्रोबियल रेजिस्टेंस से बढ़ सकता है बार-बार यूटीआई होने का खतरा, एक्सपर्ट बता रहीं हैं कैसे

ज्यादातर इंफेक्शन के उपचार के लिए एंटीबायोटिक्स के सेवन की सलाह दी जाती है। पर इनका लंबे समय तक या जरूरत से ज्यादा इस्तेमाल आपकी इम्युनिटी के विरुद्ध भी काम करने लगता है। जिसे एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस कहा जाता है।

antibiotics ke overuse se anti microbial resistance ka jokhim badhata ja raha hai
एंटी बायोटिक्स के ओवर यूज से एंटी माइक्रोबायल रेजिस्टेंस का खतरा बढ़ता जा रहा है। चित्र : अडोबी स्टॉक
Dr Neha Rastogi Panda Updated on: 1 Mar 2023, 16:54 pm IST
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एंटीमाइक्रोबायल रेज़‍िस्‍टेस (AMR) एक बड़ा खतरा है और ‘ग्‍लोकल’ (ग्‍लोबल+लोकल) परिदृश्‍य में जहां एंटीबायोटिक के प्रयोग के चलते एएमआर की संभावना बढ़ जाती है, यह जोखिम और गहराता है। वर्ल्‍ड हेल्‍थ ऑर्गेनाइज़ेशन (WHO) ने हाल में यह चेतावनी जारी की है कि एंटीमाइक्रोबायल रेज़‍िस्‍टेंस (anti microbial resistance) तेजी से सार्वजनिक स्‍वास्‍थ्‍य के लिए चुनौती बन रहा है। साथ ही, उन पैथोजेन्‍स (रोगाणुओं) की एक सूची भी जारी की है जो मल्‍टी ड्रग रेज़‍िस्‍टेंट ‘सुपरबग्‍स’ बन चुके हैं।

रोग प्रतिरोधों के मामले बढ़ रहे हैं, खासतौर से संक्रमित लोगों से फैलने वाले मूत्रनली के संक्रमणों के जिन मामलों में साधारण माइक्रोबायल्‍स असरकारी नहीं रह गए हैं, इस पूरे परिदृश्‍य की चिंताजनक स्थिति बयान करता है।

क्यों दी जा रहीं हैं एंटीबायोटिक्स दवाएं 

ज्‍यादातर एंटीमाइक्रोबायल दवाएं या तो प्राथमिक स्‍वास्‍थ्‍य कर्मियों द्वारा दी जाती हैं अथवा ओवर द काउंटर ली जाती हैं। साथ ही, यूटीआई (urinary tract infection) अथवा मूत्रनली संक्रमण सबसे सामान्‍य किस्‍म के संक्रमण हैं, जिनके उपचार के लिए एंटीमाइक्रोबायल के प्रयोग की सलाह दी जाती है। इसके अलावा, बुजुर्गों को भी इन संक्रमणों का खतरा ज्‍यादा रहता है। इस आबादी में एंटीबायोटिक-एक्‍सपोज़र भी अधिक होता है।

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दुष्प्रभाव जानने के बावजूद ज्यादातर लोग एंटीबायोटिक दवाओं का सेवन करते हैं। चित्र-शटरस्टॉक।

बार-बार अस्‍पताल के वातावरण के संपर्क में आने और लंबी अवधि की स्‍वास्‍थ्‍य सुविधाओं में रुकने से भी संक्रमण का जोखिम बढ़ता है। जो एंटीमाइक्रोबायल रेज़‍िस्‍टेंट बैक्‍टीरिया की आशंका बढ़ाता है। बार-बार यूटीआई (urinary tract infection) खासतौर से महिलाओं के मामले में, ये स्‍वास्‍थ्‍य संबंधी बड़ी समस्‍याओं का कारण बनते हैं।

5 में से एक महिला को बार-बार यूटीआई की समस्‍या होती है। ऐसा तब माना जाता है जबकि एक साल में 3 या अधिक बार यूटीआई हो। पुरुषों के मामले में, यूटीआई काफी जटिल होते हैं और इनका बार-बार होना और भी खतरनाक होता है।

क्या हो रहे हैं इनके दुष्प्रभाव

लगातार लंबे समय तक एंटीबायोटिक का प्रयोग – बचाव या उपचार के तौर पर, करने से शरीर में एंटीबायोटिक्‍स का जमाव हो जाता है और इससे रे‍ज़‍िस्टेंट यूरोपैथोजेन्‍स का जमाव शरीर में होने लगता है। जो अगले किसी यूटीआई को और भी खतरनाक तथा कई बार इलाज के लिहाज़ से मुश्किल बनाते हैं। ऐसे में इलाज के लिए इंट्रावेनस एंटीबायोटिक्‍स का इस्‍तेमाल जरूरी हो जाता है।

