मौसम बदल रहा है। कभी तेज धूप, तो कभी ठंड। तापमान में उतार-चढ़ाव सांस संबंधी समस्याएं बढ़ा देता है। खासकर अस्थमा से पीड़ित लोगों के लिए इन दिनों समस्याएं और भी ज्यादा बढ़ जाती हैं। शुष्क हवा और कम तापमान के कारण उन्हें सांस लेने में तकलीफ होने लगती है। अस्थमा को स्वास्थ्य के लिए गंभीर समस्या माना जा रहा है। हाल ही में सामने आई एक स्टडी में बताया गया है कि अस्थमा के कारण हृदय संबंधी समस्याओं (asthma and heart attack risk) का जोखिम भी बढ़ जाता है। आइए जानते हैं कैसे।
वर्ष 2017 में एनाल्स ऑफ़ सऊदी मेडिसिन जर्नल में अस्थमा और हृदय रोग के संबंधों पर एक शोध आलेख प्रकाशित हुआ। इसे मिंगझू जू, जियालियांग जू और जियांगजुन यांग ने अपने शोध के आधार पर लिखा था। इसमें इस विषय पर किये गये दस अध्ययनों के निष्कर्ष को भी शामिल किया गया।
इसके आधार पर यह निष्कर्ष निकाला गया कि महिलाओं में अस्थमा के कारण हृदय रोग का जोखिम 1.33, वहीं पुरुषों में यह 1.55 तक बढ़ जाता है। इसके परिणाम बताते हैं कि अस्थमा सीवीडी और मृत्यु दर के बढ़ते जोखिम से भी जुड़ा हुआ है। इस रिसर्च के अनुसार, यदि किसी व्यक्ति को एक्टिव अस्थमा है, तो कार्डियोवैस्कुलर इवेंट जैसे कि हार्ट अटैक, स्ट्रोक या किसी भी समस्या की संभावना बढ़ जाती है।
शोध बताते हैं कि किसी भी व्यक्ति में अस्थमा के विकास के कई कारक हो सकते हैं। आम और प्रमुख कारकों में माता-पिता का अस्थमा से पीड़ित होना है। साथ ही किसी व्यक्ति के श्वसन तंत्र में गंभीर संक्रमण होने पर भी अस्थमा की समस्या हो सकती है। एलर्जी की स्थिति में किसी प्रकार के केमिकल या डस्ट पार्टिकल के सम्पर्क में आने पर भी अस्थमा होने की संभावना बढ़ सकती है।
एनाल्स ऑफ़ सऊदी मेडिसिन जर्नल के शोध आलेख बताते हैं, ‘अस्थमा एक वैश्विक स्वास्थ्य समस्या हो गई है। यह दुनिया भर में बढ़ रही है और सभी उम्र के लोगों को प्रभावित कर रही है। अस्थमा होने पर स्वसन तंत्र के एयरवे हाइपर सेंसिटिव हो जाते हैं। इससे रिवर्सेबल एयर में बाधा भी उत्पन्न होने लगती हैं। इसके कारण सीने में जकड़न, सांस फूलना, बार-बार घरघराहट जैसी आवाज आना और समय के साथ लगातार खांसी होना भी शामिल है।
अस्थमा एक ऐसी बीमारी है, जिसमें आमतौर पर वायुमार्ग में सूजन भी हो जाती है। कई अध्ययन बताते हैं कि दमा, एथेरोस्क्लेरोसिस और एंडोथेलियल डिसफंक्शन के लिए इन्फ्लेमेट्री रिएक्शन जिम्मेदार हैं। क्रोनिक इन्फ्लेमेट्री डिजीज को अस्थमा और कार्डियोवैस्कुलर डिजीज के बीच लिंक माना गया। क्रोनिक एयरवे इन्फ्लेमेशन सिस्टेमेटिक इन्फ्लेमेशन और कार्डियो डिजीज दोनों को बढ़ावा देता है।दरअसल, अस्थमा में जब वायुमार्ग में सूजन आ जाती है, तो उन्हें संकीर्ण कर देती है। इससे सांस लेने में कठिनाई होती है।
उपचार नहीं होने पर अस्थमा अनियंत्रित हो सकता है। इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं। पीड़ित व्यक्ति को अस्थमा के दौरे पड़ने लग जा सकते हैं। इसके लिए कॉर्टिकोस्टेरॉइड ओरल रूप से दिया जाना जरूरी है। कभी-कभी इमरजेंसी रूम में भी जाने या अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता पड़ सकती है। अस्थमा की समस्या बढ़ने पर व्यक्ति को दिन में कई बार रेस्क्यू इनहेलर की जरूरत पड़ सकती है।
यह अध्ययन इस ओर इशारा करता है कि यदि किसी व्यक्ति को अस्थमा की समस्या है, तो उसमें मृत्यु दर का खतरा बढ़ जाता है। इस अध्ययन के डेटा अस्थमा के रोगियों में शुरूआती दौर में ही अस्थमा की पहचान करने और आगे ट्रीटमेंट की आवश्यकता का संकेत देते हैं।
इलाज नहीं होने की स्थिति में संभावित कार्डियोवैस्कुलर कॉम्प्लीकेशन बढ़ जाते हैं। इसमें मृत्यु होने की संभावना बढ़ सकती है।
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