scorecardresearch

Arthritis in women : क्या पुरुषों की तुलना में महिलाओं को ज्यादा होता है आर्थराइटिस का जोखिम? जवाब है हां

शरीर में कई बदलाव आते हैं, जिनके कारण महिलाओं को पुरुषों की तुलना में अर्थराइटिस का जोखिम अधिक होता है। यहां एक्सपर्ट बता रहे हैं इसके लिए जिम्मेदार 5 कारण। ताकि आप अपनी सेहत का बहुत ख्याल रख सकें।
Updated On: 28 Nov 2023, 07:40 pm IST
  • Google News Share
  • Facebook Share
  • X Share
  • WhatsApp Share
mahilaon ko adhik hote hain arthriris.
गठिया के दो सबसे आम प्रकार- ऑस्टियोआर्थराइटिस और रुमेटीइड आर्थराइटिस महिलाओं को सबसे अधिक प्रभावित करते हैं। चित्र : अडोबी स्टॉक

बहुत कम लोग जानते हैं कि आर्थराइटिस महिलाओं के सामने ज्यादा चुनौती पेश करता है। पुरुषों की तुलना में महिलाओं को अधिक आर्थराइटिस होता है। महिलाओं को अक्सर अलग-अलग जॉइंट्स में गंभीर पेन का अनुभव होता है। रूमेटोइड आर्थराइटिस के प्रति भी वे अधिक संवेदनशील होती हैं। एक्सपर्ट से जानते हैं कि महिलाओं को क्यों अधिक आर्थराइटिस परेशान (arthritis in women) करता है।

महिलाओं में आर्थराइटिस पर क्या है विशेषज्ञों की राय (arthritis in women) 

प्राइमस सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल, नई दिल्ली में कन्सल्टेंट ओर्थोपेडिक्स डॉ. विवेक कुमार परसुरामपुरिया बताते हैं, ‘आर्थराइटिस उन स्थितियों की एक श्रेणी है, जो जोड़ों में सूजन और दर्द लाती है। उम्र एक बड़ा जोखिम कारक है। आर्थराइटिस के 100 से अधिक विभिन्न प्रकार हो सकते हैं। इन सभी के अपने जोखिम कारक और लक्षण हो सकते हैं।

गठिया के दो सबसे आम प्रकार- ऑस्टियोआर्थराइटिस और रुमेटीइड आर्थराइटिस महिलाओं को सबसे अधिक प्रभावित करते हैं। अधिकतर पुरुषों को 55 वर्ष की आयु से पहले गठिया होता है। महिलाएं तेजी से इसकी चपेट में आ जाती हैं और संख्या में पुरुषों से आगे निकल जाती हैं। गठिया से पीड़ित महिलाएं पुरुषों की तुलना में अधिक दर्द रिपोर्ट करती हैं।’

महिलाओं में आर्थराइटिस का जोखिम बढ़ा देते हैं ये 5 कारण (causes of arthritis in women) 

1 चौड़े हिप्स (Broad Hips)

डॉ. विवेक कुमार परसुरामपुरिया बताते हैं, ‘महिलाओं के टेंडन अधिक घूमते हैं। चाइल्ड डेलिवरी को एकोमोडेट करने के लिए वे अधिक लचीले होते हैं। चोट लगने की संभावना भी अधिक होती है। इसके अलावा, महिलाओं के चौड़े कूल्हे घुटनों के एलाइन को इस तरह से प्रभावित करते हैं कि वे कुछ प्रकार की चोटों के प्रति अधिक संवेदनशील हो जाती हैं। यह भविष्य में गठिया का कारण बनता है।’

2 हार्मोन में बदलाव (Hormonal Change)

हार्मोन भी भूमिका निभाते हैं। एस्ट्रोजन सूजन को नियंत्रण में मदद करता है। यही कारण है कि युवा महिलाओं में पुरुषों की तुलना में गठिया कम होता है। मेनोपॉज के साथ जब स्तर कम हो जाता है, तो आर्थराइटिस अक्सर हो जाता है।

gathiya ka treatment ho sakta hai.
मेनोपॉज के साथ जब  एस्ट्रोजन का स्तर कम हो जाता है, तो आर्थराइटिस अक्सर हो जाता है। चित्र : अडोबी स्टॉक

3 अधिक वजन (Weight Gain or obesity)

डॉ. विवेक कुमार परसुरामपुरिया के अनुसार, अधिक वजन का अर्थ है अधिक आर्थराइटिस। पुरुषों की तुलना में महिलाओं में मोटापा अधिक (arthritis in women) होता है। अतिरिक्त वजन घुटने के जोड़ों पर दबाव डालता है। यह कार्टिलेज को नष्ट करता है। इसलिए गठिया का खतरा बढ़ जाता है। शरीर के वजन का एक पाउंड प्रत्येक घुटने के जोड़ पर तीन अतिरिक्त पाउंड दबाव में बदल जाता है।

साथ ही जीन भी जिम्मेदार होते हैं। जिस महिला की मां को गठिया है या था, उसे उसी उम्र में और उसी जोड़ में यह समस्या विकसित होने की संभावना बहुत अधिक बढ़ जाती है।

Pollपोल
प्रदूषण से बचने के लिए आप क्या करते हैं?