इसके अलावा, ड्रग रे‍ज़‍िस्टेंट पैथोजेन्‍स और कमज़ोर इम्‍युनिटी की वजह से भी मूत्रनली के संक्रमण जटिल बनते हैं। जो गंभीर पायलोनेफ्राइटिस और कई बार यूरोसेप्सिस पैदा करते हैं। जिनके उपचार के लिए मरीज़ को अस्‍पताल में भर्ती कराना पड़ सकता है। यहां तक कि कई बार ये घातक भी हो सकते हैं।

एंटीबायोटिक्स और यूटीआई 

यूटीआई के उपचार के लिए प्रोफाइलेक्टिक एंटीबायोटिक्‍स का लंबे समय तक इस्‍तेमाल करने की वजह से अन्‍य कई तरह से भी स्‍वास्‍थ्‍य को नुकसान पहुंचता है। इससे गट फ्लोरा प्रभावित होता है जो माइक्रोबायोम को अनहेल्‍दी बनाता है।

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यूटीआई के उपचार में ज्यादातर एंटीबायोटिक्स का इस्तेमाल किया जाता है। चित्र: अडोबी स्टॉक

ऐसा होने से स्‍ट्रैस, एंगज़ाइटी, स्‍लीप और वैल-बींग पर असर पड़ता है। यूटीआई होने पर लोकल/ओरल एंटीबायोटिक्‍स का इस्‍तेमाल करने से योनि में भी माइक्रोबायोम प्रभावित होता है। जो आगे चलकर फंगल इंफेक्‍शंस और रे‍ज़‍िस्टेंट वेजाइनिटिस का कारण बनता है। मूत्राशय (ब्‍लैडर) में माइक्रोबायोम के प्रभावित होने पर लगातार दर्द और बार-बार मूत्र नली के संक्रमणों का खतरा भी बढ़ता है।

एंटीमाइक्रोबायल रेज़‍िस्‍टेस से बचाव के लिए जरूरी है इन नियमों को फॉलो करना 

इनका समाधान आसान तो है, लेकिन उसका पालन करना उतना ही कठिन भी होता है। सबसे जरूरी है एंटीबायोटिक के प्रयोग में सावधानी बरतना।

  1. सबसे पहले तो एंटीमाइक्रोबायल को प्रेस्‍क्राइब करना कितना जरूरी है, यह देखा जाना चाहिए। कई बार एंटीबायोटिक्‍स की कतई जरूरत नहीं होती। यूरिन कल्‍चर रिपोर्ट के बगैर और बिना कोई लक्षण दिखायी दिए इनका इस्‍तेमाल नहीं होना चाहिए।
  2. साथ ही, फर्स्‍ट लाइन एंटीबायोटिक्‍स के मामले में सावधानी बरतना जरूरी होता है। शरीर से बैक्‍टीरिया बाहर करने के लिए इलाज का समुचित तरीके से पालन करना चाहिए।
  3. उपयुक्‍त अवधि के लिए इनका प्रयोग करें, ज्‍यादा लंबे समय तक नहीं बल्कि पर्याप्‍त अवधि के लिए करें।
  4. यूटीआई के इलाज के लिए एंटीबायोटिक्‍स के इस्‍तेमाल का एक महत्‍वपूर्ण पहलू प्रोफाइलैक्सिस (बचाव दृष्टिकोण) होता है। खुराक और अवधि को जितना संभव हो कम से कम रखें और दवाओं से बचने के लिए ‘ड्रग हॉलीडे’ का पालन करें तथा इस मामले में पारंपरिक उपायों को अपनाएं।
  5. समुचित स्‍वच्‍छता रखें, हाथ धोएं, शौच के बाद साफ-सफाई का पूरा ध्‍यान रखें, शरीर में पानी का स्‍तर कम न हो और संतुलित खुराक लें ताकि यूटीआई से बचाव हो।

मरीज़ों को सबसे पहले अटैंड करने वाले फर्स्‍ट लाइन हेल्‍थकेयर प्रदाताओं को भी उपचार के मामले में कड़ाई बरतने की जरूरत है और इस मामले में कम या लंबी अवधि के परिणामों से बचने की पूरी कोशिश की जानी चाहिए। पिछले कई वर्षों से एंटीबायोटिक-रेज़‍िस्‍टेंट ‘सुपरबग्‍स’ का खतरा बढ़ गया है और एंटीबायोटिक की खोज के मामले में कुछ खास प्रगति नहीं हुई है, ऐसे में एंटीमाइक्रोबायल प्रयोग के मामले में अत्‍यधिक सावधानी बरतना बेहद जरूरी है।

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