ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस (HMPV), एक रेस्पिरेटरी वायरस है, 2001 में पहली बार इस वायरस की पहचान की गई थी। एक बार फिर खतरे के रूप में सामने आया है। इसके मामले भारत में बढ़ रहे है। तमिलनाडु, कर्नाटक और अहमदाबाद में इसके मामले सामने आए हैं। हालांकि, ज्यादातर बच्चों में इसका अधिक खतरा है, पर राहत की बात यह है की ये कोई नया वायरस नहीं है। HMPV कई सालों से दुनिया भर में फैल रहा है। HMPV बच्चों के साथ सभी आयु समूहों को संक्रमित कर सकता है, और यह एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में ट्रांसमिट हो सकता है। इसलिए, इसके प्रसार को सीमित करने के लिए सावधानी बरतना बेहद महत्वपूर्ण है।
वहीं बच्चों पर किये गए अध्ययन में यह सामने आ रहा है की HMPV किडनी को नुकसान पहुंचा सकता है। अगर ऐसा है तो हम सभी को अब अधिक सावधानी बरतने की आवश्यकता है। अब सवाल यह है की क्या असल में HMPV किडनी की बीमारी बढ़ा सकता है? आज हम इसी सवाल का जवाब देंगे (HMPV linked with kidney disease)।
ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस (HMPV) एक आम रेस्पिरेटरी वायरस है, जो ऊपरी और निचले श्वसन संक्रमण (जैसे सर्दी) का कारण बन सकता है। यह एक सीजनल बीमारी है, जो आमतौर पर सर्दियों में फैलती है। ये रेस्पिरेटरी सिन्सिटियल वायरस (RSV) और फ्लू के समान है। यह वायरस एक से दूसरे व्यक्ति में फ़ैल सकता है, इसलिए इसे बड़े पैमाने पर बढ़ने से रोकने के लिए सावधानी बरतना बेहद जरुरी है।
HMPV संक्रमित होने पर बुखार, गले में खराश, नाक बहना, बंद नाक, खांसी, शरीर में दर्द, जैसे लक्षण दिखाई देते हैं। कमज़ोर इम्युनिटी के चलते छोटे बच्चे और बुज़ुर्ग HMPV संक्रमण के प्रति अधिक संबेदनशील हैं। कुछ मामलों में, उन्हें निमोनिया जैसी गंभीर जटिलताएं भी हो सकती हैं। इस संक्रमण से जुड़ी परेशानी के कारण अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता हो सकती है। इसलिए सतर्क रहें और खुदको स्वस्थ रखें।
हाल ही में किए गए एक शोध में एचएमपीवी और किडनी के स्वास्थ्य के बीच संबंध सामने आए हैं। अस्पताल में भर्ती बच्चों पर किए गए अध्ययन में पाया गया कि एचएमपीवी संक्रमण एक्यूट किडनी इंजरी (एकेआई) से जुड़ा हो सकता है। शोध से पता चलता है कि उम्र बढ़ने के साथ एकेआई का जोखिम बढ़ता है और किडनी की चोट का श्वसन संबंधी जटिलताओं से कोई खास संबंध नहीं होता।
वायरस कुछ रोगियों में तीव्र किडनी की चोट (एकेआई) का कारण बन सकता है। एचएमपीवी के संक्रमण और किडनी की समस्याएं, मुख्य रूप से एक्यूट किडनी डिजीज (एकेआई) के बीच संबंध हैं। यूनिटेड स्टेट अमेरिका के अस्पताल में भर्ती बच्चों पर किए गए एक अध्ययन में बताया गया है कि एचएमपीवी के संक्रमण से एकेआई का जोखिम अधिक हो सकता है।
यह अध्ययन एचएमपीवी संक्रमण और गुर्दे की बीमारियों के बीच संभावित संबंध को विश्वसनीय बनाता है, लेकिन इस संबंध को स्पष्ट करने के लिए कुछ अन्य अध्ययनों की आवश्यकता है (HMPV linked with kidney disease)।
वायरस अप्रत्यक्ष रूप से सिस्टमिक इन्फ्लेमेटरी रिस्पॉन्स सिंड्रोम (एसआईआरएस) जैसी जटिलताओं के माध्यम से गुर्दे के कार्य को प्रभावित कर सकता है, जिससे मल्टी-ऑर्गन डिसफंक्शन और एक्यूट किडनी इंजरी (एकेआई) हो सकती है। एचएमपीवी के कारण होने वाले गंभीर श्वसन संक्रमण के परिणामस्वरूप हाइपोक्सिया भी हो सकता है, जहां ऑक्सीजन का स्तर कम होने से गुर्दे का रक्त प्रवाह खराब हो जाता है, जिससे किडनी फंक्शन प्रभावित होता है।
बीमारी के दौरान तेज बुखार, उल्टी या कम खाने एवं पीने की वजह से डिहाइड्रेशन हो सकता है, जिसके कारण किडनी परफ्यूज़न कम हो सकता है, जिससे संभावित रूप से प्रीरेनल एकेआई हो सकता है।
यदि HMPV किडनी को प्रभावित करता है, तो मरीज़ों में किडनी डिस्फंक्शन के लक्षण दिखाई दे सकते हैं। लक्षणों में पेशाब की मात्रा में कमी, पैरों या चेहरे पर सूजन, थकान, भ्रम शामिल हैं। किडनी के प्रभावित होने पर ब्लड टेस्ट में क्रिएटिनिन या यूरिया का स्तर बढ़ा हुआ दिखाई देता है।
यदि HMPV वायरस किडनी को प्रभावित करता है, तो व्यक्ति को पेशाब की मात्रा में कमी, चेहरे पर सूजन और पैरों में सूजन का अनुभव होगा। HMPV से संक्रमित लोगों में किडनी संबंधी समस्यायों का पता लगाने के लिए सीरम क्रिएटिनिन, ब्लड यूरिया और कम्पलीट यूरिन एग्जामिनेशन जैसे सरल ब्लड और आयरन टेस्ट करवाना महत्वपूर्ण है। इस प्रकार आपको अपने किडनी की स्थिति की जांच करने में मदद मिलेगी।
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