बच्चे जल्दी बीमार पड़ते हैं और आसानी से चोट खा जाते हैं। उनकी समस्या कब गंभीर हो जाएगी, यह जानना मुश्किल हो सकता है। बच्चे की समस्या उनके विकास प्रक्रिया का हिस्सा है या फिर उसके लिए तुरंत डॉक्टर को दिखाना आवश्यक है, यह समझना मुश्किल हो सकता है। खासकर उन महिलाओं के लिए जो अभी नई मां बनी हैं। अगर आपके घर में भी कोई नन्हा शिशु है और आप उसकी सेहत के बारे में जागरुक होना चाहती हैं। तो यह लेख आपके लिए मददगार साबित हो सकता है। मणिपाल हॉस्पिटल, बानेर पुणे की बाल रोग विशेषज्ञ डॉ उज्ज्वला केसकर उन 9 आपातकालीन स्थितियों (Child Health Emergencies) के बारे में बता रही हैं, जब बिना देर किए आपको अपने शिशु को डॉक्टर को दिखाना चाहिए।
डॉ उज्ज्वला कहती हैं, “नए शिशु को संभालना किसी भी पेरेंंट्स के लिए कठिन हो सकता है। यक एक बिल्कुल नई दुनिया और नई चुनौती है। असल में बच्चा अपनी बात, अपनी तकलीफ के बारे कुछ भी बताने में सक्षम नहीं होता। साथ ही कुछ नई चीजों को वह सीखने और एब्जॉर्ब करने की प्रक्रिया में भी चोटिल हो सकता है। इसलिए माता-पिता और परिवार के अन्य सदस्यों पर यह जिम्मेदारी है कि वे बच्चे में हो रहे छोटे से छोटे बदलाव (Child Health Emergencies) के प्रति भी सतर्क रहें।”
यदि बच्चे को सांस लेने में तकलीफ हो रही है, तो यह गंभीर समस्या हो सकती है। अगर उसकी सांस तेजी से चलती हो या उथली हो, घरघराहट होती हो या उसे सांस खींचनी पड़ती हो, तो यह किसी बीमारी का लक्षण हो सकता है। इसका कारण संक्रमण, अस्थमा, एलर्जी या कोई अन्य समस्या हो सकती है। यदि बच्चे की सांस असामान्य हो या उनका चेहरा या होंठ नीले हो जाएं, तो फौरन डॉक्टर को दिखाना चाहिए।
अगर बच्चे का बुखार कई दिनों तक बना रहे, और यह बहुत तेज (104 डिग्री फॉरेनहाईट या 40 डिग्री सेल्सियस से अधिक) हो, तो यह खतरनाक हो सकता है। अगर तीन महीने से छोटे बच्चे को बुखार हो, तो इसे काफी गंभीरता से लिया जाना चाहिए।
अगर बच्चे को बार-बार उल्टी हो रही है, या फिर उल्टी हरे रंग की हो या उसमें खून आए, तो बच्चे को तुरंत डॉक्टर को दिखाएं। उल्टी के कारण डिहाईड्रेशन हो जाता है, जो एक और गंभीर समस्या है। डिहाईड्रेशन होने पर बच्चे का डायपर कम गीला होता है, रोने पर आँसू नहीं आते, या मुँह सूखा हो जाता है। अगर बच्चा कमजोर महसूस है, तरल पदार्थों को निगल नहीं पाता है, तो तुरंत डॉक्टर का परामर्श लेना चाहिए।
अगर बच्चे को तेज दर्द हो रहा है, जो लंबे समय के बाद भी ठीक नहीं होता है, तो यह कोई गंभीर समस्या हो सकती है। अगर यह दर्द खासकर सीने या पेट के ऊपरी हिस्से में हो, तो तुरंत डॉक्टर से परामर्श लें।
बच्चे को कुछ मिनट से ज्यादा समय तक दौरा रहे, तो डॉक्टर से तुरंत सलाह लें। भले ही दौरा पहली बार पड़ा हो, पर इसे इमरजेंसी ही मानना चाहिए। अगर बच्चा असामान्य रूप से सुस्त हो या फिर जग नहीं पाता हो, तो उसे कोई गंभीर समस्या हो सकती है। इस स्थिति में तुरंत डॉक्टर का परामर्श बहुत आवश्यक है।
कुछ चोट लगने पर तुरंत ध्यान दिया जाना आवश्यक होता है ताकि किसी भी नुकसान या परेशानी से बचा जा सके।
अगर दबाव डालने, कोशिश करने के बाद भी खून बहना रुक न रहा हो, तो फौरन डॉक्टर के पास जाएं।
अगर शिशु के शरीर के किसी हिस्से में सूजन है या फिर वह हिस्सा हिलाने में मुश्किल या दर्द हो रहा है, तो वहाँ की हड्डी टूटी हुई हो सकती है।
अगर बच्चा बेहोश हो रहा है, उल्टी कर रहा है, या फिर अजीब व्यवहार कर रहा है, तो उसके सिर, गले या रीढ़ की हड्डी में चोट हो सकती है।
बच्चों को गंभीर स्थितियों से बचाने के लिए माता-पिता को इन लक्षणों के बारे में जागरुक और सतर्क रहना बहुत आवश्यक है। बच्चे की सेहत सबसे महत्वपूर्ण होती है। ऊपर दी गई सूची महत्वपूर्ण मार्गदर्शन प्रदान करती है, लेकिन माता-पिता को हो रहे आभास भी महत्वपूर्ण होते हैं। इन आभासों पर विश्वास करना चाहिए।
ध्यान रहे
अगर माता-पिता को महसूस हो रहा है कि कुछ गड़बड़ है, तो फौरन डॉक्टर को दिखाने में ही समझदारी है। डॉक्टरों के पास जांच और उचित देखभाल की सभी सुविधाएं होती हैं, जिनकी मदद से बच्चों को इलाज और बेहतर परिणाम प्रदान करने में मदद मिलती है।
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