40 से 50 की उम्र के मध्य महिलाओं को स्किन एजिंग और मोटापे का सामना करना पड़ता है। इससे बचने के लिए वे तरह तरह के कॉस्मेटिक का इस्तेमाल करती है और कई प्रकार की डाइट फॉलो करती है। वे वज़न को नियंत्रित करके स्किन का खोया ग्लो दोबारा से पाना चाहती है। मगर समस्या ज्यों की त्यों बनी रहती है। दरअसल, रोज़मर्रा के जीवन में कुछ लाइफस्टाइल मिस्टेक्स एजिंग के प्रोसेस को तेज़ी से बढ़ा देती है। इससे त्वचा में सेल्स रिपेयरिंग प्रोसेस स्लो होने लगता है, जो त्वचा पर झुर्रियों और थिन स्किन का कारण साबित होते है। जानते है। वो लाइफस्टाइल मिस्टेक्स (Unhealthy habits make you older) जिससे महिलाएं एजिंग को अपनी ओर आकर्षित करती हैं ।
इस बारे में डायटीशियन मनीषा गोयल बताती हैं कि लाइफस्टाइल में आने वाले परिवर्तन ओवरऑल हेल्थ को प्रभावित करते है। दरअसल, दिनों दिन प्रोसेस्ड फूड के बढ़ते चलन के कारण पोषक तत्वों के अवशोषण में बाधा आती है, जो शरीर में न्यूट्रिएंटस की कमी को बढ़ा देता है। इसके अलावा एक्सरसाइज़ की कमी से मांसपेशियों की ऐंठन बढ़ने लगती है, जिससे उम्र के साथ टांगों, घुटनों और कमर का दर्द बढ़ने लगता है। साथ ही इससे ब्लड सर्कुलेशन प्रभावित होता है। इसके चलते कोलेजन की मात्रा प्रभावित होने लगती है और त्वचा का लचीलापन कम होने लगता है। ऐसे में त्वचा को सूर्य की किरणों से बचाएं और खुद को हाइड्रेट रखने का भी प्रयास करें।
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के अनुसार तनावपूर्ण जीवनशैली शरीर में सूजन पैदा कर सकती है। इससे नींद की गुणवत्ता में भी कमी आने लगती है, जिससे शरीर में स्ट्रस हार्मोन का बढ़ना प्रीमेच्योर एजिंग का कारण बनने लगता है। दरअसल, तनाव सेल्स और डीएनए को क्षतिग्रस्त करके इम्यून सिस्टम को कमज़ोर बना देता है। वे लोग जो ज्यादातर चिंताग्रस्त रहते हैं, उनके शरीर में कोर्टिसोल का रिलीज़ बढ़ जाता है, क्रोनिक बीमारियों के जोखिम को बढ़ाता है। इससे कोलेजन और इलास्टिन प्रभावित होने लगता है। इसके चलते झुरिर्या, हेयरलॉस और शारीरिक थकान का सामना करना पड़ता है।
सेल मेटाबॉलिज्म की एक स्टडी के अनुसार तनाव के साथ बायोलॉजिकल एज बढ़ती है, लेकिन तनाव से उबरने के बाद यह मूल स्तर पर वापस आ जाती है। इसके लिए हेल्दी डाइट, भरपूर नींद और वर्कआउट को रूटीन में शामिल करना आवश्यक है।
काम में मसरूफियत नींद की कमी का कारण साबित होती है, जो चेहरे पर झुर्रियां और आंखों के नीचे डार्क सर्कल का कारण बन जाता है। अमेरिकन अकेडमी ऑफ स्लीप मेडिसिन के अनुसार एक व्यक्तित को रात में सात घंटे की नींद अवश्य लेनी चाहिए। एक अन्य रिसर्च के अनुसार पूरी नींद न लेने से स्किन इरिटेशन और त्वचा की संवेदनशीलता बढ़ने लगती है। दरअसल, गहरी नींद के दौरान ग्रोथ हार्मोन डैमेज स्किन सेल्स की मरम्मत में मददगार साबित होते हैं। इससे उम्र बढ़ने के लक्षणों में कमी आने लगती है।
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के अनुसार नींद की कमी के चलते मोटापा, डायबिटीज़, हृदय रोगों और मानसिक विकारों का खतरा बढ़ने लगता है। अनिद्रा से हार्मोन असंतुलन बढ़ने लगता है, जो प्री मेच्योर एजिंग का कारण बनता है। इससे राहत पाने के लिए 7 से 9 घंटे सोएं और स्क्रीन टाइम को सीमित करें।
आहार में शुगर और प्रोसेस्ड फूड को बढ़ाने से शरीर में इंफ्लामेशन बढ़ने लगती है। इससे पोषक तत्वों के अवशोषण में बाधा उत्पन्न होने लगती है, जिससे एजिंग का प्रभाव बढ़ने लगता है। प्रोसेस्ड फूड का सेवन करने से शरीर में प्रीजर्वेटिव्स का स्तर बढ़ने लगता है, जो गट हेल्थ को नुकसान पहुंचाते हैं। इसके अलावा शरीर में निर्जलीकरण की समस्या बढ़ जाती है, जो कोलेजन को नुकसान पहुंचाती है। साथ ही शरीर में विटामिन सी की कमी का कारण बन जाती है। इससे त्वचा और बालों में रूखापन बढ़ने लगता है, जो स्किन एजिंग को दर्शाता है।
एनआईएच के अनुसार हाई ग्लाइसेमिक इंडेक्स वाले खाद्य पदार्थ से शरीर में ब्लड शुगर का स्तर बढ़ने लगता है। ऐसे में आहार में हेल्दी फेट्स, एंटीऑक्सीडेंटस, लीन प्रोटीन और ताज़े फल व सब्जियों को शामिल करें।
मेडलाइन प्लस की रिपोर्ट के अनुसार देर तक सूर्य की किरणों के संपर्क में आने से टैनिंग और प्री मेच्योर एजिंग की समस्या बनी रहती है। इसे फोटोएजिंग भी कहा जाता है। इससे कोलेजन और इलास्टिन फाइबर को नुकसान का सामना करना पड़ता है। इसके अलावा स्किन की लेयर्स में रूखापन बढ़ जाता है, जिससे स्किन थिननेस बढ़ने लगती है। लाइट एक्सपोज़र बढ़ना प्री मेच्योर एजिंग को बढ़ाता है।
धूप से बचने के लिए चेहरे और बाजूओं को बाहर निकलने से पहले कवर कर लें। इसके अलावा एसपीएफ 30 सनस्की्रन का इस्तेमाल करें। इसके अलावा सुबह 10 से 2 बजे के बीच में धूप में निकलने से बचना चाहिए।
गतिहीन जीवन शैली शरीर में कई बीमारियों का कारण बनने लगती है। इसका असर शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर देखने को मिलता है। एक्सरसाइज़ न करने से शरीर में ब्लड सर्कुलेशन युचारू प से नहीं हो पाता है, जिससे मूड स्विंग, थकान और कमज़ोरी बढ़ने लगती है। साइंस डायरेक्ट की रिपोर्ट के अनुसार सिडेंटरी लाइफस्टाइल को अपनाने से मस्क्यूलर सेल्स में एजिंग के लक्षण दिखने लगते है।
इससे राहत पाने के लिए नियमित रूप से वर्कआउट प्लान को फॉलो करें और शरीर को दिनभर एक्टिव रखने का प्रयास करें। इससे शरीर में बढ़ने वाली कमज़ोरी से बचा जा सकता है। साथ ही शरीर का इम्यून सिस्टम भी बूस्ट होता है।
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