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मधुमेह और अस्थमा का जोखिम बढ़ा रहा है प्रदूषण, एक्सपर्ट बता रहे हैं इनसे बचने के उपाय

वायु प्रदूषक विशेष रूप से पीएम 2.5 के संपर्क में आने से टाइप 2 मधुमेह विकसित होने का जोखिम बढ़ सकता है। यह महीन कण पदार्थ फेफड़ों और रक्तप्रवाह में गहराई तक प्रवेश करते है, जिससे सूजन संबंधी समस्याएं बढ़ जाती हैं।
Air pollution ke side effects
वायु प्रदूषक पीएम 2.5 के संपर्क में आने से टाइप-2 मधुमेह विकसित होने का जोखिम बढ़ सकता है। चित्र- अडोबीस्टॉक
Updated On: 26 Nov 2024, 10:34 am IST
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प्रदूषण मधुमेह और अस्थमा से पीड़ित व्यक्तियों के लिए एक बड़ा खतरा बनता नज़र आ रहा है। है। हाल ही में हुए रिसर्च में इस बात का खुलासा हुआ है कि वायु प्रदूषक विशेष रूप से पीएम 2.5 के संपर्क में आने से टाइप-2 मधुमेह विकसित होने का जोखिम बढ़ सकता है। यह महीन कण पदार्थ फेफड़ों और रक्तप्रवाह में गहराई तक प्रवेश करता है, जिससे सूजन संबंधी प्रतिक्रियाएँ होती हैं जो इंसुलिन संवेदनशीलता को बाधित करती हैं।

वहीं अस्थमा के रोगियों के लिए प्रदूषित हवा से गले में जलन और फेफड़ों में इरिटेशन का कारण बनने लगती है। स्मॉग का बढ़ता स्तर और हवा में मौजूद कण लक्षणों को गंभीर बना देते हैं। लंबे समय तक दूषित हवा के संपर्क में रहने से क्रॉनिक लंग्स डिज़ीज़ की संभावना बनी रहती है। हांलाकि इन हानिकारक प्रदूषकों के स्रोत अलग अलग हैं। वाहनों और औद्योगिक क्षेत्रों से निकलने वाला धुआं इस समसया को बढ़ा देता है।

Inhaler asthma patients ke liye helpful ho sakta hai
अस्थमा के रोगियों के लिए प्रदूषित हवा से गले में जलन और फेफड़ों में इरिटेशन का कारण बनने लगती है। चित्र : अडोबी स्टॉक

 यदि आप अस्थमा या डायबिटीज से पीड़ित हैं, तो इस तरह रखें अपना ख्याल 

1. स्थानीय वायु गुणवत्ता रिपोर्ट की जांच कर लें

मधुमेह और अस्थमा से पीड़ित लोगों के लिए वायु प्रदूषण के संपर्क में आने से बचना बहुत ज़रूरी है। कहीं बाहर जाने से पहले वहां की स्थानीय वायु गुणवत्ता रिपोर्ट की जाँच अवश्य कर लें। वे दिन जब प्रदूषण का स्तर अधिक होता है, उस वक्त घर के अंदर रहने पर विचार करें।
इसके अलावा कम ट्रैफ़िक वाला स्थान और समय चुनें।

2. एयर प्यूरीफ़ायर का उपयोग करें

सुबह जल्दी या देर शाम को अक्सर दोपहर की तुलना में हवा साफ़ होती है। घर पर एयर प्यूरीफ़ायर का उपयोग करके हानिकारक कणों को फ़िल्टर करने में मदद मिलती है। धुएँ के दौरान खिड़कियाँ बंद ही रखें। इसके अलावा रसोई और बाथरूम में एग्जॉस्ट पंखे का उपयोग करें। प्रदूषण से अपने बचाव के लिए मास्क पहनकर रखें। इस तरह से बाहर निकलने पर सुरक्षा की एक अतिरिक्त परत मिलती है।

एन 95 या इसी तरह के मास्क चुनें जो प्रभावी रूप से महीन कणों को रोकने में मददगार साबित होते हैं। घर के अंदर की हवा की गुणवत्ता में सुधार लाने के लिए इनडोर प्लांटस का इस्तेमाल करें

air purifier ka prayog
एयर प्यूरिफाएर का प्रयोग करने से घर के अंदर की हवा शुद्ध होती है. चित्र ; शटरस्टॉक

