हम अपने-आपको फिट रखने के लिए कई तरह के वर्कआउट करते हैं। हम जिम में जाकर पसीना बहाते हैं, ताकि हमारा दिल स्वस्थ रहे। पर हाल में कम उम्र में हार्ट डिजीज से पीड़ित होने या हार्ट अटैक के मामले बढ़े हैं। खासकर 40 के बाद के लोगों में यह समस्या अधिक बढ़ी है। ये ऐसे लोग हैं, जो खुद को फिट रखने के लिए लगातार जिम जाते हैं। कई रिसर्च और विशेषज्ञ बताते हैं कि जिम में अधिक वर्कआउट करना भी स्वास्थ्य के लिए हानिकारक साबित हो सकता है। खासकर उम्र बढ़ने के बाद बहुत कठिन वर्कआउट दिल के स्वास्थ्य (over workout effect on heart health) के लिए हानिकारक हो सकते हैं। आइए जानते हैं इस बारे में क्या कहते हैं शोध।
यूएस डिपार्टमेंट ऑफ हेल्थ एंड ह्यूमन सर्विसेज ने लोगों के लिए फिजिकल एक्टिविटी गाइडलाइन जारी की है। इस गाइडलाइन के अनुसार, वयस्क सप्ताह में 150 मिनट तक मॉडरेट इंटेसिटी की एक्सरसाइज कर सकते हैं और 75 मिनट तक कठिन एक्सरसाइज।
कठिन एक्सरसाइज में रनिंग, बाइकिंग, स्विमिंग, एक्सरसाइज, डांस क्लास और आउटडोर स्पोर्ट्स आते हैं। दूसरी ओर वाॅकिंग, हाइकिंग, गोल्फ, घर पर की जाने वाली एक्सरसाइज और गार्डनिंग को मॉडरेट इंटेंसिटी एक्टिविटी माना गया।
फिर इसी गाइडलाइन के अनुसार कुल 3200 लोगों पर लगातार 25 सालाें तक स्टडी की गई। ग्रुप को 2 भागों में बांटा दिया गया। इस स्टडी की शुरुआत तब की गई जब सभी प्रतिभागी यंग एडल्ट थे। 25 साल बाद यह पाया गया कि जिस ग्रुप ने बहुत अधिक टफ एक्सरसाइज की थीं, उनमें मिडल एज तक सीएसी डेवलपमेंट (coronary artery calcification) के 80 प्रतिशत रिस्क पाए गए। सीएसी कैल्शियम कंटेनिंग प्लाक है, जो हार्ट डिजीज होने की संभावना को बताता है।
कोपेनहेगन सिटी हार्ट स्टडी के अनुसार, लाइट जॉगिंग करने वाले कम उम्र लोगों की तुलना में अत्यधिक जॉगिंग करने वाले कम उम्र के लोगों में हार्ट फेल्योर 9 प्रतिशत ज्यादा था। मिलियन वुमन स्टडी साइंस जर्नल के अनुसार, मध्यम रूप से एक्सरसाइज करने वालों की तुलना में बहुत ज्यादा एक्टिविटी करने वाली महिलाओं को हार्ट डिजीज, स्ट्रोक, ब्ल्ड ब्रेकिंग की संभावना अधिक रहती है।
मगर इन शोधों का उद्देश्य एक्सरसाइज को खारिज करना या गतिहीन जीवनशैली के लिए प्रेरित करना नहीं है। बल्कि विशेषज्ञ हृदय स्वास्थ्य के लिए हेल्दी डाइट के साथ वजन कंट्रोल करने और मध्यम आयुवर्ग में हल्की एक्सरसाइज करने का सुझाव देते हैं।
अमेरिका के सेंटर्स फॉर डिजीज कंट्रोल ऐंड प्रिवेंशन की गाइडलाइन के अनुसार, हेल्दी डाइट, धूम्रपान को न कहना, योगासन, मेडिटेशन, माइंडफुलनेस ट्रेनिंग प्रैक्टिस से अपने तनाव को नियंत्रित कर आप हृदय संबंधी बीमारियों के जोखिम को कम कर सकती हैं।
कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. अमित सिन्हा कहते हैं, “उम्र के साथ-साथ दिल की बीमारियों के हाेने का खतरा भी बढ़ने लगता है। उनमें हाई ब्लड प्रेशर होनेे की संभावना और बैड कोलेस्ट्रॉल की मात्रा भी बढ़ने लग सकती है। खुद को स्वस्थ रखने के लिए नियमित चेकअप बहुत जरूरी है। 40 के बाद कभी भी बहुत कठिन वर्कआउट नहीं करना चाहिए।
यदि बीमार हैं या बुखार से ग्रस्त हैं, तो जिम में जाकर पसीना बहाने की कोई जरूरत नहीं है। इससे दिल के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है। यदि किसी समस्या के कारण स्ट्रेस है, तो वह भी दिल पर बुरा असर डालता है। इसलिए मेंटली फिट होना भी जरूरी है। एकाएक हेवी वेट ट्रेनिंग शुरू करना दिल के लिए खतरनाक है। इसे धीरे-धीरे बढ़ाना चाहिए।
आनुवंशिक कारणों से भी दिल की बीमारियां हो सकती हैं। यदि आपके परिवार में किसी को दिल की बीमारी है, तो आपको सतर्क रहने की जरूरत है। कभी-भी सांस में तकलीफ, सीने में दर्द और ज्यादा थकान होना जैसे लक्षणों को अनदेखा न करें। ये सभी दिल के बीमार होने के संकेत हो सकते हैं। इसलिए डॉक्टर से तुंरत मिलें।
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