लाखों जानें दांव पर, हज़ारों टेस्टिंग गाइडलाइंस और गिनती का स्टाफ़। लैब और उनमें काम करने वाले वर्कर्स की स्थिति इस महामारी के दौरान दयनीय होती जा रही है। हर स्टाफ मेम्बर पर एक्स्ट्रा काम का बोझ है, लम्बे वर्किंग ऑवर हैं और सर पर मंडराता संक्रमण का ख़तरा। यह दौर मेडिकल कम्युनिटी के लिए कड़ी परीक्षा का दौर है।
डॉक्टर अनुराग बंसल SRL डायग्नोस्टिक्स के डायरेक्टर हैं। डॉक्टर बंसल बताते हैं कि क्या है इस महामारी का डॉक्टर और मेडिकल वर्कर्स के जीवन पर असर।
कोविड-19 महामारी के समय में हमारे हेल्थ वर्कर्स सबसे मुश्किल समय से गुज़र रहे हैं। जानिए डॉक्टर्स की कहानी, एक डॉक्टर की ज़ुबानी-
जब कोविड-19 से जंग की बात हो तो सबसे आगे तैनात हमारे हेल्थ केयर वर्कर ही हैं। हर रोज खुद को ख़तरे में डाल कर हमारे डॉक्टर, टेक्नीशियन, नर्स, फ्लेबोटोमिस्ट और ऐसे ही हज़ारों हेल्थ वर्कर्स अपनी जान की परवाह किये बिना औरों की सेवा में लगे हैं।
ख़ुद एक लैब डायरेक्टर होने के नाते मैं अपने स्टाफ़ को समझाता हूं कि इस वक़्त वे देश की रक्षा कर रहे सैनिक के समान हैं। और यह जंग का मैदान है, जहां हमारा दुश्मन यह वायरस है। यह सामान्य परिस्थिति नहीं है, और ऐसे में सबका मनोबल बढ़ाना बहुत ज़रूरी है।
हम हर रोज़ अपनी लैब में संक्रमित सैम्पल्स के साथ कॉन्टैक्ट में आते हैं, तो लैब स्टाफ़ को प्रीकॉशन्स बरतना बहुत ज़रूरी होता है। N-95 मास्क, ग्लव्स, गॉगल्स इत्यादि जैसे सभी सेफ्टी इक्विपमेंट का इस्तेमाल हमारी लैब में करते हैं।
इसके साथ ही हम पूरे स्टाफ की री-ट्रेनिंग भी देते हैं कि कैसे सेफ्टी का ध्यान रखना है, प्रीकॉशन्स बरतने हैं, प्रॉपर गियर पहनना है और सैम्पल्स को ठीक से डिस्पोज़ करना है। हम नियमित रूप से सभी एम्प्लॉइज का थर्मल चेकअप भी करते रहते हैं।
इस तरह के प्रीकॉशन्स हर लैब तथा अस्पताल में लिये जा रहे हैं। मगर उसके बाद भी डॉक्टर्स इन्फेक्शन के दायरे में होते हैं। यदि दुर्भाग्य से कोई संक्रमित हो जाता है तो उसे सेल्फ़-क्वारंटीन किया जाता है।
डॉक्टर्स इस वक़्त सबसे ज्यादा रिस्क का सामना कर रहे हैं। एक्स्ट्रा ड्यूटी, पेशेंट्स के प्रति ज़िम्मेदारी, अपनी सुरक्षा और अपने परिवार को संक्रमण से सुरक्षित रखना, इन सब दायित्वों के बीच हम फंसे हुए हैं। ज्यादा वर्कलोड और कम आराम के कारण हम अपने इम्यूनिटी सिस्टम को भी रिस्क में डाल रहे हैं।
इस सब के बावजूद, हम अपनी ड्यूटी को सर्वोपरि मानकर काम करते हैं और करते रहेंगे।
सरकार भी इस महामारी में बड़ा दायित्व सम्भालती है।
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कस्टमाइज़ करेंमेरी सबसे पहली और निजी जिम्मेदारी है कि मेरा स्टाफ़ सुरक्षित रहे। उनकी सुरक्षा मेरी प्राथमिकता है। मैं हर वक्त खुद को अपने स्टाफ के लिए मौजूद रखता हूं, चाहे आधी रात ही क्यों ना हो। इमरजेंसी में मैं रात के 3 बजे भी लैब जाता हूं और मुझे इससे कोई शिकायत नहीं है।
मेरा सौभाग्य है कि मेरी पत्नी भी एक डॉक्टर हैं और समाज के प्रति पूरी निष्ठा से अपनी ज़िम्मेदारी निभा रहीं हैं। घर पर मेरे बुजुर्ग मां-बाप और दो बेटियां हैं, इसलिए घर पर मुझे बहुत प्रीकॉशन्स बरतने पड़ते हैं। मैं अपने परिवार से अधिक से अधिक दूरी बनाए रखने की कोशिश करता हूं। कई बार तो मैं पूरे दिन अपने माता-पिता से मिलता तक नहीं हूं।
ना मैं अपने बच्चों को गले लगा सकता हूं, न अपने मां-बाप के पैर छू सकता हूं। यह कष्ट अकल्पनीय है, मगर उनकी सुरक्षा के लिए मुझे खुद को समझाना पड़ता है।
आज मैं सभी डॉक्टर्स को तहे दिल से धन्यवाद देना चाहता हूं, उनके बलिदान के कारण ही आज हम सब हैं। हम अपने मेडिकल वर्कर्स के ऋणी हैं। सभी हेल्थ वर्कर्स को मेरा शत्- शत् नमन।