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30 के बाद प्लान कर रहीं हैं प्रेगनेंसी, तो इन 5 जटिलताओं से बचना है जरूरी

मां बनना सिर्फ नौ महीने की ही प्रक्रिया नहीं है। इसकी तैयारी बहुत पहले से शुरू हाे जाती है। इसमें किसी भी तरह की जटिलता से बचने के लिए विशेषज्ञ सुझाव पर ध्यान देना जरूरी है।
गर्भावस्था के दौरान योनि के आस पास की जगह संवेदनशील होती है। चित्र शटरस्टॉक।
अंजलि कुमारी Updated: 22 Apr 2022, 19:56 pm IST
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इस भाग दौड़ भरी जिंदगी में मां बनना (To be mom) एक बड़े टास्क जैसा होता जा रहा है। हायर एजुकेशन और कॅरियर की प्राथमिकता में प्रेगनेंसी के लिए टाइम उम्र के तीसरे दशक में ही मिल पाता है। गर्भधारण करने के लिए सिर्फ कन्सीव करने पर ध्यान देना काफी नहीं होता। मां बनने के लिए आपको शारीरिक ही नहीं, बल्कि मानसिक रूप से भी पूरी तरह तैयार होना पड़ता है। साथ ही उन जटिलताओं से बचना भी जरूरी है, जो उम्र बढ़ने के साथ आपको फेस करनी पड़ सकती हैं। आइए जानते हैं 30 के बाद प्रेगनेंसी में होने वाली मुश्किलें और उनसे बचने के उपाय। 

मां बनना किसी के लिए भी एक खूबसूरत अहसास हो सकता है। परन्तु कभी-कभी हम यह फैसला थोड़ी देर से लेते हैं। आपने सुना होगा कि बढ़ती उम्र के साथ मां बनने की संभावना भी कम होती जाती है। एग काउंट्स के कम होने से लेकर प्रीमेच्योर डिलीवरी जैसी समस्याएं हो सकती हैं। क्या ये सब वाकई सच है या सिर्फ सुनी-सुनाई बातें, यह जानने के लिए हमने एक्सपर्ट से इस मुद्दे पर बात की। तो आइए जानें क्या यह केवल एक मिथ है या सच में बढ़ती उम्र के साथ महिलाओं को प्रेग्नेंसी के दौरान झेलने पड़ते हैं कई कॉम्प्लीकेशन्स। 

इन कारणों से बढ़ती उम्र में मां बनने में होती है समस्या

स्वस्थ गर्भावस्था और उम्र के मसले पर हमने मैत्री वुमेन की संस्थापक, सीनियर कंसल्टेंट गायनेकोलॉजिस्ट और ऑब्सटेट्रिशियन डॉक्टर अंजलि कुमार से बातचीत की। वे इस बारे में कुछ तथ्य साझा करती हैं और कहती हैं, “सभी साइंटिफिक डाटा और रिसर्च को देखते हुए 20 से 30 साल के उम्र की महिलाओं में प्रेगनेंसी ज्यादा सुरक्षित और सफल होती हैं। कम उम्र में एग काउंट अधिक होने के कारण गर्भ धारण करना आसान होता है। साथ ही उम्र बढ़ने के साथ सी सेक्शन डिलीवरी की संभावना ज्यादा बढ़ जाती है। 

ब्लड प्रेशर हाई हो सकता हैं. चित्र: शटरस्‍टॉक

ऐसा नहीं है कि कम उम्र की महिलाओं को प्रेगनेंसी के दौरान कॉम्प्लिकेशंस नहीं आती। पर स्टैटिकली देखा जाए तो यंगर ग्रुप की तुलना में ओल्डर ग्रुप की महिलाओं में ज्यादा कॉम्प्लिकेशन देखने को मिलती हैं। 30 की उम्र से पहले महिलाएं कम समय में और आसानी से गर्भ धारण कर सकती हैं। साथ ही डिलीवरी में भी ज्यादा कॉम्प्लिकेशंस नही आती। 

विशेषज्ञ बता रहीं हैं 30 के बाद प्रेगनेंसी में पेश आने वाली जटिलताएं 

  1. गर्भधारण करने में आती है समस्या

बढ़ती उम्र के साथ महिलाओं के एग काउंट और अंडों की संख्या कम होने लगती है। साथ ही अंडों की गुणवत्ता में भी कमी आ जाती है। इसलिए कम उम्र की तुलना में अधिक उम्र होने पर एग्स को फर्टिलाइज होने में ज्यादा समय लगता है। यह केवल महिलाओं के लिए ही नहीं है, यदि आपके पार्टनर की उम्र ज्यादा है, तो कभी- कभी स्पर्म काउंट की कमी से भी गर्भवती होने में समस्या हो सकती है।

