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इस स्‍टडी के अनुसार प्रदूषित हवा में रहने वाले बच्चों में बढ़ जाता है मानसिक बीमारियों का जोखिम

प्रदूषण आज के समय में वैश्विक स्तर की समस्या है, जिसके दुष्परिणाम हम सभी देख सकते हैं। लेकिन वायु प्रदूषण का दिमाग के विकास पर प्रभाव खोजने वाली यह एकमात्र स्टडी है। आइये जानते हैं क्या कहती है यह स्टडी।
Updated On: 10 Dec 2020, 12:28 pm IST
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bacchon me rickets
लॉकडाउन में घर में बंद रहना भी रिकेट्स का एक कारण है । चित्र: शटरस्‍टॉक

सर्दियां आने वाली हैं और दिल्ली एनसीआर में रहने वाले सभी लोग जानते हैं कि सर्दियां अपने साथ लाती हैं घातक स्मोग। यह स्मोग प्रदूषण के कारण होता है, जो आंखों में जलन से लेकर सांस सम्बंधी बीमारी तक फैलाता है।

दुर्भाग्य से, देश भर में प्रदूषण की यही स्थिति है जिसके कारण तरह तरह की बीमारियां हो रही हैं। अस्थमा जैसी श्वास सम्बंधी बीमारियों के बारे में तो हमें जानकारी थी, लेकिन दिमाग के विकास पर प्रदूषण के प्रभाव से जुड़ी यह नई जानकारी सामने आई है।

एक नवीन शोध के अनुसार जो बच्चे प्रदूषित हवा में सांस लेते हैं उनमें मोटर न्यूरॉन्स डिजीज, पार्किंसन और अल्जाइमर ऐसी मानसिक बीमारियां हो सकती हैं।

बच्‍चों में नेल बाइटिग तनाव का भी संकेत हो सकती है। चित्र: शटरस्‍टाॅक
वायु प्रदूषण बढ़ा सकता है आपके बच्‍चों में मानसिक बीमारियों का जोखिम। चित्र: शटरस्‍टाॅक

क्या कहती है यह स्टडी

मेक्सिको के नेशनल हेल्थ सेंटर द्वारा किये गए अध्ययन में सामने आया कि किस तरह प्रदूषण बच्चों में पार्किंसन और अल्जाइमर जैसी बीमारियों का जोखिम बढ़ा रहा है।
शोधकर्ताओं ने मेक्सिको सिटी के 11 महीने से लेकर 27 वर्ष तक के लोगों के ब्रेन स्टेम सेल्स लिए और उनके स्ट्रक्चर को स्टडी किया। इस स्टडी के लिए मेक्सिको सिटी के प्रदूषित क्षेत्रों से 186 लोगों के सैम्पल लिए गए।

इन सैम्पल को देखने पर शोधार्थियों ने पाया कि प्रदूषण के कारण अल्जाइमर और पार्किंसन जैसी मानसिक बीमारियों की संभावना बढ़ जाती है क्योंकि प्रदूषण दिमाग के विकास को बाधित करता है। गाड़ियों से निकलने वाला धुंआ इस मामले में सबसे अधिक खतरनाक है।

अलग-अलग उम्र के बच्‍चे इस पर अलग तरह से रिएक्‍ट करते हैं। चित्र : शटरस्टॉक
अलग-अलग उम्र के बच्‍चे इस पर अलग तरह से रिएक्‍ट करते हैं। चित्र : शटरस्टॉक

आप इस समस्या से बचने के लिए क्या कदम उठा सकते हैं?

सबसे जरूरी बात, जो हम सभी को समझनी चाहिए, वह यही है कि प्रदूषण कम करना ही अपने बच्चों को इसके दुष्परिणामो से बचाने का एकमात्र तरीका है। आपका छोटा सा कदम प्रदूषण पर असर डालता है। जितना अधिक हो सके, प्रदूषण कम करने का प्रयास करें। कार पूल और पब्लिक ट्रांसपोर्ट का इस्तेमाल करें। अगर अकेले ट्रेवल करना है तो गाड़ी का इस्तेमाल ना करें। अधिक से अधिक पेड़ लगाएं। कूड़ा जलाएं नहीं, बिजली बर्बाद ना करें और जल संरक्षण के लिए कदम उठाएं।

इसके अतिरिक्त यह कुछ कदम हैं जो आप तुरन्त उठा सकती हैं-

1. मास्क तो कोविड-19 के चलते सभी लगा ही रहे हैं। लेकिन क्या आप जानती हैं कि मास्क आपको प्रदूषण से भी बहुत हद तक बचाता है। बाहर निकलते वक्त मास्क पहनना कभी न भूलें, क्योंकि यह आपको दो दो जानलेवा बीमारियों से बचा रहे हैं।

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प्रदूषण से बचने के लिए आप क्या करते हैं?
एलोवेरा प्‍लांट आपके घर के अंदर के वातावरण को प्‍यूरीफाई करता है। चित्र: शटरस्‍टॉक

2. अच्छी डाइट लें, क्योंकि अगर आप अंदर से स्वस्थ होंगे तो बाहरी प्रदूषण से आपको कम नुकसान पंहुचेगा। आपका स्वास्थ्य अच्छा नहीं होगा तो प्रदूषण आपको अधिक प्रभावित करेगा।

3. घर में एयर प्यूरीफायर का इस्तेमाल करें। बाहर ही नहीं, आपके घर की हवा में भी प्रदूषण है। कम से कम आप घर पर तो एयर प्यूरीफायर इस्तेमाल कर के प्रदूषण के दुष्प्रभाव को कम कर सकती हैं। अगर घर में छोटा बच्चा है तब तो एयर प्यूरीफायर जरूर होना चाहिए।

डिस्क्लेमर: हेल्थ शॉट्स पर, हम आपके स्वास्थ्य और कल्याण के लिए सटीक, भरोसेमंद और प्रामाणिक जानकारी प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। इसके बावजूद, वेबसाइट पर प्रस्तुत सामग्री केवल जानकारी देने के उद्देश्य से है। इसे विशेषज्ञ चिकित्सा सलाह, निदान या उपचार का विकल्प नहीं माना जाना चाहिए। अपनी विशेष स्वास्थ्य स्थिति और चिंताओं के लिए हमेशा एक योग्य स्वास्थ्य विशेषज्ञ से व्यक्तिगत सलाह लें।

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लेखक के बारे में
विदुषी शुक्‍ला
विदुषी शुक्‍ला

पहला प्‍यार प्रकृति और दूसरा मिठास। संबंधों में मिठास हो तो वे और सुंदर होते हैं। डायबिटीज और तनाव दोनों पास नहीं आते।

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