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World Sight Day : आपका बच्चा चश्मा पहनता है, तो इन 7 टिप्स की मदद से रखें उसकी आखों का ध्यान

बच्चों के विकास, सीखने और जीवन की समग्र गुणवत्ता के लिए उचित दृष्टि महत्वपूर्ण होती है। ऐसे में उन्हें कई चुनौती एवं विचारों का सामना करना पड़ता है। उनकी चुनौतियों को कम करने के लिए उनके आंखों की देखभाल के प्रति अधिक सचेत रहना महत्वपूर्ण है
Updated On: 9 Oct 2024, 04:29 pm IST
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7 Eye Health care Tips For Children Wearing Glasses.
बच्चों के विकास, सीखने और जीवन की समग्र गुणवत्ता के लिए उचित दृष्टि महत्वपूर्ण होती है। इसलिए उनका ध्यान रखना जरुरी है. चित्र : अडॉबीस्टॉक

आजकल बहुत छोटी उम्र से ही बच्चों को चश्मा लग जाता है। कई बच्चों को जन्म के साथ ही विज़न डिसऑर्डर होता है और 1 से 2 साल की उम्र में उन्हें चश्मा लग जाता है। ऐसे में चश्मा लगाने वाले बच्चों की आंखों (eye health) को अधिक देखभाल की आवश्यकता होती है। माता-पिता और गार्डियन के लिए बच्चों की देखभाल प्राथमिकता होती है। वहीं जब आंखों के स्वास्थ्य की बात आती है, तो इस जिम्मेदारी को पुरे फोकस के साथ निभाना जरुरी हो जाता है, खासकर उन बच्चों के लिए जो चश्मा लगाते हैं।

बच्चों के विकास, सीखने और जीवन की समग्र गुणवत्ता के लिए उचित दृष्टि महत्वपूर्ण होती है। ऐसे में जिन बच्चों को चश्मा लग जाता है, उन्हें कई चुनौती एवं विचारों का सामना करना पड़ता है। उनकी चुनौतियों को कम करने के लिए उनके आंखों की देखभाल के प्रति अधिक सचेत रहना महत्वपूर्ण है (eye care tips for children)। इस लेख में चश्मा लगाने वाले बच्चों के आंखों की देखभाल से जुडी जानकारी उन्हें आत्मविश्वास के साथ स्पष्ट दृष्टि अपनाने में मदद करेंगी।

विश्व दृष्टि दिवस (World Sight Day) के मौके पर डॉ. अग्रवाल आई हॉस्पिटल, भांडुप, मुंबई के बाल नेत्र रोग विशेषज्ञ, डॉ. आशीष दोशी ने चश्मा लगाने वाले बच्चों की सेहत से जुडी कुछ जरुरी जानकारी शेयर की है। तो चलिए जानते हैं कैसे रखना है अपने छोटे बच्चों के आंखों का ध्यान।

यहां जानें चश्मा लगाने वाले छोटे बच्चों के आंखों की देखभाल के टिप्स (Health care Tips For Children Wearing Glasses)

1. आंखों की नियमित जांच करवाएं

एक्सपर्ट के अनुसार बच्चों के लिए नेत्र परीक्षण का एक सामान्य कार्यक्रम होना चाहिए:

6-12 महीने के बीच
2-3 साल के बीच
4-5 साल के बीच
सालाना, 6 साल और उससे ज़्यादा उम्र से

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यदि आपका बच्चा चश्मा या कॉन्टैक्ट लैंस लगाता है, तो आई चेकअप भी नियमित रूप से कराती रहें। चित्र : शटरस्टॉक

नेत्र जांच (eye health) 3 और 5 से 6 साल की उम्र में होने चाहिए, आदर्श रूप से स्कूल शुरू करने से पहले। ये जांच दृष्टि संबंधी समस्याओं का पता लगाने के लिए महत्वपूर्ण है, जिससे समय पर हस्तक्षेप करने की अनुमति मिलती है, जो विज़न डेवलपमेंट में आपकी मदद कर सकता है। नियमित नेत्र परीक्षण यह सुनिश्चित करने में मदद करता है, कि किसी भी संभावित समस्या का समय रहते पता लगाया जाए, जिससे लांग टर्म विजन लॉस का जोखिम कम हो जाता है।

2. स्वस्थ आहार का पालन करें

आपके बच्चे की आंखों के स्वास्थ्य (eye health) को बनाए रखने के लिए पौष्टिक आहार बहुत ज़रूरी है। विटामिन ए, सी और ई जैसे ज़रूरी पोषक तत्वों के साथ ही जिंक जैसे मिनरल, ऑप्टिमल विज़न का समर्थन करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इन पोषक तत्वों से भरपूर खाद्य पदार्थों में शामिल हैं:

