आजकल बहुत छोटी उम्र से ही बच्चों को चश्मा लग जाता है। कई बच्चों को जन्म के साथ ही विज़न डिसऑर्डर होता है और 1 से 2 साल की उम्र में उन्हें चश्मा लग जाता है। ऐसे में चश्मा लगाने वाले बच्चों की आंखों (eye health) को अधिक देखभाल की आवश्यकता होती है। माता-पिता और गार्डियन के लिए बच्चों की देखभाल प्राथमिकता होती है। वहीं जब आंखों के स्वास्थ्य की बात आती है, तो इस जिम्मेदारी को पुरे फोकस के साथ निभाना जरुरी हो जाता है, खासकर उन बच्चों के लिए जो चश्मा लगाते हैं।
बच्चों के विकास, सीखने और जीवन की समग्र गुणवत्ता के लिए उचित दृष्टि महत्वपूर्ण होती है। ऐसे में जिन बच्चों को चश्मा लग जाता है, उन्हें कई चुनौती एवं विचारों का सामना करना पड़ता है। उनकी चुनौतियों को कम करने के लिए उनके आंखों की देखभाल के प्रति अधिक सचेत रहना महत्वपूर्ण है (eye care tips for children)। इस लेख में चश्मा लगाने वाले बच्चों के आंखों की देखभाल से जुडी जानकारी उन्हें आत्मविश्वास के साथ स्पष्ट दृष्टि अपनाने में मदद करेंगी।
विश्व दृष्टि दिवस (World Sight Day) के मौके पर डॉ. अग्रवाल आई हॉस्पिटल, भांडुप, मुंबई के बाल नेत्र रोग विशेषज्ञ, डॉ. आशीष दोशी ने चश्मा लगाने वाले बच्चों की सेहत से जुडी कुछ जरुरी जानकारी शेयर की है। तो चलिए जानते हैं कैसे रखना है अपने छोटे बच्चों के आंखों का ध्यान।
एक्सपर्ट के अनुसार बच्चों के लिए नेत्र परीक्षण का एक सामान्य कार्यक्रम होना चाहिए:
6-12 महीने के बीच
2-3 साल के बीच
4-5 साल के बीच
सालाना, 6 साल और उससे ज़्यादा उम्र से
नेत्र जांच (eye health) 3 और 5 से 6 साल की उम्र में होने चाहिए, आदर्श रूप से स्कूल शुरू करने से पहले। ये जांच दृष्टि संबंधी समस्याओं का पता लगाने के लिए महत्वपूर्ण है, जिससे समय पर हस्तक्षेप करने की अनुमति मिलती है, जो विज़न डेवलपमेंट में आपकी मदद कर सकता है। नियमित नेत्र परीक्षण यह सुनिश्चित करने में मदद करता है, कि किसी भी संभावित समस्या का समय रहते पता लगाया जाए, जिससे लांग टर्म विजन लॉस का जोखिम कम हो जाता है।
आपके बच्चे की आंखों के स्वास्थ्य (eye health) को बनाए रखने के लिए पौष्टिक आहार बहुत ज़रूरी है। विटामिन ए, सी और ई जैसे ज़रूरी पोषक तत्वों के साथ ही जिंक जैसे मिनरल, ऑप्टिमल विज़न का समर्थन करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इन पोषक तत्वों से भरपूर खाद्य पदार्थों में शामिल हैं:
विभिन्न प्रकार के रंगीन फल एवं सब्जियों के सेवन से यह सुनिश्चित करने में मदद मिलती है कि आपके बच्चे को उनकी आंखों की सेहत के लिए आवश्यक पोषण मिल रहा है, जिससे विज़न लॉस और मैकुलर डिजनरेशन जैसी स्थितियों को रोकने में मदद मिलती है।
आंखों के तनाव को कम करने के लिए अच्छी रोशनी ज़रूरी है, खासकर पढ़ने या होमवर्क के दौरान। प्राकृतिक प्रकाश आदर्श है, लेकिन यदि यह संभव नहीं है, तो अच्छी तरह से डिज़ाइन की गई आर्टिफीसियल लइटिनिंग का उपयोग करें।
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चश्मा लगाने वाले बच्चों में बढ़ता स्क्रीन टाइम उनके चश्मे का पॉवर भी बढ़ा सकता है। डिजिटल आई स्ट्रेन को रोकने के लिए स्क्रीन टाइम को प्रभावी ढंग से मैनेज करना महत्वपूर्ण है। 2 वर्ष से कम उम्र के बच्चों के लिए, स्क्रीन टाइम केवल आवश्यक वीडियो कॉल तक ही सीमित होना चाहिए। बड़े बच्चों के लिए:
बढ़ा हुआ स्क्रीन टाइम सामाजिक चिंता और ध्यान संबंधी कठिनाइयों सहित विभिन्न स्वास्थ्य समस्याओं में योगदान दे सकता है, इसलिए संतुलित गतिविधियों को बढ़ावा देना महत्वपूर्ण है, जिसमें आउटडोर गेम और शारीरिक व्यायाम शामिल हैं।
लॉन्ग टर्म डैमेज को रोकने के लिए अपने बच्चे की आंखों को यूवी किरणों से बचाना आवश्यक है। अत्यधिक यूवी एक्सपोजर से बढ़ती उम्र के साथ मोतियाबिंद और मैक्यूलर डिजनरेशन का खतरा बढ़ सकता है। विशेष रूप से यह कमजोर आंखों वाले बच्चों में अधिक आम होता है।
यूवी सुरक्षा को एक आदत बनाकर, आप यह सुनिश्चित कर सकती हैं की बढ़ती उम्र के साथ आपके बच्चों की आंखों की सेहत एवं रोशनी पूरी तरह से बरक़रार हो।
दृष्टि संबंधी समस्याओं के संकेतों के प्रति सतर्क रहें, जैसे कि बार-बार आंखों को रगड़ना, आंखें सिकोड़ना, वस्तुओं को स्पष्ट रूप से देखने में कठिनाई, या सिरदर्द की शिकायत करना। समय रहते पहचान करना महत्वपूर्ण है, क्योंकि शुरूआती स्टेज में कई दृष्टि समस्याओं का प्रभावी ढंग से इलाज किया जा सकता है। यदि कोई चिंताजनक लक्षण दिखाई देते हैं तो इन बातों को ध्यान में रखें:
जिन बच्चों को चश्मे की आवश्यकता होती है, उनके लिए निर्धारित सुधारात्मक लेंस का लगातार उपयोग महत्वपूर्ण है। निर्देशानुसार चश्मा पहनने से स्थिति को बिगड़ने से रोका जा सकता है और स्वस्थ दृष्टि विकास को बढ़ावा मिलता है। आंखों की स्वस्थ सेहत के लिए:
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