आप मधुमेह से ग्रस्त हैं, या आपको शुगर लेवल बॉर्डरलाइन पर पहुंच गया है! यकीनन आप इससे बचने के लिए खानपान में बहुत सारे बदलाव कर रहे होंगे। इन्हीं में से एक बड़ा बदलाव है खाने में मिठास की कटौती। हालांकि डायबिटीज को कंट्रोल करने के लिए कुछ लोग सीधे-सीधे मीठी चीजों का सेवन बंद कर देते हैं। पर अपने स्वीट टूथ से परेशान लोग इसे शुगर फ्री टेबलेट्स या आर्टिफिशियल स्वीटनर्स (Artificial sweeteners side effect) से रिप्लेस कर देते हैं। पर क्या ये वाकई हेल्दी तरीका है? असल में विशेषज्ञ शुगर फ्री (side effects of sugar free tablets) की ओवरडोज को भी स्वास्थ्य के लिए जोखिमकारक मानते हैं।
वर्तमान समय में बीमारियां बढ़ती ही जा रही हैं और इसका एक बहुत बड़ा कारण हमारा खानपान है। बीमारियों को ठीक करने के लिए हम कुछ ऐसे खाद्य पदार्थों का सेवन करने लगते हैं, जो हमें हेल्दी लगते हैं। पर असल में ये कितने हेल्दी हैं, यह विवाद का विषय है। ऐसा ही एक विकल्प है चीनी की जगह शुगर फ्री या ‘आर्टिफ़ीशियल स्वीटनर्स’ (artificial sweeteners) का इस्तेमाल।
कृत्रिम मिठास (artificial sweeteners) काफी कम कैलोरी वाला रसायनिक पदार्थ होता है। जिसका उपयोग मीठे के स्थान पर किया जाता है। इसका इस्तेमाल कई सारे खाद्य पदार्थों में किया जाता है।
नेहा रंगलानी पोषण विशेषज्ञ और स्वास्थ्य कोच (nutritionist and health coach) हैं वह कहती हैं, आर्टिफिशियल स्वीटनर्स कैलोरी में कम हो सकते हैं लेकिन यह बहुत सारे साइड-इफेक्ट्स से भरे हुए हैं। इसका सेवन सिर्फ शुगर लेवल के लिए ही बुरा नहीं है बल्कि इससे सेहत को और भी कई नुकसान होते हैं। यह सूजन पैदा करते हैं और लीवर को कमजोर करते हैं। क्योंकि ये रसायन होते हैं।
मधुमेह एक घातक बीमारी है जिसे सिर्फ अपनी डाइट से ही कंट्रोल में रखा जा सकता है। इसलिए कुछ लोग इसे नियंत्रित भी रखना चाहते हैं और मीठा भी नहीं छोड़ सकते हैं। तो वह लोग ‘आर्टिफ़ीशियल स्वीटनर’ का प्रयोग करने लगते हैं लेकिन क्या वाकई यह आपके ब्लड शुगर पर कोई बुरा प्रभाव नहीं डालता है। ये बात पता करने के लिए हेल्थशॉट्स की टीम ने एक्सपर्ट से बात की। तो चलिए जानते हैं क्या ‘आर्टीफिशियल स्वीटनर’ (artificial sweeteners) के सेवन से शुगर लेवल पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है।
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अधिकतर लोगों का मानना है कि आर्टिफिशियल स्वीटनर्स मधुमेह के रोगियों के लिए एक अच्छा विकल्प है, लेकिन ऐसा नहीं है। बल्कि यह मधुमेह का कारण बन सकता है। क्योंकि कृत्रिम मिठास रक्त में शर्करा के विनियमित करने की क्षमता को बाधित करता है। इससे मेटाबॉलिज्म डिस्टर्ब हो जाता है। प्राकृतिक मीठे के स्थान पर आर्टिफिशियल स्वीटनर्स का अधिक सेवन डायबिटीज बढ़ाने का एक बड़ा कारण है। इसलिए इसका सेवन अच्छा नहीं माना जा सकता है।
नेहा रंगलानी कहती हैं कि आर्टिफिशियल स्वीटनर से मेटाबोलिक सिंड्रोम का जोखिम बना रहता है। इसमें हाई ब्लड प्रेशर, शुगर लेवल का बढ़ना, बैली फेट और कोलेस्ट्रॉल का लेवल बढ़ने लगता है जिससे स्ट्रोक और हृदय रोग का खतरा बढ़ जाता है।
एक्सपर्ट कहती हैं जब आप आर्टिफिशियल स्वीटनर्स का सेवन करते हैं तो मस्तिष्क में यह बात रहती है कि इसकी कैलोरी कम है और आप अधिक खाने लगते हैं। कृत्रिम मिठास आपकी भूख को भी बढ़ाता है इससे आपका वजन बढ़ने लगता है।
उन लोगों में हाई ब्लड प्रेशर, हार्ट प्रॉब्लम और कोरोनरी हृदय रोग जैसी बीमारियों का खतरा काफी अधिक बढ़ जाता है, जो दिन में दो बार से ज्यादा कृत्रिम मिठास से बने पेय पदार्थों का सेवन करते हैं। क्योंकि आर्टिफिशियल स्वीटनर्स हृदय संबंधी बीमारियों का खतरा काफी बढ़ा देता है।
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कस्टमाइज़ करेंयदि आपको बार-बार मीठा खाने का मन करता है और आप डायबिटीज से ग्रस्त हैं तो आप आर्टिफिशियल स्वीटनर्स के स्थान पर कुछ हेल्दी ऑप्शन अपना सकते हैं। जो आपके ब्लड शुगर लेवल को बढ़ने से रोकते हैं और आपकी हेल्थ के लिए भी नुकसानदायक नहीं है। खजूर, किशमिश और शहद जैसे प्राकृतिक ऑप्शन आपके मीठा खाने की क्रेविंग को तो शांत करते ही हैं साथ ही सेहत के लिए लाभकारी भी हैं।
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