खानपान की ख़राब आदतों और धूप में नहीं बैठने के कारण सबसे अधिक हमारी हड्डियां प्रभावित होती हैं। वे कमजोर हो जाती हैं। पोस्ट मेनोपॉज में हार्मोनल इमबैलेंस के कारण स्थिति और भी बिगड़ जाती है। इस समय तो हड्डियों में टूटफूट भी शुरू हो जाती है। जानकारी के अभाव में हम इस ओर ध्यान नहीं दे पाते हैं। आयुर्वेद मानता है कि यदि अपने लाइफस्टाइल को सुधार लिया जाये और खानपान में आयुर्वेदिक सामग्रियों को शामिल किया जाए, तो ऑस्टियोपोरोसिस की समस्या से बचाव हो सकता है। ऑस्टियोपोरोसिस की समस्या और उसके निदान के प्रति जागरूकता लाने के लिए ही विश्व ऑस्टियोपोरोसिस दिवस मनाया जाता है। आइये सबसे पहले इस दिवस के बारे में जानते हैं।
विश्व ऑस्टियोपोरोसिस दिवस हर वर्ष 20 अक्टूबर को मनाया जाता है। ऑस्टियोपोरोसिस और मेटाबोलिक बोन डिजीज की रोकथाम, निदान और उपचार के बारे में वैश्विक जागरूकता लाने के लिए विश्व ऑस्टियोपोरोसिस दिवस (World Osteoporosis Day) मनाया जाता है। इस अवसर पर अंतर्राष्ट्रीय ऑस्टियोपोरोसिस फाउंडेशन द्वारा कई जागरुकता अभियान और कार्यक्रम संचालित किये जाते हैं । इसके तहत 90 से अधिक देशों में ऑस्टियोपोरोसिस पर अद्धारित कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं।
ऑस्टियोपोरोसिस के कारण हड्डियां कमजोर और टूट-फूट वाली हो जाती हैं। हड्डियां इतनी कमजोर हो जाती हैं कि गिरने या थोडा बहुत झुकने या खांसने-छींकने से भी ये टूट सकती हैं। ऑस्टियोपोरोसिस के कारण कूल्हे, कलाई या रीढ़ की हड्डी में भी फ्रैक्चर हो जाता है। इसके कारण बैक पेन हो सकता है और स्पाइन मुड़ सकती है।
आयुर्वेद हड्डियों को नाजुक होने से बचा सकता है। पबमेड की रिसर्च भी आयुर्वेद को कुछ हद तक ऑस्टियोपोरोसिस से बचाव में मददगार मानती है। आयुर्वेदिक दवाएं ऑस्टियोपोरोसिस को दूर करने के लिए ली जा रही दवाओं के साथ मिलकर काम कर सकती हैं।
आयुर्वेद विशेषज्ञ डॉ. केशव चौहान कहते हैं, घी में विटामिन ए, के, ई जैसे पोषक तत्व पाए जाते हैं। इनके अलावा इसमें ओमेगा-3, ओमेगा-9 फैटी एसिड जैसे हेल्दी फैट मौजूद हैं। घी किसी भी प्रकार के इन्फ्लेमेशन को रोकता है। इन्फ्लेमेशन बोन लॉस को बढा देता है। घी इसे रोकता है। साथ ही घी वात को बैलेंस करता है। घी के अलावा, बोन हेल्थ के लिए गुड फैट वाले आयल, एवोकाडो और फैटी फिश का भी सेवन बढ़ा सकती हैं।’
अश्वगंधा हड्डियों का दोस्त कहलाता है। आयरन, कैल्शियम और विटामिन सी से भरपूर यह ऑस्टियोपोरोसिस के प्रमुख कारक हार्मोनल इमबैलेंस को ठीक करता है। यह बॉन टिश्यू प्रोडूस करने वाले सेल की संख्या को बढ़ा देता है। यह बोन कैल्सिफिकेशन में भी मदद करता है।
डॉ. केशव कहते हैं, ‘ कैल्शियम, फाइबर, आयरन, कॉपर, जिंक, फास्फोरस जैसे मिनरल्स से भरपूर होती है हल्दी। इसमें विटामिन सी, विटामिन ई और विटामिन बी-6 भी पाए जाते हैं। यह बोन रीअब्जोर्बशन को घटा देती है।
इससे बोन डेंसिटी देर से घटती है।’
बैकटीरिया और वायरस से लड़ने में कारगर अदरक विटामिन सी, मैंगनीज, क्रोमियम, कैल्शियम, फॉस्फोरस, आयरन, जिंक, कॉपर से भरपूर होता है। यह वात एनर्जी को संतुलित करता है। यह इन्फ्लेमेशन को रोकता है और हड्डियों को स्वस्थ रखता है।
आयुर्वेद के अनुसार, सेब, नाशपाती, केला, अंगूर, पपीता, तरबूज जैसे फल हड्डियों को मजबूत बनाते हैं।
बीन, हरी पत्तीदार सब्जियां, पालक, मूली, गाजर बॉन हेल्थ के लिए जरूरी है। नारियल तेल, ओलिव आयल, काजू, तिल, अलसी वात को संतुलित कर हड्डियों को मजबूत बनाते हैं।
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