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प्रदूषण से बचने के लिए आप क्या करते हैं?
  • गाजर: गाजर बीटा-कैरोटीन से भरपूर होता है, जो शरीर में जाते ही विटामिन ए में परिवर्तित हो जाता है। यह आंखों की सेहत के साथ ही विज़न को बढ़ने में भी मदद करता है।
  • पत्तेदार साग (जैसे पालक और केल): ल्यूटिन और ज़ेक्सैंथिन से भरपूर, एंटीऑक्सिडेंट जो हानिकारक प्रकाश से बचाते हैं।
  • खट्टे फल: विटामिन सी प्रदान करते हैं, जो मोतियाबिंद के जोखिम को कम करने में मदद करता है।

विभिन्न प्रकार के रंगीन फल एवं सब्जियों के सेवन से यह सुनिश्चित करने में मदद मिलती है कि आपके बच्चे को उनकी आंखों की सेहत के लिए आवश्यक पोषण मिल रहा है, जिससे विज़न लॉस और मैकुलर डिजनरेशन जैसी स्थितियों को रोकने में मदद मिलती है।

बच्चों को tarbooj aur santre jaise fal khilaaen
बच्चों को तरबूज और संतरे जैसे फल ज़रूर खिलाएं। चित्र : अडॉबीस्टॉक

3. प्रॉपर लाइटिंग

आंखों के तनाव को कम करने के लिए अच्छी रोशनी ज़रूरी है, खासकर पढ़ने या होमवर्क के दौरान। प्राकृतिक प्रकाश आदर्श है, लेकिन यदि यह संभव नहीं है, तो अच्छी तरह से डिज़ाइन की गई आर्टिफीसियल लइटिनिंग का उपयोग करें।

  • आंखों को चकाचौंध से बचाने के लिए लाइट लैंप को सही तरीके से रखें।
  • कठोर, प्रत्यक्ष स्रोतों के बजाय नरम, विसरित प्रकाश का उपयोग करें।
  • सुनिश्चित करें कि आपके बच्चे का अध्ययन क्षेत्र अच्छी तरह से प्रकाशित हो, जिससे उनकी आंखों को आराम मिले और थकान का जोखिम कम हो।

यह भी पढ़ें Improve eyesight : आंखों की रोशनी बढ़ाने में मददगार हो सकते हैं ये 5 आयुर्वेदिक उपाय

4. स्क्रीन टाइम मैनेजमेंट

चश्मा लगाने वाले बच्चों में बढ़ता स्क्रीन टाइम उनके चश्मे का पॉवर भी बढ़ा सकता है। डिजिटल आई स्ट्रेन को रोकने के लिए स्क्रीन टाइम को प्रभावी ढंग से मैनेज करना महत्वपूर्ण है। 2 वर्ष से कम उम्र के बच्चों के लिए, स्क्रीन टाइम केवल आवश्यक वीडियो कॉल तक ही सीमित होना चाहिए। बड़े बच्चों के लिए:

  • मनोरंजक स्क्रीन टाइम को सीमित करें और एजुकेशनल एक्टिविटीज को प्रोत्साहित करें।
  • 20-20-20 नियम को लागू करें: स्क्रीन देखते हुए हर 20 मिनट में, अपने बच्चे को कम से कम 20 सेकंड के लिए 20 फीट दूर किसी चीज़ को देखने के लिए कहें। आप इस गतिविधि को बिना स्क्रीन के भी दोहरा सकती हैं।

बढ़ा हुआ स्क्रीन टाइम सामाजिक चिंता और ध्यान संबंधी कठिनाइयों सहित विभिन्न स्वास्थ्य समस्याओं में योगदान दे सकता है, इसलिए संतुलित गतिविधियों को बढ़ावा देना महत्वपूर्ण है, जिसमें आउटडोर गेम और शारीरिक व्यायाम शामिल हैं।

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नेत्र परीक्षण यह सुनिश्चित करने में मदद करता है, कि किसी भी संभावित समस्या का समय रहते पता लगाया जाए. चित्र: शटरस्टॉक

5. यूवी प्रोटेक्शन

लॉन्ग टर्म डैमेज को रोकने के लिए अपने बच्चे की आंखों को यूवी किरणों से बचाना आवश्यक है। अत्यधिक यूवी एक्सपोजर से बढ़ती उम्र के साथ मोतियाबिंद और मैक्यूलर डिजनरेशन का खतरा बढ़ सकता है। विशेष रूप से यह कमजोर आंखों वाले बच्चों में अधिक आम होता है।

