बढ़ता वायु प्रदूषण (Air pollution) एक ऐसी समस्या है, जिससे कोई भी नहीं बच सकता। सांस लेना हमारे जिंदा रहने के लिए जरूरी है। पर जब हम प्रदूषित हवा में सांस लेते हैं, तो सेहत के लिए बहुत सारे जोखिम बढ़ जाते हैं। दिवाली से पहले ही इस बार महानगरों का एयर क्वालिटी इंडेक्स खराब स्तर की ओर बढ़ने लगा है। जिससे छोटे बच्चे, बुजुर्ग और किसी भी तरह की बीमारी से ग्रस्त लोगों के लिए जोखिम और भी ज्यादा बढ़ता जा रहा है। हेल्थ शॉट्स के इस लेख में हम उन जरूरी उपायों पर बात करने वाले हैं, जो एयर पॉल्यूशन से आपके बच्चों (air pollution and child health) को प्रोटेक्ट कर सकते हैं।
महानगरों में वायु प्रदूषण एक बहुत बड़ी चिंता का विषय बनता जा रहा है। इसके कारण तरह-तरह के इंफेक्शन अस्थमा जैसी समस्याओं से ग्रसित मरीजों की संख्या बढ़ रही है। परंतु आपको बता दें कि एक यंग व्यक्ति की तुलना में बच्चों के शरीर पर एयर पॉल्यूशन का प्रभाव काफी ज्यादा पड़ता है।
जिस उम्र में बच्चों को बेहतर शारीरिक और मानसिक विकास के लिए साफ हवा-पानी की जरूरत होती है, तब प्रदूषण के कारण उनकी ग्रोथ भी प्रभावित होने लगती है। इस समय खराब पर्यावरण को देखते हुए हमें खुद से पूरी तरह सचेत रहने की आवश्यकता है। बच्चों पर होने वाले एयर पॉल्यूशन के प्रभाव को रोकने के लिए उनके शरीर को अंदर से लेकर बाहर तक तैयार करने की जरूरत है।
डियर मॉम्स आप बिल्कुल भी चिंता न करें, हम लेकर आए हैं आपके लिए ऐसे ही 6 प्रभावी उपाय जो आपके बच्चों की ग्रोथ में पॉल्यूशन को रुकावट नहीं बनने देंगे। तो चलिए जानते हैं आखिर किस तरह अपने बच्चों को बढ़ते एयर पॉल्यूशन से प्रोटेक्ट (How to protect your child from air pollution) करना है।
वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाईजेशन द्वारा एयर पॉल्युशन यानी कि वायु प्रदूषण और बच्चों की सेहत पर इसके प्रभाव पर प्रकाशित एक डेटा में बताया गया कि –
1. वायु प्रदूषण के कारण बच्चों की लंग्स ग्रोथ धीमी हो जाती है और लंग्स ठीक से काम नहीं कर पाते।
2. रेस्पिरेटरी इंफेक्शन और अस्थमा होने की संभावना भी वायु प्रदूषण के कारण बढ़ जाती है।
3. मेंटल और मोटर डेवलपमेंट धीमी हो जाती है। क्योंकि बच्चों का दिमाग विकसित हो रहा होता है। ऐसे में वातावरण में मौजूद न्यूरोटॉक्सिक कंपाउंड बच्चों के मानसिक विकास को प्रभावित कर सकते हैं।
4. बच्चे शारिरिक रूप से अधिक सक्रिय रहते हैं, जिस वजह से वे वायु प्रदूषण की चपेट में ज्यादा जल्दी आ जाते हैं। घर से बाहर शारीरिक गतिविधियों में हिस्सा लेने वाले बच्चों में इसका जोखिम और भी ज्यादा हो सकता है।
5. प्रेग्नेंसी में यदि कोई महिला ज्यादा समय वायु प्रदूषण में बिताती हैं, तो समय से पहले और कम वजन के बच्चे का जन्म होने का जोखिम बना रहता है।
