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World Osteoporosis Day : आयुर्वेद में हैं हड्डियों की इस समस्या का कारगर समाधान

उम्र बढ़ने पर सबसे अधिक हड्डियों की समस्या ऑस्टियोपोरोसिस परेशान करती है। इस रोग से बचाव करना है, तो कम उम्र से ही भोजन में शामिल करें कुछ आयुर्वेदिक सामग्रियों को।
बढ़ती उम्र में ऑस्टियोपोरोसिस से रहें सावधान! चित्र:शटरस्टॉक
स्मिता सिंह Updated: 20 Oct 2022, 15:55 pm IST
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खानपान की ख़राब आदतों और धूप में नहीं बैठने के कारण सबसे अधिक हमारी हड्डियां प्रभावित होती हैं। वे कमजोर हो जाती हैं। पोस्ट मेनोपॉज में हार्मोनल इमबैलेंस के कारण स्थिति और भी बिगड़ जाती है। इस समय तो हड्डियों में टूटफूट भी शुरू हो जाती है। जानकारी के अभाव में हम इस ओर ध्यान नहीं दे पाते हैं। आयुर्वेद मानता है कि यदि अपने लाइफस्टाइल को सुधार लिया जाये और खानपान में आयुर्वेदिक सामग्रियों को शामिल किया जाए, तो ऑस्टियोपोरोसिस की समस्या से बचाव हो सकता है। ऑस्टियोपोरोसिस की समस्या और उसके निदान के प्रति जागरूकता लाने के लिए ही विश्व ऑस्टियोपोरोसिस दिवस मनाया जाता है। आइये सबसे पहले इस दिवस के बारे में जानते हैं।

विश्व ऑस्टियोपोरोसिस दिवस(World Osteoporosis Day-20 October)

विश्व ऑस्टियोपोरोसिस दिवस हर वर्ष 20 अक्टूबर को मनाया जाता है। ऑस्टियोपोरोसिस और मेटाबोलिक बोन डिजीज की रोकथाम, निदान और उपचार के बारे में वैश्विक जागरूकता लाने के लिए विश्व ऑस्टियोपोरोसिस दिवस (World Osteoporosis Day) मनाया जाता है। इस अवसर पर अंतर्राष्ट्रीय ऑस्टियोपोरोसिस फाउंडेशन द्वारा कई जागरुकता अभियान और कार्यक्रम संचालित किये जाते हैं । इसके तहत 90 से अधिक देशों में ऑस्टियोपोरोसिस पर अद्धारित कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं।

हड्डियों में टूटफूट शुरू होना है ऑस्टियोपोरोसिस का पहला लक्षण

ऑस्टियोपोरोसिस के कारण हड्डियां कमजोर और टूट-फूट वाली हो जाती हैं।  हड्डियां इतनी कमजोर हो जाती हैं कि गिरने या थोडा बहुत झुकने या खांसने-छींकने से भी ये टूट सकती हैं। ऑस्टियोपोरोसिस के कारण कूल्हे, कलाई या रीढ़ की हड्डी में भी फ्रैक्चर हो जाता है। इसके कारण बैक पेन हो सकता है और स्पाइन मुड़ सकती है।

ऑस्टियोपोरोसिस से बचाव में मददगार आयुर्वेद

आयुर्वेद हड्डियों को नाजुक होने से बचा सकता है। पबमेड की रिसर्च भी आयुर्वेद को कुछ हद तक ऑस्टियोपोरोसिस से बचाव में मददगार मानती है। आयुर्वेदिक दवाएं ऑस्टियोपोरोसिस को दूर करने के लिए ली जा रही दवाओं के साथ मिलकर काम कर सकती हैं।

यहां हैं उन आयुर्वेदिक सामग्रियों की जानकारी, जिन्हें डाइट में शामिल करने से ऑस्टियोपोरोसिस से बचाव हो सकता है

1 घी को शामिल करें डाइट में (add ghee in diet)

आयुर्वेद विशेषज्ञ डॉ. केशव चौहान कहते हैं, घी में विटामिन ए, के, ई जैसे पोषक तत्व पाए जाते हैं। इनके अलावा इसमें ओमेगा-3, ओमेगा-9 फैटी एसिड जैसे हेल्दी फैट मौजूद हैं। घी किसी भी प्रकार के इन्फ्लेमेशन को रोकता है। इन्फ्लेमेशन बोन लॉस को बढा देता है। घी इसे रोकता है। साथ ही घी वात को बैलेंस करता है। घी के अलावा, बोन हेल्थ के लिए गुड फैट वाले आयल, एवोकाडो और फैटी फिश का भी सेवन बढ़ा सकती हैं।’

2 हड्डियों का दोस्त अश्वगंधा हर्ब (Bone friend ashwagandha herb)

अश्वगंधा हड्डियों का दोस्त कहलाता है। आयरन, कैल्शियम और विटामिन सी से भरपूर यह ऑस्टियोपोरोसिस के प्रमुख कारक हार्मोनल इमबैलेंस को ठीक करता है। यह बॉन टिश्यू प्रोडूस करने वाले सेल की संख्या को बढ़ा देता है। यह बोन कैल्सिफिकेशन में भी मदद करता है।

बोन डेंसिटी के लिए हल्दी (turmeric for bone health)

डॉ. केशव कहते हैं, ‘ कैल्शियम, फाइबर, आयरन, कॉपर, जिंक, फास्फोरस जैसे मिनरल्स से भरपूर होती है हल्दी। इसमें विटामिन सी, विटामिन ई और विटामिन बी-6 भी पाए जाते हैं। यह बोन रीअब्जोर्बशन को घटा देती है।

पोषक तत्वों से भरपूर  हल्दी हड्डियों को मजबूत बनती है । चित्र शटरस्टॉक।

इससे बोन डेंसिटी देर से घटती है।’

वात एनर्जी वाला अदरक (Ginger for vat balance) 

बैकटीरिया और वायरस से लड़ने में कारगर अदरक विटामिन सी, मैंगनीज, क्रोमियम, कैल्शियम, फॉस्फोरस, आयरन, जिंक, कॉपर से भरपूर होता है। यह वात एनर्जी को संतुलित करता है। यह इन्फ्लेमेशन को रोकता है और हड्डियों को स्वस्थ रखता है।

फल और सब्जियां (fruits and vegetables) 

आयुर्वेद के अनुसार, सेब, नाशपाती, केला, अंगूर, पपीता, तरबूज जैसे फल हड्डियों को मजबूत बनाते हैं।

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हरी पत्तेदार सब्जियों को करें अपनी डाइट में शामिल। चित्र : शटरकॉक

बीन, हरी पत्तीदार सब्जियां, पालक, मूली, गाजर बॉन हेल्थ के लिए जरूरी है। नारियल तेल, ओलिव आयल, काजू, तिल, अलसी वात को संतुलित कर हड्डियों को मजबूत बनाते हैं।

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स्मिता सिंह

स्वास्थ्य, सौंदर्य, रिलेशनशिप, साहित्य और अध्यात्म संबंधी मुद्दों पर शोध परक पत्रकारिता का अनुभव। महिलाओं और बच्चों से जुड़े मुद्दों पर बातचीत करना और नए नजरिए से उन पर काम करना, यही लक्ष्य है। ...और पढ़ें

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