महिलाएं अपने स्वास्थ्य को प्राथमिकता नहीं देतीं, जिसकी वजह से उन्हें कई सारी स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इसलिए, शुरूआती लक्षणों पर नज़र रखना महत्वपूर्ण है जो, आपको बीमारियों से बचने में मदद करेंगे, खासकर जब स्त्री रोगों की बात आती है।
आइये जानते हैं ऐसे ही पांच बातों के बारे में जो आपको अपने प्रजनन स्वास्थ्य की देखभाल करने में मदद करेंगे।
किसी भी तरह का अनियमित रक्तस्राव, खासकर पेरिमेनोपॉज़ल उम्र में एक चिंताजनक विषय है। चक्रों के बीच अनियमित पीरियड्स या रक्तस्राव पर नजर रखनी चाहिए। ये हार्मोनल असंतुलन या अन्य अंतर्निहित बीमारियों का संकेत हो सकता है।
युवा महिलाओं में पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (पीसीओएस) काफी आम समस्या है, जो मासिक धर्म की अनियमितता, कॉस्मेटोलॉजी मुद्दों जैसे मुंहासे, पिगमेंटेशन, बालों का पतला होना या झड़ना, हिर्सुटिज़्म या ठोड़ी पर बाल आना, वज़न बढ़ना जैसी समस्याओं का कारण बनती है।
पीसीओएस, महिलाओं में बांझपन के सबसे आम कारणों में से एक है, जो ओव्यूलेशन की अनुपस्थिति या अनियमित ओव्यूलेशन के कारण होता है। दर्दनाक पीरियड्स या भारी रक्तस्राव इसका महत्वपूर्ण कारण है। ऐसे कोई भी लक्षण सामने आने पर डॉक्टर को दिखाएं। ताकि वह डिम्बग्रंथि में मौजूद फाइब्रॉएड, एंडोमेट्रियोसिस या सिस्ट की जांच कर सकें।
मूत्र पथ के संक्रमण (यूटीआई) जैसे जननांग पथ के संक्रमण जो मूत्र प्रणाली को प्रभावित करते हैं, महिलाओं में होने वाले सबसे आम प्रकार के संक्रमण हैं। एस्ट्रोजन के स्तर में गिरावट या मधुमेह से पीड़ित होने के कारण रजोनिवृत्त होने वाली महिलाएं यूटीआई के लिए अतिसंवेदनशील होती हैं। एक और प्रमुख कारण स्वच्छता का स्तर है, जिसके कारण बैक्टीरिया मूत्र पथ के अंदर प्रवेश करते हैं।
पेल्विक इंफ्लेमेटरी डिजीज (पीआईडी) और यौन संचारित रोग (एसटीडी) संक्रमण के अन्य रूप हैं। जो यौन संपर्क के माध्यम से संक्रमित हो सकते हैं। उनमें से कुछ क्लैमाइडिया, जेनिटल हरपीज, सिफलिस और गोनोरिया हैं। आप असामान्य योनि स्राव का भी अनुभव कर सकती हैं, यदि यह दुर्गंध युक्त है, इसमें गाढ़ी दही की स्थिरता है या दाने और खुजली हैं, तो है ल्यूकोरिया भी हो सकता है।
टीकाकरण महिलाओं को संक्रमण के जोखिम और कैंसर से बचाता है। एचपीवी वैक्सीन या सर्वाइकल कैंसर का टीकाकरण कम उम्र में महिलाओं द्वारा लिया जाना चाहिए, जैसा कि नौ साल की उम्र के बाद यह सबसे अच्छा है, इससे पहले की वे यौन सक्रिय हो। रूबेला या एमएमआर वैक्सीन आपको खसरा और रूबेला जैसे संक्रमणों से बचाती है। इसे गर्भावस्था की योजना बनाने से पहले लेना चाहिए।
चिकनपॉक्स या वेरिसेला वैक्सीन अभी तक एक और महत्वपूर्ण टीकाकरण है, जो आपके बच्चे में जन्मजात वैरिकाला सिंड्रोम को रोक सकता है। इसे गर्भाधारण से पहले लिया जाना चाहिए। हेपेटाइटिस बी वैक्सीन और इन्फ्लूएंजा / फ्लू शॉट भी महिलाओं द्वारा ली जाती है, खासकर जब वे गर्भावस्था की योजना बना रही हैं। जब भी उपलब्ध हो, COVID-19 वैक्सीन भी ली जानी चाहिए।
महिलाओं को प्रभावित करने वाले सबसे आम कैंसर, स्तन और सर्वाइकल के कैंसर हैं। इसके बाद अन्य प्रजनन अंगों के कैंसर हैं। स्तन कैंसर को महिलाओं की मृत्यु का प्रमुख कारण माना जाता है, जिसे एक साधारण मासिक स्व-जांच द्वारा आसानी से रोका जा सकता है।
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कस्टमाइज़ करेंयदि आपको अपने स्तन में किसी भी गांठ या परिवर्तन का पता लगाता हैं, तो आपको अपने डॉक्टर से तुरंत मिलना चाहिए। सेल्फ एग्जामिनेशन हर महीने करना जरूरी है। एक अनुभवी डॉक्टर द्वारा वर्ष में कम से कम एक बार नैदानिक जांच करवानी चाहिए।
आपकी उम्र और आपकी वर्तमान स्वास्थ्य आवश्यकताओं के आधार पर मैमोग्राफी या मैमोग्राम की भी सिफारिश की जाती है। सभी महिलाएं जो यौन रूप से सक्रिय हैं, उन्हें पैल्विक टेस्ट और सोनोग्राम करवाना चाहिए। नियमित एचपीवी स्क्रीनिंग और पैप स्मीयरों को प्री कैंसर या सर्वाइकल कैंसर की जांच के लिए बहुत महत्वपूर्ण माना गया है।
सबसे महत्वपूर्ण है कि ऐसे कोई भी लक्षण सामने आने पर आप अपनी स्त्री रोग विशेषज्ञ से मिलें। आमतौर पर, महिलाएं स्त्री रोग विशेषज्ञ के पास केवल तब जाती हैं, जब वे बेबी प्लान कर रही होती हैं या वे कुछ स्वास्थ्य समस्याओं से परेशान होती हैं। जिन पर तुरंत ध्यान देने की आवश्यकता होती है।
हालांकि, यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि वर्ष में कम से कम एक बार आपके प्रजनन स्वास्थ्य पर उचित ध्यान दिया जाए। नियमित रूप से अपना चेकअप करवाना अच्छे स्वास्थ्य को बनाये रखने में मददगार साबित हो सकता है। यह किसी भी तरह की शंकाओं को दूर करेगा, और बीमारियों के जोखिम से बचाएगा।
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