भारत में कैनबिस या गांजा का प्रयोग दर्द को दूर करने के लिए वर्षों से किया जाता रहा है। इसकी औषधीय क्षमता को देखते हुए कैनबिस का प्रयोग दुनिया भर में बढ़ा है। पुराने दर्द ( chronic pain) में राहत पहुंचाने के लिए अमेरिका में भी कैनबिस का प्रयोग बढ़ा है। हालांकि इसे मेडिकल स्टोर में रखने से पहले लायसेंस लेना जरूरी होता है। साथ ही डॉक्टर का प्रेस्क्रिपशन भी। कैनबिस पुराने दर्द से राहत (Cannabis for chronic pain relief) दिलाने में कितना कारगर हो सकता है, यह जानने के लिए इस पर कई शोध हुए हैं।
कैनबिस या गांजा को मारिजुआना (cannabis marijuana) के नाम से भी जाना जाता है। इसके बीज, छाल और पत्तियों का उपयोग सदियों से पारंपरिक दवाओं के रूप में किया जाता रहा है। हालांकि लोग इसे नशे के तौर पर भी प्रयोग करते हैं, जो गैर कानूनी है। कई स्टडी में यह बात साबित हो चुकी है कि पुराने दर्द को दूर करने में कैनबिस मदद कर सकता है।
स्टेट पर्ल्स पब्लिशिंग में अमेरिका के नासाउ यूनिवर्सिटी मेडिकल सेंटर के सुखदीप बैंस और वील कॉर्नेल मेडिकल सेंटर के तैफ मुखडोमी शोधकर्ताओं के शोध आलेख प्रकाशित हुए। यह आलेख पुराने दर्द में कैनबिस के नैदानिक अध्ययन के तंत्र पर प्रकाश डालता है।
कैनबिस में बड़ी संख्या में कंपाउंड पाए जाते हैं। इनमें से 60 औषधीय रूप से सक्रिय कैनबिनोइड्स होते हैं।ये शरीर में एंडोजीनस कैनबिनोइड रिसेप्टर्स पर कार्य करते हैं। उच्चतम कंसंट्रेशन वाले प्राथमिक यौगिक टेट्राहाइड्रोकैनाबिनोल (THC) और कैनबिडिओल (CBD) हैं। एंडोकैनाबिनॉइड रिसेप्टर्स के दो प्राथमिक प्रकार हैं: कैनबिनोइड रिसेप्टर्स टाइप 1 (CB1) और कैनबिनोइड रिसेप्टर्स टाइप 2 (CB2)।
दोनों रिसेप्टर्स को जी-प्रोटीन रिसेप्टर्स के रूप में वर्गीकृत किया गया है। CB1 रिसेप्टर्स सेंट्रल नर्वस सिस्टम में होता है। ये विशेष रूप से दर्द कम करने के लिए काम करते हैं। इसके विपरीत CB2 रिसेप्टर्स मुख्य रूप से पेरीफेरी यानी परिधि में होते हैं। ये प्रतिरक्षा और हेमेटोलॉजिकल सिस्टम में सूजन कम करने में सहायता करते हैं। ये रेसेपटर डोपामिनर्जिक फ़ंक्शन को बदल देते हैं। इससे दर्द के रास्ते प्रभावित होते हैं।
यह शोध बताता है कि किसी भी अन्य दवा की तरह औषधीय कैनाबिस से जुड़े कई प्रतिकूल प्रभाव हैं। इसके कारण चिंता, घबराहट, भटकाव, बिगड़ा हुआ ध्यान, अल्पकालिक स्मृति शामिल हैं।
5000 साल पहले से मारिजुआना का प्रयोग होता आया है। इसका उपयोग चीनी चिकित्सकों द्वारा प्रसव से जुड़े दर्द, जोड़ों से जुड़े दर्द, मलेरिया और यहां तक कि कब्ज के इलाज के लिए किया जाता था। संयुक्त राज्य अमेरिका के फार्माकोपिया में हुए उल्लेख के अनुसार इसका उपयोग 19वीं और 20वीं शताब्दी में व्यापक रूप से होता रहा है।
पिछले कुछ वर्षों में पुराने दर्द के इलाज में औषधीय कैनबिस की प्रभावशीलता को जांचने के लिए कई अध्ययन हुए। पबमेड सेंट्रल में शामिल एक शोध आलेख के अनुसार, एक अध्ययन में 984 क्रोनिक पेन वाले रोगियों को शामिल किया गया। इनमें न्यूरोपैथिक दर्द, पीठ दर्द, गठिया, सर्जरी के बाद का दर्द, सिरदर्द और पेट दर्द वाले रोगियों को शामिल किया गया।
इस विशेष अध्ययन में दो-तिहाई रोगियों ने कैनबिस के उपयोग के मुख्य लाभ के रूप में दर्द से राहत की सूचना दी। रोगियों ने इससे बेहतर नींद मिलने का लाभ भी बताया।
पबमेड में शामिल एक अन्य अध्ययन में भी कैनबिस के वैकल्पिक चिकित्सा के रूप में उपयोग करने पर पुराने दर्द रोगियों में 64% की कमी दिखाई। इन रोगियों ने कुछ दुष्प्रभावों के अनुभव होने के साथ-साथ जीवन की गुणवत्ता में भी सुधार की बात कही।
एक दूसरे अध्ययन ने भी पुराने गैर-कैंसर दर्द, न्यूरोपैथिक दर्द, सिरदर्द और एलोडोनिया के इलाज में चिकित्सा कैनबिस की प्रभावशीलता पर प्रकाश डाला। लेकिन औषधीय कैनाबिस आंतों के दर्द के इलाज के लिए प्लेसबो से अधिक प्रभावी नहीं था।
आम लोगों के लिए भारत में कैनबिस की खेती या कैनबिस का प्रयोग कानूनी रूप से निषिद्ध है। आदित्य बिड़ला मेमोरियल हॉस्पिटल, पुणे के जनरल फिजिशियन और नेफ्रोलॉजिस्ट डॉ. रंजीत कुमार यादव बताते हैं, “भारत में कैनबिस पूरी तरह प्रतिबंधित हैं। मेडिसनल यूज के लिए सरकार से लाइसेंस लेना जरूरी होता है।
कैनबिस का इस्तेमाल कभी भी सीधे तौर पर नहीं किया जा सकता है। यह मादक पदार्थों(Opioids) की श्रेणी में आता है। इसका प्रयोग टेबलेट या इंजेक्शन के तौर पर किया जाता है।
मरीज को बेहोश करने के लिए इसका प्रयोग अधिक किया जाता है। पेशेंट को बेहोश करने और दर्दनिवारक (Analgesic) के तौर पर कैनबिस दिया जाता है।’ इसे माॅर्फीन इंजेक्शन और फैंटानिल इंजेक्शन के तौर पर दिया जाता है, जो पेनकिलर्स के रूप में जाने जाते हैं।
यह ट्रामाडोल के रूप में भी प्रयोग किया जाता है। ट्रामाडोल गंभीर दर्द से राहत दिलाता है। ट्रामाडोल मुख्य रूप से मस्तिष्क के दर्द रिसेप्टर को बाधित कर देता है, जिससे दर्द का एहसास नहीं हो पाता है।
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