  • बच्चों को सनग्लासेस लगाने की आदत डालें, यदि बच्चे को पहले से चश्मा लगा है, तो आप उनके लिए पावर वाले सनग्लासेस भी ले सकती हैं। इस प्रकार आप धुप में उनकी आंखों को पूरी तरह से प्रोटेक्ट कर पाएंगी।
  • बाहर जाते समय चौड़ी टोपी पहनने के लिए प्रोत्साहित करें, जिससे उनके चेहरे एवं आंखों को हानिकारक किरणों से प्रोटेक्ट करने में मदद मिलेगी।

यूवी सुरक्षा को एक आदत बनाकर, आप यह सुनिश्चित कर सकती हैं की बढ़ती उम्र के साथ आपके बच्चों की आंखों की सेहत एवं रोशनी पूरी तरह से बरक़रार हो।

6. दृष्टि संबंधी समस्याओं का समय रहते समाधान करने पर ध्यान दें

दृष्टि संबंधी समस्याओं के संकेतों के प्रति सतर्क रहें, जैसे कि बार-बार आंखों को रगड़ना, आंखें सिकोड़ना, वस्तुओं को स्पष्ट रूप से देखने में कठिनाई, या सिरदर्द की शिकायत करना। समय रहते पहचान करना महत्वपूर्ण है, क्योंकि शुरूआती स्टेज में कई दृष्टि समस्याओं का प्रभावी ढंग से इलाज किया जा सकता है। यदि कोई चिंताजनक लक्षण दिखाई देते हैं तो इन बातों को ध्यान में रखें:

  • अपने बच्चे के आई केयर एक्सपर्ट से इस बारे में चर्चा करें।
  • रेफ्रेक्टिंग एरर (निकट दृष्टि या दूर दृष्टि) या आंखों का गलत संरेखण जैसी किसी भी समस्या की
  • पहचान करने और उसे ठीक करने के लिए नियमित रूप से उनके स्वास्थ्य की जांच करें।
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आंखों के तनाव को कम करने के लिए अच्छी रोशनी ज़रूरी है, खासकर पढ़ने या होमवर्क के दौरान। चित्र : शटरस्टॉक

7. सही लेंस का इस्तेमाल

जिन बच्चों को चश्मे की आवश्यकता होती है, उनके लिए निर्धारित सुधारात्मक लेंस का लगातार उपयोग महत्वपूर्ण है। निर्देशानुसार चश्मा पहनने से स्थिति को बिगड़ने से रोका जा सकता है और स्वस्थ दृष्टि विकास को बढ़ावा मिलता है। आंखों की स्वस्थ सेहत के लिए:

  • आई केयर स्पेशलिस्ट सुझाए गए द्वारा लेंस लगाने के शेड्यूल का पालन करें।
  • नियमित रूप से चश्मे के फिट की जांच करें और सुनिश्चित करें कि प्रिस्क्रिप्शन सही है। किसी भी
  • असुविधा या दृष्टि में परिवर्तन के बारे में नेत्र देखभाल प्रदाता से फ़ौरन चर्चा करें।

यह भी पढ़ें : Eye infection in monsoon : आंखें लाल हो रही हैं और उनमें से पानी आ रहा है, तो जानिए मानसून में कैसे रखना है आंखों का ध्यान

डिस्क्लेमर: हेल्थ शॉट्स पर, हम आपके स्वास्थ्य और कल्याण के लिए सटीक, भरोसेमंद और प्रामाणिक जानकारी प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। इसके बावजूद, वेबसाइट पर प्रस्तुत सामग्री केवल जानकारी देने के उद्देश्य से है। इसे विशेषज्ञ चिकित्सा सलाह, निदान या उपचार का विकल्प नहीं माना जाना चाहिए। अपनी विशेष स्वास्थ्य स्थिति और चिंताओं के लिए हमेशा एक योग्य स्वास्थ्य विशेषज्ञ से व्यक्तिगत सलाह लें।

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लेखक के बारे में
अंजलि कुमारी
अंजलि कुमारी

पत्रकारिता में 3 साल से सक्रिय अंजलि महिलाओं में सेहत संबंधी जागरूकता बढ़ाने के लिए काम कर रही हैं। हेल्थ शॉट्स के लेखों के माध्यम से वे सौन्दर्य, खान पान, मानसिक स्वास्थ्य सहित यौन शिक्षा प्रदान करने की एक छोटी सी कोशिश कर रही हैं।

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