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नियासिन या विटामिन बी की अधिकता भी बढ़ा सकती है हार्ट डिजीज का जोखिम, जानिए कैसे

शारीरिक स्वास्थ्य के लिए विटामिन बी 3 और नियासिन बेहद जरूरी हैं। इसकी कमी से कई तरह के रोग हो सकते हैं। हालिया शोध बताते हैं कि नियासिन या विटामिन बी की अधिकता हार्ट डिजीज के जोखिम को बढ़ा सकता है।
Published On: 25 Mar 2024, 05:00 pm IST
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परिवार में फैमीलियल हाइपरकोलेस्ट्रोलेमिया के मामले होने से एलडीएल कोलेस्ट्रॉल का जोख्मि बना रहता है। चित्र : एडॉबी स्टॉक

हालिया शोध बताते हैं कि नियासिन या विटामिन बी की अधिकता हार्ट डिजीज के जोखिम को बढ़ा सकता है। विटामिन बी फिजिकल हेल्थ के लिए बहुत जरूरी है। इसकी कमी होने से कई तरह की स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं। इसकी अधिकता भी नुकसानदेह है। विटामिन बी कई तरह के रोगों से बचाव करता है। शोध से पता चलता है कि विटामिन बी या नियासिन की बहुत अधिक मात्रा हृदय रोग में योगदान कर सकती है। जानते हैं क्या कहता ( Niacin and heart disease risk) है शोध?

विटामिन बी 3 की अधिकता से हार्ट डिजीज की संभावना (Niacin overdose can cause Heart disease)

हाल में नेचर मेडिसिन में विटामिन बी पर स्टडी प्रकाशित की गई। अध्ययन में पाया गया कि विटामिन बी का हाई लेवल कई तरह के हृदय रोगों का कारण बन सकता है। विटामिन बी 3 और दिल का दौरा, स्ट्रोक या अन्य खतरनाक हृदय संबंधी घटना के विकास के जोखिम के बीच एक मजबूत संबंध ( Niacin and heart disease risk) पाया गया।
अमेरिका के नेशनल हेल्थ रिसर्च के शोधकर्ताओं ने पाया कि एक्स्ट्रा नियासिन सूजन को ट्रिगर करके सीधे हृदय स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकता है। इससे ब्लड वेसल्स की दीवारें मोटी हो सकती हैं। यह गाढ़ापन ब्लड फ्लो को प्रतिबंधित कर सकता है। यह संभावित रूप से हृदय सहित ऊतकों और अंगों को नुकसान पहुंचा सकता है।

किन खाद्य पदार्थों में पाया जाता है नियासिन (Niacin in foods)

नियासिन या विटामिन बी-3 अक्सर डेली मल्टीविटामिन का हिस्सा होता है। यह नर्वस सिस्टम, पाचन तंत्र और स्किन को स्वस्थ रखने में मदद करता है। ज्यादातर लोगों को उनके द्वारा खाए जाने वाले भोजन से पर्याप्त नियासिन मिलता है। नियासिन से भरपूर खाद्य पदार्थों में खमीर, दूध, मांस, टॉर्टिला और अनाज शामिल हैं। नियासिन या विटामिन बी3 मांस, मछली से लेकर केले और फोर्टिफाइड ब्रेड तक कई खाद्य पदार्थों में पाया जाता है। आटे और अनाज जैसे कुछ गरिष्ठ खाद्य पदार्थों में नियासिन मौजूद होते हैं। ज्यादातर लोगों को नियासिन सप्लीमेंट लेने की जरूरत नहीं पड़ती है, क्योंकि आहार से पर्याप्त मात्रा मिल जाती है।

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नियासिन या विटामिन बी-3 नर्वस सिस्टम, पाचन तंत्र और स्किन को स्वस्थ रखने में मदद करता है।चित्र : शटरस्टॉक

हृदय स्वास्थ्य को कैसे प्रभावित करता है नियासिन (Niacin affect heart health)

शोधकर्ता ब्लड में किसी ऐसे मार्कर की तलाश करना चाहते थे, जो हृदय रोग के लिए नए जोखिम कारकों को प्रकट कर सके। इसके लिए 1,162 रोगियों के ब्लड के नमूनों का विश्लेषण किया गया। कुछ ब्लड नमूनों में 4 पीवाई (4PY-pyrophosphate) पाया गया। यह एक पदार्थ है, जो केवल अतिरिक्त नियासिन होने पर उत्पन्न होता है।

उन्होंने पाया कि जिन लोगों के ब्लड में 4पीवाई है, उनमें दिल का दौरा, स्ट्रोक या अन्य प्रतिकूल हृदय संबंधी घटना होने की संभावना अधिक होती है। जो लोग अल्कोहल का सेवन अधिक मात्रा में करते हैं, तो उन्हें नियासिन या विटामिन बी 3 की कमी हो सकती है।

नियासिन की अनुशंसित मात्रा (Niacin or Vitamin B recommended dose)

जर्नल ऑन विटामिन के शोध के अनुसार, वयस्कों के लिए नियासिन की रेकमेंड की गई मात्रा 14-18 मिलीग्राम/दिन है। हाई डोज़ नियासिन (1,500-2,000 मिलीग्राम/दिन) दिल के दौरे या स्ट्रोक के खतरे को बढ़ा सकता है।नियासिन का हाई डोज (50 मिलीग्राम या अधिक) साइड इफ़ेक्ट पैदा कर सकता है।

नियासिन फ्लश भी इसके कारण होने वाला साइड इफ़ेक्ट है। यह चेहरे और छाती में जलन, झुनझुनी और रेड स्किन का कारण बन सकता है। नियासिन लेने के 30 मिनट पहले एस्पिरिन लेने से इसके लक्षण को कम करने में मदद मिल सकती है।

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वयस्कों के लिए नियासिन की रेकमेंड की गई मात्रा 14-18 मिलीग्राम/दिन है। चित्र : शटरस्टॉक

कमी से हो सकते हैं रोग (Niacin deficiency causes diseases)

नियासिन (विटामिन बी3) की कमी से पेलाग्रा रोग हो सकता है। पेलाग्रा में ट्रिपल डी (डिजीज) यानी डर्मेटाइटिस, डिमेंशिया और डायरिया हो सकता है। इसके परिणामस्वरूप व्यक्ति की मृत्यु भी हो सकती है। इसके अलावा, नियासिन की कमी (Niacin and heart disease risk) जेनेटिक डिसऑर्डर, खराब अवशोषण जैसी स्वास्थ्य समस्या हो सकती है।

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लेखक के बारे में
स्मिता सिंह
स्मिता सिंह

स्वास्थ्य, सौंदर्य, रिलेशनशिप, साहित्य और अध्यात्म संबंधी मुद्दों पर शोध परक पत्रकारिता का अनुभव। महिलाओं और बच्चों से जुड़े मुद्दों पर बातचीत करना और नए नजरिए से उन पर काम करना, यही लक्ष्य है।

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