बारिश के मौसम में हर तरफ नमी होने की वजह से कीटाणुओं का ग्रोथ बढ़ जाता है, वहीं इस मौसम संक्रमण का खतरा भी अधिक होता है। खासकर जिन्हें डायबिटीज (diabetes) है, उनके लिए मानसून बेहद घातक साबित हो सकता है। जैसा कि हम सभी जानते हैं डायबिटीज के मरीजों की हीलिंग पॉवर (healing power) बेहद कम होती है, जिसकी वजह से यदि उन्हें किसी प्रकार का कट लग जाता है या उन्हें इंफेक्शन हो जाता है तो उसे हिल होने में काफी समय लगता है।
बारिश के मौसम में पैरों के संक्रमण का खतरा अधिक होता है (Foot care in monsoon)। साथ ही नमी के कारण सामान्य लोगों के संक्रमण (monsoon infection) को हिल होने में लंबा समय लगता है। यदि आपको डायबिटीज है, तो आपके लिए किसी भी प्रकार का कट या घाव अधिक गंभीर हो सकता है। इसलिए इस मौसम संक्रमण के खतरे को अवॉइड करने के लिए अपने पैरों का विशेष ध्यान रखें।
हेल्थ शॉट्स ने इस विषय पर अपोलो स्पेक्ट्रा, अस्पताल मुंबई के त्वचारोग विशेषज्ञ, डॉ. शरीफा चौसे से बात की। तो चलिए जानते हैं, कैसे रखना है पैरों को ध्यान (foot care for diabetics in monsoon)।
डायबिटीज के मरीजों को इम्यून एक्टिवेशन में समस्या होती है। घावों को ठीक करने के लिए भेजी जाने वाली इम्यून फाइटर सेल्स की संख्या और उनकी कैपेसिटी अक्सर कम हो जाती है। यदि आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली ठीक से काम नहीं कर पाती है, तो घाव भरने की प्रक्रिया धीमी हो जाती है और संक्रमण का खतरा अधिक होता है।
ब्लड शुगर लेवल को नियमित रूप से मॉनिटर करने से इससे रेटिनोपैथी, न्यूरोपैथी और किडनी की क्षति जैसी मधुमेह संबंधी परेशानियों को कम करने में मदद मिलती है। व्यायाम (कम से कम 3-4 बार/सप्ताह) आपके रक्त शर्करा नियंत्रण को बेहतर बनाने और आपकी समग्र फिटनेस को बढ़ावा देने में मदद कर सकता है। साथ ही, धूम्रपान बंद करने से संभावित परेशानियों में कमी आती है।
मानसून के मौसम में नंगे पैर चलने से बचें क्योंकि ज़मीन गीली और फिसलन भरी हो सकती है, जिससे आपके फिसलने और गिरने का जोखिम बढ़ जाता है। इसके अलावा, फर्श पर नमी बने रहने से गंदी सतहों में हानिकारक बैक्टीरिया हो सकते हैं, जिससे संक्रमण का जोखिम बढ़ जाता है। घर के अंदर अलग स्लीपर और घर पे बाहर चप्पल पहनना सुनिश्चित करें।
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डायबिटीज के मरीजों को जूतों का चयन बहुत ध्यान से करना चाहिए। मुलायम, स्ट्रेचेबल चमड़े से बने जूते खरीदें। बेहतर शॉक एब्जॉर्प्शन के लिए, पतले चमड़े के तलवे के बजाय कुशन वाले तलवे की तलाश करें।
जूते बहुत छोटे नहीं होने चाहिए क्योंकि इससे रक्त संचार बाधित हो सकता है, न ही बहुत बड़े होने चाहिए क्योंकि झुर्रियों से छाले हो सकते हैं। सही फिटिंग वाले जूते वजन को सही तरीके से वितरित करते हैं और पैर को पूरी तरह से फिट करते हैं, जिससे छाले, रेडनेस और दबाव वाले क्षेत्रों की संभावना कम हो जाती है।
नर्व डैमेज मधुमेह की एक जटिलता है, जो आपके पैरों में घाव या दरार होने पर इसे महसूस नहीं होने देती। बरसात के दिन घर आने के बाद, अपने पैरों को साबुन से अच्छी तरह से साफ करें। जब आप अपने गीले पैरों को साफ करती हैं, तो सुनिश्चित करें कि पैर की उंगलियों के बीच के क्षेत्र सूखे तौलिये से साफ हो गए हों। जब आप अपने पैरों को ड्राई करती हैं, तो सूखापन रोकने के लिए हल्का मॉइस्चराइज़र लगाएं।
अपने पैरों की सुरक्षा के लिए बाहर जाने से पहले अच्छे कवरेज वाले जूते पहनें। अपने घर के अंदर भी, बिना जूतों के घूमने से आपके पैरों में छोटे-मोटे कट लगने का खतरा रहता है। डायबिटीज होने पर पैरों में लगा कट या घाव जल्दी हिल नहीं होता, इसलिए इसका ध्यान रखना जरूरी है।
बारिश के मौसम में नाखून खास कर पैरों के अंगूठे में फंगल इन्फेक्शन का खतरा बढ़ जाता है। यदि आपको डायबिटीज है, तो आपमें इसका खतरा अधिक होता है। क्योंकि डायबिटीज में घाव भरने में समय लगता है, इसलिए यदि एक बार फंगल इंफेक्शन हो जाए तो इसे हिल करना बेहद मुश्किल हो जाता है। आपको अपने नाखूनों में कोई बदलाव नज़र आता है, तो फौरन अपने डॉक्टर से सलाह लें।
नाखूनों को सीधा काटें, फिर उन्हें नेल फाइल से चिकना करें। पैर की उंगलियों के कोनों को काटने से बचें। अगर आपके पैर का नाखून अंदर की ओर बढ़ा हुआ है, और दर्द हो रहा है तो तुरंत डॉक्टर से मिलें।
बारिश के पानी के जमाव में बैक्टीरिया और फंगी पनप आते हैं। वहीं आम तौर पर गली और मोहल्ले में पानी जमा हो जाता है, ऐसे में यदि आपको डायबिटीज है तो इनमें जाने से बचने का प्रयास करें। एक बार यदि आपका पाव संक्रमित हो जाता है, तो इनसे निपटना बेहद मुश्किल होता है।
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