6. बड़ो की तुलना में बच्चे ज्यादा एयर इनहेल करते हैं। इसलिए उन्हें प्रोटेक्शन की ज्यादा जरूरत होती है।
बच्चों को पर्याप्त मात्रा में पानी पिलाएं और यह सुनिश्चित करें कि वे पूरी तरह हाइड्रेटेड रहें। यदि शरीर में पर्याप्त मात्रा में पानी होता है, तो बॉडी टॉक्सिंस को आसानी से बाहर निकाल पाती है।
कोरोनावायरस के खत्म होते ही लोगों ने मास्क पहनना बंद कर दिया है। परंतु आपको बता दें कि मास्क का प्रयोग वायु प्रदूषण से बचने के लिए भी बहुत जरूरी है। इसलिए बच्चों के साथ कहीं बाहर जाने से पहले मास्क रखना न भूलें। मास्क की मदद से आप वायु प्रदूषण के हानिकारक टॉक्सिंस को सांसों के माध्यम से शरीर में प्रवेश होने से रोक सकती हैं।
यदि बच्चों की इम्युनिटी मजबूत रहती है, तो एयर पॉल्यूशन से होने वाली परेशानियां जैसे की साइनस, एलर्जी, इंफेक्शन, रेस्पिरेट्री इनफेक्शन, छींक आना, खांसी और सर्दी दूर रहती हैं। इसलिए इम्युनिटी बूस्ट करने के लिए बच्चों को शहद और हल्दी या फिर शहद और तुलसी का पानी दे सकती हैं। आवश्यक पोषक तत्वों से भरपूर यह सुपरफूड बच्चों के शरीर को वायु प्रदूषण से होने वाले एलर्जी से लड़ने में मदद करते हैं।
हैवी ट्रेफिक में एयर पॉल्यूशन की मात्रा सबसे ज्यादा होती है। ऐसे में बच्चों को ऐसी जगहों पर ले जाने से बचें। यदि आप छोटे बच्चों के साथ बाहर जा रही हैं, तो कम ट्रैफिक वाला रास्ता चुनने की कोशिश करें।
सबसे पहले आपको इस बात का ध्यान रखना होगा कि बच्चे ज्यादा बाहरी भोजन का सेवन न करें। क्योंकि जंक फूड, फास्ट फूड जैसे स्ट्रीट फूड्स और अन्य कई प्रकार की पॉल्यूशन के कारण सेहत को बुरी तरह नुकसान पहुंचा सकते हैं।
ऐसे में खुद भी और बच्चों को भी साफ सुथरा और महत्वपूर्ण पोषक तत्वों से भरपूर खाद्य पदार्थ दें। बदाम, अनानास, गुड़, खट्टे फल, टमाटर, प्याज, शिमला मिर्च, गोभी, हरी पत्तेदार सब्जियां इत्यादि अपने बच्चों की डाइट में जरूर शामिल करें।
इंटरनेट और मोबाइल गेमिंग की दुनिया में बच्चे शारीरिक रूप से निष्क्रिय होते जा रहे हैं। जिस वजह से उन्हें उम्र से पहले स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याएं ग्रसित कर सकती हैं। हालांकि, शारीरिक रूप से सक्रिय रहने का मतलब यह नहीं कि पूरे दिन बाहर खेलते रहना। आप बच्चों को घर पर योग और एक्सरसाइज करवा सकती है।
इसके साथ ही डांस क्लासेस एक बेहतर विकल्प रहेंगे। बच्चे शारीरिक रूप से जितना ज्यादा सक्रिय रहते हैं, उनमें अस्थमा जैसी समस्याएं होने की संभावना भी उतनी ही कम होती है। वहीं जो लोग शारीरिक रूप से इनएक्टिव रहते हैं, उनमें रेस्पिरेट्री प्रॉब्लम्स होने की संभावना काफी ज्यादा होती है।
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