बोन लॉस और ऑस्टियोपोरोसिस की स्थिति हड्डियों से जुड़ी होती हैं। इनकी वजह से हड्डियां कमजोर हो जाती हैं, और हड्डियों से जुड़ी समस्या आपको बार बार प्रभावित कर सकती है। एज एक ऐसा फैक्टर है जिसपर किसी का नियंत्रण नहीं होता। उम्र के साथ हड्डियों से संबंधित समस्याएं होना बिल्कुल कॉमन है, परंतु आप चाहे तो इसके प्रभाव पर भी नियंत्रण पा सकती हैं। उम्र से पहले कुछ ऐसे फैक्टर्स भी हैं, जो आपकी हड्डियों के लिए स्मोकिंग जितने खतरनाक हो सकते हैं।
जिस प्रकार स्मोकिंग जैसी लाइफस्टाइल की हैबिट आपकी हड्डियों को प्रभावित करती है। ठीक उसी प्रकार कुछ अन्य कॉमन फैक्टर हैं जिनकी वजह से हड्डियां बेहद कमजोर हो जाती हैं। हालांकि, इन पर आपका पूरा नियंत्रण है, आप चाहे तो उन्हें कंट्रोल कर अपनी समस्याओं को बढ़ने से रोक सकती हैं (causes of bone loss)।
होम्योपैथ स्पेशलिस्ट और न्यूट्रीशनिस्ट डॉक्टर स्मिता पाटिल ने अपने इंस्टाग्राम पोस्ट के जरिए बोन लॉस और ऑस्टियोपोरोसिस के खतरे को बढ़ाने वाले कुछ फैक्टर्स के बारे में बताया है। तो चलिए जानते हैं आखिर ऐसे कौन से फैक्टर्स हैं।
सॉफ्ट ड्रिंक विशेष रूप से फॉस्फोरिक एसिड में उच्च ड्रिंक्स, ऑस्टियोपोरोसिस में योगदान कर सकते हैं। फॉस्फोरिक एसिड शरीर में कैल्शियम अवशोषण में हस्तक्षेप कर सकता है, जिससे बॉडी में कैल्शियम संतुलन को बनाए रखना मुश्किल हो जाता है। समय के साथ, इस असंतुलन के परिणामस्वरूप शरीर हड्डियों से कैल्शियम खींच सकता है, और इन्हे कमजोर कर सकता है। इस स्थिति में ऑस्टियोपोरोसिस का खतरा बढ़ जाता है।
अत्यधिक कैफीन का सेवन हड्डियों के स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। कैफीन यूरिन के माध्यम से कैल्शियम को फ्लश आउट कर देता है, जिससे संभावित रूप से शरीर में कैल्शियम का संतुलन प्रभावित हो सकता है। कैल्शियम के प्रभावित होने से हड्डियों से संबंधित समस्याएं परेशान करना शुरू कर देती हैं। हालांकि, एक सीमित मात्रा में काफी लेने में कोई परेशानी नहीं है, लेकिन इसकी अधिक मात्रा समय के साथ बोन डेंसिटी को कम कर सकती है। बोन डेंसिटी की कमी से हड्डियों में दर्द सहित फ्रैक्चर का खतरा बढ़ जाता है, जिससे की हड्डियों से जुड़ी समस्याएं अक्सर आपको अपना शिकार बना लेती हैं।
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कैल्शियम अवशोषण और हड्डियों की सेहत के लिए विटामिन डी को एक बेहद महत्वपूर्ण पोषक तत्व के रूप में जाना जाता है। शरीर में विटामिन डी की कमी होने से कैल्शियम का अवशोषण प्रभावित हो सकता है, जिसके परिणामस्वरूप हड्डियां कमज़ोर हो जाती हैं। ऐसे में कैल्शियम के उचित अवशोषण के लिए बॉडी में पर्याप्त मात्रा में विटामिन डी होना चाहिए। इसके पर्याप्त स्तर को बनाए रखने के लिए धूप में रहना और आहार स्रोत जैसे की फैटी फिश, आदि महत्वपूर्ण हैं।
विटामिन K2 हड्डियों के मेटाबॉलिज्म और मिनरेलाइजेशन में एक अहम भूमिका निभाता है। शरीर में अपर्याप्त विटामिन K2 की मात्रा से हड्डियों का निर्माण ख़राब हो सकता है और फ्रैक्चर का खतरा बढ़ जाता है। वहीं बढ़ती उम्र के साथ ये समस्या अधिक घातक हो सकती है। अगर आप हड्डियों को मजबूत बनाए रखना चाहती हैं, तो अपनी डाइट में हरी पत्तेदार सब्जियों को शामिल करें और फर्मेंटेड डेयरी प्रोडक्ट्स विटामिन K2 के अच्छे स्रोत होते हैं, इन्हे अपनी डाइट में जरूर शामिल करें।
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