अगर आपको एक मौका मिले अपने शरीर के किसी भी अंग को बदलने का तो आप किसे बदलना चाहेंगीं? अपना वजन, कद, होंठ या फिर ब्रेस्ट साइज! हम जानते हैं, आप अपने ब्रेस्ट साइज से खुश नहीं हैं। आपको लगता है कि ये इतने बड़े हैं कि आप इन्हें संभाल नहीं पाती या फिर इनका आकार इतना छोटा है कि जिससे आप निराश रहती हैं।
पर इस मामले में आप अकेली नहीं है! एक अध्य्यन में यह सामने आया है कि औरतों के बीच अपने शरीर को लेकर असंतोष की एक मुख्य वजह उनकी ब्रेस्ट का साइज है।
जर्नल बॉडी इमेज में प्रकाशित एक वैश्विक सर्वेक्षण में, वैज्ञानिकों ने एक महत्वपूर्ण सार्वजनिक स्वास्थ्य निहितार्थ के बारे में बताया कि अधिकांश महिलाएं अपने स्तनों के आकार से खुश नहीं हैं।
पत्रिका में प्रकाशित ब्रेस्ट साइज सेटिस्फेेक्शन सर्वे (बीएसएसएस) के अनुसार,48% महिलाएं अपने मौजूदा ब्रेट साइज से बड़ा साइज चाहती हैं। जबकि 23% महिलाओं की ख्वाहिश थी कि उनके स्तनों का आकार थोड़ा छोटा होता तो बेहतर था। केवल 29% महिलाएं ऐसी हैं जो अपने ब्रेस्ट साइज से संतुष्ट हैं। इस अध्ययन में हिस्सा लेने वाली महिलाओं की औसत उम्र 34 वर्ष थी।
तो, इस मामले में साइज मायने रखता है।
तो क्या यह अध्ययन सिर्फ ब्रेस्ट साइज के बारे में बात करता है? शोधकर्ताओं का कहना था कि यह आपके आत्मसम्मान से भी जुड़ा मसला है।
जो महिलाएं अपने स्तन के आकार से असंतुष्ट थीं, उन्होंने माना कि वे अपनी ब्रेस्ट का ध्यान नहीं रखती हैं। जिनमें ब्रेस्ट सेल्फ एग्जामिनेशन भी शामिल है। यह ब्रेस्ट कैंसर रोकने एवं उसकी प्रारंभिक रोकथाम में एक जरूरी परीक्षण है।
अध्ययन में यह भी पाया गया कि ब्रेस्ट साइज से असंतुष्टि महिलाओं का मानसिक स्वास्थ्य भी प्रभावित होता है। यह उनके आत्मविश्वास और हैप्पीनेस को भी कम करता है। यह भी देखा गया कि ब्रेस्ट साइज से असंतुष्ट महिलाएं अपने वजन और पर्सनेलिटी से भी असंतुष्ट ही पाई गईं।
एंजलिया रस्किन यूनिवर्सिटी (एआरयू) में सामाजिक मनोविज्ञान के प्रोफेसर और प्रमुख शोधकर्ता वीरेन स्वामी कहते हैं: “हमारे निष्कर्ष महत्वपूर्ण हैं क्योंकि वे संकेत देते हैं कि दुनिया भर में अधिकांश महिलाएं अपने स्तनों के आकार से असंतुष्ट हो सकती हैं। यह एक गंभीर सार्वजनिक स्वास्थ्य चिंता है क्योंकि इसका असर महिलाओं के शारीरिक और मनोवैज्ञानिक स्वास्थ्य पर भी पड़ता है।”
लेकिन, साइंस यह मानता है कि भारतीय महिलाएं दुनिया भर में सबसे बेहतर हैं। अपने ब्रेस्ट साइज के बारे में जजमेंटल होना बंद करें, क्योंकि अब तो अध्ययन भी यह बता रहा है कि भारतीय महिलाएं अपने शरीर को लेकर ज्यादा संतुष्ट हैं।
ब्राजील, जापान, चीन, मिस्र और ब्रिटेन में महिलाओं में ब्रेस्ट साइज के बारे में सबसे ज्यादा असंतोष देखा गया। उनके मौजूदा ब्रेस्ट साइज और आइडियल ब्रेस्ट साइज में एक बड़ा अंतर देखा गया। भारत, पाकिस्तान, मिस्र, लेबनान और यूके में महिलाओं के ब्रेस्ट साइज को आइडियल ब्रेस्ट साइज माना गया। जबकि जापान, फिलीपींस, जर्मनी, ऑस्ट्रिया और मलेशिया में महिलाओं के ब्रेस्ट साइज आइडियल ब्रेस्ट साइज से छोटे माने गए।
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कस्टमाइज़ करेंफिलहाल स्तन कैंसर जैसी समस्याएं हमारे सामने हैं, इसलिए उन पर ध्यान दें
स्तन कैंसर सबसे ज्यादा होने वाले कैंसर में से एक है। इसलिए अपने ब्रेस्ट साइज के बारे में किसी भी तरह की शिकायत करने या दुखी होने से बेहतर है कि उनका ध्यान रखा जाए, फिर चाहें वे किसी भी साइज के हों।
प्रमुख शोधकर्ता वीरेन स्वामी का कहना है कि, “स्तन कैंसर दुनिया भर में होने वाली महिलाओं की मौत का एक प्रमुख कारण है। इसमें जीवित रहने की दर न्यूनतम है। स्तन के आकार के बारे में असंतोष जागरुकता की कमी को दर्शाता है। खासतौर से तब जब ब्रेस्ट साइज किसी महिला के लिए एंग्जायटी, शर्म या शर्मींदगी का कारण बन जाए।
हमारे अध्ययन में ब्रेस्ट साइज के प्रति बढ़ते असंतोष और ब्रेस्ट अवेयरनेस की कमी में सीधा संबंध देखा गया। सेल्फ ब्रेस्ट एग्जामिनेशन तभी संभव है जब आप इसके बारे में जागरुक हो और इसके बदलते आकार के प्रति सतर्क रहें। इसके लिए फौरन सार्वजनिक स्वास्थ्य हस्तक्षेप की आवश्यकता है।
“हमने यह भी पाया कि 40 देशों में ऐतिहासिक मतभेदों के बावजूद, आइडियल ब्रेस्ट साइज समान है, जिनका हमने सर्वेक्षण किया। इससे पता चलता है कि मीडियम से थोड़े बड़े ब्रेस्ट साइज की कामना एक वैश्विक मान्यता है। ”
“एक और महत्वपूर्ण बात जो सामने आई वह ये कि उम्र बढ़ने के साथ ब्रेस्ट साइज के प्रति असंतोष कम होने लगता है। यह भी मुमकिन है कि वृद्ध महिलाएं आइडियल ब्रेस्ट साइज के बारे में ज्यादा तनाव नहीं लेती और यह भी कि मां बनने के बाद वे ब्रेस्ट के लुक की बजाए उसके वास्तविक उद्देश्य को ज्यादा बेहतर तरीके से समझने लगती हैं।”
आपका शरीर जैसा है, उसे उसी तरह प्यार करना सीखें। बेशक, आपके स्वास्थ्य और कल्याण में सुधार की आवश्यकता है, लेकिन इसका यह अर्थ नहीं कि आपके शरीर के हर हिस्से को ऑब्जेक्टिफाई किया जाए। सबसे जरूरी बात, हमें किसी तरह के शोबिज़ का हिस्सा नहीं बनना है, इसलिए कूल रहें और अपने ब्रेस्ट को भी कूल रहने दें।