रोजमर्रा के जीवन में व्यक्ति खानपान में कई तरह की अनियमितताएं बरतता है। बैड इटिंग हेबिट्स का असर शरीर पर कई तरह से दिखने लगता है। इससे न केवल थकान, कमज़ोर और असंतुलित पाचनतंत्र का सामना करना पड़ता है बल्कि डायबिटीज़ जैसे लाइफस्टाइल डिसऑर्डर का खतरा भी बढ़ने लगता है। दरअसल, मधुमेह की समस्या के चलते शरीर उचित तरीके से न तो इंसुलिन का उत्पादन कर पाती है और न ही उपयोग करने में सक्षम होती है। ऐसे में ब्लड शुगर लेवल का बढ़ना कई समस्याओं के जोखिम को बढ़ा देता है। सबसे पहले जानते हैं डायबिटीज क्या है और इसे कैसे नियंत्रित करें (tips to avoid diabetes)।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार मधुमेह एक क्रॉनिक डिज़ीज है। जब शरीर में पेनक्रियाज़ पर्याप्त मात्रा में इंसुलिन का उत्पादन नहीं कर पाती हैं, तो इस डिसऑर्डर का जोखिम बढ़ जाता है। दरअसल, इंसुलिन एक ऐसा हार्मोन है जो रक्त शर्करा को नियंत्रित करता है। शरीर में इस स्थिति को हाइपरग्लाइकेमिया भी कहा जाता है। अनियंत्रित डायबिटीज़ शरीर में नर्वस और ब्लड वेसल्स को गंभीर नुकसान पहुंचाती हैं।
आंकड़ों के अनुसार साल 2019 में मधुमेह से 1.5 मिलियन मौत के मामले सामने आए। मधुमेह के कारण होने वाली मृत्यु में से 48 फीसदी लोगों की आयु 70 वर्ष से कम पाई गई। इसके अलावा 460, 000 किडनी रोग से होने वाली मौतें मधुमेह के कारण हुई और बढ़ा हुआ रक्त शर्करा 20 फीसदी हृदय संबंधी मौतों का कारण साबित हुआ।
14 नवंबर को दुनिया भर में वर्ल्ड डायबिटीज डे (world diabetes day) मनाने का उद्देश्य यही है कि इस खतरनाक बीमारी के बारे में सभी को जागरुक किया जाए। यह जीवनशैली जनित रोग है, यानी एक ऐसा रोग, जिसे हम खुद अपनी आदतों से बढ़ा रहे हैं। डायबिटीज को विशेषज्ञ हेल्दी डिजीज भी कहते हैं। क्योंकि इससे बचने का सबसे आसान तरीका हेल्दी आदतों को अपनाना और अनहेल्दी आदतों से बचना है।
डायबिटीज एडुकेटर और डायटीशियन डॉ अर्चना बत्रा बताती हैं कि डायबिटीज कंट्रोल करने के लिए आहार में कार्ब्स की मात्रा को कम करना सबसे ज्यादा जरूरी है। इसके अलावा वज़न को कम करने से भी ब्लड शुगर लेवल कम होता है और शरीर में एनर्जी का लेवल बना रहता है। इस रोग से ग्रस्त लोगों में हृदय रोग का खतरा दोगुना होने लगता है। साथ ही तनाव की भी स्थिति बनी रहती है। ऐसे में शरीर की गतिशीलता को बनाए रखना आवश्यक है।
शरीर में इंसुलिन की कमी या उसका सही इस्तेमाल न हो पाना टाइप 2 डायबिटीज का जोखिम बढ़ा देता है। इसके चलते शरीर में कई असामान्य लक्षण देखने को मिलते है। जानते हैं डायबिटीज़ के लक्षण।
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑॅफ हेल्थ के अनुसार आहार में रिफांइड कार्ब्स की मात्रा को बढ़ाने से ब्लड शुगर लेवल बढ़ने लगता है। पैनक्रियाज से निकलने वाले इंसुलिन हार्मोन का रिलीज़ बढ़ने से ब्लड सेल्स में पहुंचकर हाई ब्लड शुगर का जोखिम बढ़ जाता है। ऐसे में ब्रेड, पास्ता और डेजर्ट को फल, सब्जियों साबुत अनाज और लो फैट प्रोटीन से रिप्लेस कर दें। साथ ही आहार में फाइबर की मात्रा बढ़ाएं और नट्स व सीड्स का सेवन करें। इसके अलावा अतिरिक्त पेय पदार्थों का सेवन करने से बचें और भरपूर मात्रा में पानी पीएं।