4 आक्रामक प्रतिरक्षा प्रणाली (Aggressive Immune System)

अधिक आक्रामक प्रतिरक्षा प्रणाली के कारण महिलाओं में रुमेटीइड गठिया का जोखिम बढ़ जाता है। रुमेटीइड गठिया ऑस्टियोआर्थराइटिस से अलग है। सूजन एक ऑटोइम्यून प्रतिक्रिया है। यह जोड़ों पर टूट-फूट से संबंधित है। पुरुषों की तुलना में तीन गुना अधिक महिलाओं को रुमेटीइड गठिया हो सकता है। इसमें ऑस्टियोआर्थराइटिस की तरह दर्द बहुत अधिक होता है।

5 अधिक ऑटोइम्यून बीमारियां (more autoimmune diseases)

महिलाओं को पुरुषों की तुलना में कहीं अधिक संख्या में ऑटोइम्यून बीमारियां (arthritis in women) होती हैं। ऐसा माना जाता है कि महिला की प्रतिरक्षा प्रणाली मजबूत लेकिन अधिक प्रतिक्रियाशील होती है। साथ ही हार्मोन रुमेटीइड गठिया के जोखिम को बढ़ा देते हैं।

रुमेटॉइड अर्थराइटिस से पीड़ित कई महिलाएं जो गर्भवती हो जाती हैं, उन्हें कम या न के बराबर लक्षणों का अनुभव नहीं होता है। बच्चे के जन्म के बाद अर्थराइटिस के लक्षण दोबारा प्रकट हो जाते हैं। यहाँ ध्यान देने वाली बात है कि स्तनपान से रुमेटीइड अर्थराइटिस विकसित होने का खतरा कम हो जाता है। एक महिला जो दो साल तक स्तनपान कराती है, उसे यह बीमारी होने का खतरा आधा हो जाता है।

lubrication ki kami banta hai joint pain ka karan.
महिलाओं को पुरुषों की तुलना में कहीं अधिक संख्या में ऑटोइम्यून बीमारियां होती हैं। चित्र : अडोबी स्टॉक

डिलीवरी के बाद रूमेटोइड अर्थराइटिस के लक्षण हो सकते हैं कम (breastfeeding reduces risk of rheumatoid arthritis)

गर्भवती महिलाओं (arthritis in women) में रुमेटीइड अर्थराइटिस के लक्षण कम हो जाते हैं या गायब हो जाते हैं। बच्चे को जन्म देने के 3 महीने के भीतर ये दोबारा दिख सकते हैं। कुछ अध्ययन बताते हैं कि प्रतिरक्षा कोशिकाओं में कुछ जीनों की गतिविधि में परिवर्तन इस घटना के लिए जिम्मेदार हो सकती है।

यह भी पढ़ें :- Joint health : बढ़ती उम्र में भी रखना है जोड़ों को स्वस्थ, तो इन बातों का हमेशा ध्यान रखें

डिस्क्लेमर: हेल्थ शॉट्स पर, हम आपके स्वास्थ्य और कल्याण के लिए सटीक, भरोसेमंद और प्रामाणिक जानकारी प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। इसके बावजूद, वेबसाइट पर प्रस्तुत सामग्री केवल जानकारी देने के उद्देश्य से है। इसे विशेषज्ञ चिकित्सा सलाह, निदान या उपचार का विकल्प नहीं माना जाना चाहिए। अपनी विशेष स्वास्थ्य स्थिति और चिंताओं के लिए हमेशा एक योग्य स्वास्थ्य विशेषज्ञ से व्यक्तिगत सलाह लें।

  • Google News Share
  • Facebook Share
  • X Share
  • WhatsApp Share
लेखक के बारे में
स्मिता सिंह
स्मिता सिंह

स्वास्थ्य, सौंदर्य, रिलेशनशिप, साहित्य और अध्यात्म संबंधी मुद्दों पर शोध परक पत्रकारिता का अनुभव। महिलाओं और बच्चों से जुड़े मुद्दों पर बातचीत करना और नए नजरिए से उन पर काम करना, यही लक्ष्य है।

अगला लेख