3. ताजे़ फलों और सब्जियों का सेवन करें

आहार में विभिन्न प्रकार के फलों और सब्जियों को शामिल करने से एंटीऑक्सीडेंटस की प्राप्ति होती है। ये पोषक तत्व प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करते हैं और प्रदूषण के संपर्क में आने से होने वाले ऑक्सीडेटिव तनाव से लड़ने में भी मददगार साबित होते हैं। इसके लिए अपनी डेली मील में साबुत अनाज, लीन प्रोटीन और हेल्दी फैट्स को अवश्य शामिल करें। इससे डायबिटीज़ के स्तर में बढ़ोतरी किए बिना निरंतर ऊर्जा प्रदान करने में मदद करते हैं।

4.हाइड्रेटेड रहें

शरीर को हाइड्रेटेड रखना भी आवश्यक है। उचित हाइड्रेशन से फेफड़ों के कार्य को सहायता मिलती है, जो अस्थमा से पीड़ित लोगों के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। भरपूर मात्रा में पानी का सेवन करने से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में मदद मिलती है। इससे अस्थमा के रोगियों को भी खूब फायदा मिलता है और सांस लेने में होने वाली तकलीफ से बचा जा सकता है।

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प्रदूषण से बचने के लिए आप क्या करते हैं?

खानपान के विकल्पों को ध्यानपूर्वक चुनने से पर्यावरणीय चुनौतियों के बीच अपने स्वास्थ्य को प्राथमिकता दी जा सकती है।

Water intake badhaayein
बार-बार पानी पीने से एलर्जी से मुक्ति मिलती है। खुद को हाइड्रेट रखने से टॉक्सिक पदार्थों को डिटॉक्स किया जा सकता है।

5. नियमित रूप से व्यायाम करें

मधुमेह और अस्थमा दोनों के लक्षणों को नियंत्रित करने में नियमित व्यायाम आवश्यक है। इससे शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ने लगती है। इससे न केवल इंसुलिन संवेदनशीलता में सुधार होता है बल्कि सांस संबधी समस्याएं भी हल हो जाती हैं। इसके लिए नियमित रूप से वॉकिंग, साइकिल चलाना या तैराकी जैसी सरल गतिविधियाँ बेहद फायदेमंद साबित होती हैं।

अस्थमा के रोगियों के लिए व्यायाम की मदद से रेस्पिरेटरी हेल्थ को उचित बनाकर फेफड़ों की क्षमता को बढ़ाया जा सकता है। यह पूरे शरीर में बेहतर ऑक्सीजन प्रवाह को भी बढ़ावा देता हैए जिससे बाहर निकलते ही सांस लेने में होने वाली तकलीफ से बचा जा सकता है।

प्रदूषण के जोखिमों को कम करने में ये छोटे-छोटे टिप्स भी हो सकते हैं मददगार 

  1. आउटडोर एक्टीविटीज़ या वर्कआउट प्लान करने से पहले प्रदूषण के स्तर पर नज़र बनाए रखना आवश्यक है। है। एक्यूआई यानि एयर क्वालिटी इंडैक्स के मद्देनज़र दिनभर की योजना बना सकते हैं। विशेष रूप से स्मॉग के दौरान घर के अंदर रहना बेहतर विकल्प है।
  2. साइकिल चलाना या कारपूलिंग जैसे विकल्पों को चुनने से न केवल व्यक्तिगत जोखिम कम होता है बल्कि प्रदूषण से लड़ने में सामुदायिक प्रयासों में सकारात्मक योगदान भी मिलता है।
  3. इन सक्रिय कदमों को उठाकर मधुमेह और अस्थमा से पीड़ित लोग अपने स्वास्थ्य पर प्रदूषण के प्रभावों को कम करते हुए अपनी स्थिति से निपट सकते हैं। पर्यावरणीय चुनौतियों के बीच जागरूक जीवनशैली के विकल्प अपनाने से स्वस्थ भविष्य का मार्ग प्रशस्त होता है।

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लेखक के बारे में
Dr. V Mohan
Dr. V Mohan

Dr V Mohan, Chairman of Dr Mohan's Diabetes Specialities Centre and Madras Diabetes Research Foundation. He is also the Chairman of the Madras Diabetes Research Foundation in Chennai which is an ICMR Centre for Advanced Research on Diabetes. Dr. V. Mohan has been treating patients with diabetes & also has contributed to scientific research on diabetes for over 40 years

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