  1. बर्थ डिफेक्ट या कंजेनाइटल डिसऑर्डर का खतरा

बढ़ती उम्र की प्रेगनेंसी में बच्चों में बर्थ डिफेक्ट या कंजेनाइटल डिसऑर्डर जैसी समस्याएं होने की संभावना बढ़ जाती है। बच्चों में मां के गर्भ से ही कंजेनाइटल हार्ट डिजीज की संभावना होती है, जो दिल की दीवारों, वॉल्‍व और वाहिकाओं को प्रभावित कर सकती है। साथ ही जेनेटिक डिफेक्ट्स और अबनॉर्मल बेबी होने के चान्सेस होते हैं।

प्रीमैचोर बेबी का खतरा। चित्र शटरस्टॉक।
  1. मेडिकल कॉम्प्लिकेशंस होने की संभावना

डॉ अंजलि के अनुसार बढ़ती उम्र में प्रेगनेंसी के दौरान महिलाओं में कई स्वास्थ्य जोखिमों का खतरा बढ़ जाता है। जेस्टेशनल डायबिटीज और हाइपर टेंशन जैसी समस्याएं आमतौर पर देखने को मिलती हैं। बढ़ती उम्र में गर्भावस्था के दौरान जेस्टेशनल डायबिटीज परेशानी का कारण बन सकता है। यह प्रीमेच्योर बर्थ की स्थिति पैदा करता है। साथ ही महिलाओं के हाई ब्लड प्रेशर का कारण हो सकता है। जिसकी वजह से आमतौर पर महिलाएं अधिक चिड़चिड़ापन और स्ट्रेस महसूस करती हैं।

  1. प्रीमेच्योर बेबी होने का खतरा

प्रीमेच्योर बेबी वे होते हैं, जिनका जन्म 9 महीने पूरा होने से पहले हो जाता है। ऐसे बच्चों में कई तरह की स्वास्थ्य समस्याएं देखने को मिलती हैं। नॉर्मल बच्चों की तुलना में इनकी इम्युनिटी कम होती है। साथ ही इनके शारीरिक रूप से कमजोर होने का भी जोखिम होता है। ऐसे बच्चों को कोई भी बीमारी जल्दी और आसानी से प्रभावित करती है।

  1. सिजेरियन डिलीवरी की संभावना

युवा महिलाओं की तुलना में 30 और 40 की उम्र के बाद गर्भ धारण करने वाली महिलाओं में ज्यादातर सिजेरियन डिलीवरी देखने को मिलती हैं। परंतु ऐसा जरूरी नहीं है कि सभी अधिक उम्र की महिलाओं को सिजेरियन डिलीवरी ही करवानी पड़े। एक रिसर्च में देखा गया कि कम उम्र की महिलाओं को वेजाइनल डिलीवरी में जितनी समस्या होती है, उससे 5 गुना ज्यादा समस्या ओल्डर ग्रुप की महिलाओं में देखने को मिलती है।

डॉक्टर की निगरानी में प्लान करे प्रेगनेंसी। चित्र शटरस्टॉक।

इस तरह आप सेफ और हेल्दी प्रेगनेंसी प्लान कर सकती हैं 

डॉ. अंजलि कुमार सुझाव देती हैं, कि “ज्यादा चिंता करना समस्या का समाधान नहीं है। यह वास्तविकता है कि अब ज्यादातर लड़किया 30 की उम्र के बाद ही प्रेगनेंसी प्लान करती हैं। हमारे सामने कई उदाहरण हैं, जब 40 और 50 की उम्र में भी महिलाओं ने हेल्दी बच्चे को जन्म दिया। इसलिए बिल्कुल भी घबराएं नहीं, बस प्रेगनेंसी प्लान करने से पहले किसी प्रसूति एवं स्त्री रोग विशेषज्ञ से परामर्श करें। 

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विशेषज्ञ आपको प्रेगनेंसी प्लान करने से पहले कुछ टेस्ट के सुझाव देंगी। ये टेस्ट सेफ प्रेगनेंसी की संभावनाओं की दर का पता लगाने में मदद कर सकते हैं। 

हेल्दी लाइफस्टाइल प्रेगनेंसी की जटिलताओं को कम कर सकता है। इसलिए आप जब भी प्रेगनेंसी प्लान करना चाहें, स्मोकिंग और अल्कोहल जैसी आदतों को छोड़ दें। हालांकि हेल्दी लाइफस्टाइल सिर्फ गर्भावस्था ही नहीं, स्वस्थ जीवन के लिए भी जरूरी है। संतुलित और पौष्टिक आहार एवं व्यायाम आपको प्रेगनेंसी के लिए तैयार होने में मदद करता है। और सबसे जरूरी बात, किसी भी तरह के तनाव का सामना कर रहीं हैं, तो पहले उससे बाहर आने की कोशिश करें।”  

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अंजलि कुमारी

इंद्रप्रस्थ यूनिवर्सिटी से जर्नलिज़्म ग्रेजुएट अंजलि फूड, ब्यूटी, हेल्थ और वेलनेस पर लगातार लिख रहीं हैं। ...और पढ़ें

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