सिडेंटरी लाइफ स्टाइल को फॉलो करके शरीर में कई शुगर अनियंत्रित होने लगती है और शरीर में फैट्स एकत्रित होने लगते हैं। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ डायबिटीज़ एंड डाइजेस्टिव एंड किडनी डिज़ीज़ के अनुसार व्यायाम कोशिकाओं की इंसुलिन संवेदनशीलता को बढ़ाता है। नियमित रूप से व्यायाम करने से प्रीडायबिटीज और टाइप 2 डायबिटीज वाले वयस्कों में इंसुलिन रज़िसटेंस और रक्त शर्करा को कम करने में मदद मिली है। ऐसे में नियमित रूप से एरोबिक एक्सरसाइज़, हाई इंटेसिटी इंटरवेल ट्रेनिंग और स्ट्रेथ ट्रेनिंग का अभ्यास करें।
भरपूर मात्रा में पानी पीना फायदेमंद साबित होता है और शुगर रिच बैवरेजिज के सेवन से बचें। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के अनुसार 2,800 लोगों पर हुए एक रिसर्च में पाया गया कि जिन्होंने दिन में 2 बार मीठे पेय पदार्थों का सेवन किया है, उनमें लेटेंट ऑटोइम्यून डायबिटीज़ का खतरा 99 फीसदी और टाइप 2 डायबिटीज़ का खतरा 20 फीसदी तक बढ़ जाता है।
शुगर को सही ट्रैक पर बनाए रखने के लिए लो ग्लाइसेमिक इंडैक्स वाले फूड्स लें। इससे आहार मे उचित संतुलन बना रहता है। खाने की मात्रा के प्रति सचेत और जागरूक रहें। इसके अलावा ओवरइटिंग से बचने के लिए बड़े प्लैटर की जगह छोटी प्लेट का इस्तेमाल करें। इससे अपने स्वास्थ्य को नियंत्रित रखने में मदद मिलती है। साथ ही मीठे में कटौती करके कैलोरी काउंट को कम किया जा सकता है।
रक्त शर्करा को बढ़ने से रोकने के लिए घर का बना स्वस्थ आहार हैं। इसके अलावा शरीर में शुगर के बैलेंस को बनाए रखने के लिए अपने शुगर स्तर पर नज़र रखें। इससे खाद्य पदार्थों के शरीर पर होने वाले प्रभाव का आंकलन करने में मदद मिलती है। इसके अलावा अपनी स्वास्थ्य स्थितियों और भोजन संबंधी प्राथमिकताओं से पीछे न हटें।
डायबिटीज़ यूके की रिसर्च के अनुसार तनाव के कारण शरीर में एड्रेनालाईन और कॉर्टिसोल हार्मोन का रिलीज़ बढ़ने लगता हैं। इसके चलते इंसुलिन के कार्य में बाधा उत्पन्न होती है। इससे रक्त शर्करा का स्तर बढ़ सकता है। ऐसे में तनाव लेने से बचें और देर रात खाने से बचें। इससे शरीर में कोर्टिसोल हार्मोन का रिलीज़ बढ़ जाता है, जो तनाव को बढ़ाता है।
सीडीसी के अनुसार स्मोकिंग करने से शरीर में टाइप 2 डायबिटीज़ का रिस्क 30 से 40 फीसदी तक बढ़ने लगता है। ब्लड शुगर लेवल को बढ़ने से रोकने के लिए धूम्रपान से बचें। अत्यधिक सेवन से शरीर में ब्लड शुगर का स्तर बढ़ने लगता है और इंसुलिन रज़िसटेंस का सामना करना पड़ता है। एफडीए के अनुसार सिगरेट में मौजूद निकोटीन का उच्च स्तर आपके शरीर की कोशिकाओं को इंसुलिन के प्रति कम प्रतिक्रियाशील बनाता है। इससे शरीर में रक्त शर्करा का स्तर बढ़ जाता है।