मनपसंद खाना खाने के बाद मन संतुष्ट हो जाता है और शरीर में एक एनर्जी का अनुभव होता है। मगर कुछ ही देर में शरीर में थकान महसूस होने लगती है जिससे वर्क प्रोडक्टीविटी घटती हुई नज़र आती है। दरअसल, पोस्ट मील बार बार नींद की झपकी आने लगती है और शरीर में थकान का अनुभव होता है। थकान दूर करने के लिए अक्सर लोग वॉक करने लगते है, तो कुछ चाय या कॉफी से ब्रेन को एक्टिव करने की कोशिश करने लगते है। जानते हैं न्यूट्रीशनिस्ट से खाना खाने के बाद होने वाली थकान (feeling tired after eating) के कारण।
इस बारे में न्यूट्रीशनिस्ट मनीषा गोयल कहना है कि खाने के बाद आने वाली नींद को पोस्टप्रांडियल सोमनोलेंस कहा जाता है। इसके चलते मील्स के बाद हल्की थकान और ऊर्जा के स्तर में गिरावट महसूस होती है। दरअसल,कोलेसिस्टोकाइनिन, ग्लूकागन और एमिलिन जैसे हार्मोन शरीर में खाना खाने के बाद संतुष्टि की भावना को बढ़ाने में मदद करते हैं। इसके अलावा ब्लड शुगर बढ़ जाती हैए और इस शर्करा को रक्त से कोशिकाओं में जाने देने के लिए इंसुलिन का उत्पादन होता है, जहाँ इसका उपयोग ऊर्जा के लिए किया जाता है। इसके अलावा मील्स के बाद शरीर में सेरोटोनिन और मेलाटोनिन रिलीज़ होता है, जिससे नींद आने की समस्या बढ़ने लगती है।
नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन के अनुसार उच्च रक्त शर्करा यानि हाइपरग्लाइसेमिया थकान का मुख्य कारण साबित होता है। हाइपरग्लाइसेमिया उस स्थिति को कहते हैं, जब बहुत अधिक चीनी की मात्रा रक्त में मौजूद होती है और कोशिकाओं तक नहीं पहुँच पाती। ऐसे में शरीर पर्याप्त मात्रा में इंसुलिन का उत्पादन और उपयोग नहीं कर पाता है। दरअसल, इंसुलिन का काम ग्लूकोज या चीनी को ऊर्जा के लिए कोशिकाओं में पहुँचाने में मदद करना है।
दिनभर में 8 से 10 घंटे की नींद न मिल पाने के शरीर में तनाव और थकान का स्तर बढ़ने लगता है। ऐसे में कॉर्टिसोल हार्मोन रिलीज़ होता है और हार्मोनल असंतुलन बढ़ने लगता है। इससे शरीर में थकान, नींद और मोटापा बढ़ने की समस्या का सामना करना पड़ता है।
शराब का सवेन करने से दिनभर बेहोशी का आलम रहता है। नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन के अनुसार अल्कोहल सेंट्रल नर्वस सिस्टम को प्रभावित करती है, जिससे ब्रेन एक्टीविटी स्लो होने लगता है। इससे तनाव का सामना करनापड़ता है। साथ ही खाना खानेके बाद थकान का सामना करना पड़ता है।
ओवरइटिंग करने से खाना खाने के बाद नींद आने की समस्या का कारण बनने लगता है। वे लोग जो क्षमता से अधिक खाते हैं। उन्हें खाना खाने के बाद नींद आने की समस्या का सामना करना पड़ता है। 2 से 3 बड़ी मील्स की जगह 4 से 5 छोटी मील्स लें।
वे फूड्स जिनमें ट्रिप्टोफैन, मेलाटोनिन, कार्ब्स और फैट्स की उच्च मात्रा पाई जाती है। उन्हें खाने के बाद नींद की समस्या बढ़ जाती है। इसके अलावा शुगरी पेय पदार्थों का सेवन भी इस समस्या का कारण बनने लगता है।
रोज़मर्रा के जीवन में बढ़ने वाले तनाव से जूझने के कारण खाना खानेके बाद थकान का सामना करना पड़ता है। ऐसे में व्यक्ति हर वक्त परेशान और चिंतित दिखने लगता है। इसका असर वर्क प्रोडक्टीविटी पर भी दिखने लगता है।
हार्मोनल असंतुलन नींद और थकान का कारण साबित होता है। शरीर में तनाव से संबधित हार्मोन कार्टिसोल का स्तर एंग्ज़ाइटी को बढ़ाता है। इसके चलते अणिकतर लोगों को थकान का सामना करना पड़ता है।
शरीर को निर्जलीकरण और सुस्ती से बचाने के लिए भरपूर मात्रा में पानी पीएं। इससे शरीर में ऑक्सीजन का स्तर उचित बना रहता है।
एक बार में अधिक मात्रा में खाना खाने से बचें। छोटे प्लैटर लेने से शरीर में एनर्जी का लेवल बना रहता है और पोषण की प्राप्ति होती है।
भरपूर नींद लें। इससे दिनभर होने वाली थकान से बचा जा सकता है। नींद की गुणवत्ता बढ़ने से ओवरऑल हेल्थ को फायदा मिलता है।
वर्कआउट को मिस करने से भी शरीर में थकान बनी रहती है। रोज़ाना एक्सरसाइज़ करने से शरीर एक्टिव और हेल्दी रहता है।
ऐसे आहार जिन्में ट्रिप्टोफैन की मात्रा अधिक होती है। उन्हें लेने से बचें। सोयाबीन, चिया सीड्स, पंपकिन सीड्स, चिकन और चीज़ में इसकी अधिक मात्रा पाई जाती है।
हर छोटी बात पर होने वाले तनाव से बचकर शरीर को संतुलित रखने में मदद मिलती है। खाना खाने के बाद थकान से बचने के लिए मेडिटेशन और योग से दिन की शुरूआत करें। इसके अलावा शरीर को रिलैक्स रखने का प्रयास करे।
शरीर में खून की कमी थकान और कमज़ोरी को बढ़ा देती है। ऐसे में डॉक्टर की सलाह से ब्लड टेस्ट अवश्य करवाएं। इससे शरीर में बढ़ने वाली पोषक तत्वों की कमी की जानकारी मिलने लगती है, जिससे व्यक्ति इस समस्या से बच सकता है।