यदि आप कभी किसी गर्भवती महिला के आसपास रही हैं, तो आपने देखा होगा कि उन सभी को अलग-अलग तरह के फूड्स की क्रेविंग होती है। लेकिन दुर्भाग्य से, इस समय कुछ गर्भवती महिलाएं अजीब चीजों की डिमांड करने लगती हैं। इनमें प्रोसेस्ड और शुगर युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन करती हैं, जो वास्तव में मां और बच्चे दोनों के लिए स्वस्थ नहीं है।
गर्भावस्था के दौरान, एक महिला को पोषक तत्वों की अधिकतम मात्रा की आवश्यकता होती है, क्योंकि वह एक संपूर्ण मानव का प्रजनन करती है। यह देखा गया है कि पहली तिमाही में महिलाओं में जंक फूड के लिए बहुत ज्यादा क्रेविंग होती है। जो शरीर के पोषण संतुलन को बाधित करती हैं। इससे वजन भी बढ़ता है! वहीं दूसरी तिमाही में ये क्रेविंग्स और भी अधिक बढ़ जाती हैं।
इसके लिए सबसे ज्यादा जिम्मेदार है हार्मोन में बदलाव। गर्भावस्था के दौरान, एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन जैसे गर्भावस्था के हार्मोन की अचानक बदलाव होते हैं। जिसमें इनका अधिक बढ़ना शामिल है। ये हार्मोन गर्भवती महिलाओं को यह विश्वास दिलाते हैं कि उन्हें अधिक भोजन की आवश्यकता है। यही उन्हें क्रैविंग की ओर ले जाता है, विशेष रूप से खट्टा, मीठा और तला हुआ भोजन।
कोलंबिया एशिया अस्पताल, गाजियाबाद की स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. रंजना बेकन कहती हैं, “अफसोस की बात है कि एक गर्भवती महिला को इन क्रेविंग्स से जूझना पड़ता है, क्योंकि इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि क्या होने जा रहा है। गर्भवती महिलाओं में जंक फूड क्रेविंग की कुछ अन्य वजहें उनकी बदली हुई गंध और स्वाद है। कई बार पोषण संबंधी कमियों के कारण भी गर्भवती महिलाओं को कई फूड्स की क्रेविंग होती है।”
वह यह भी बताती है कि समस्या तब और भी गंभीर हो जाती है, अगर गर्भवती महिला गर्भकालीन मधुमेह से निपट रही हो। सोडा, कोला, और जंक फूड, चीनी और कैलोरी से भरे होते हैं, जो किसी भी तरह से मां और बच्चे को फायदा नहीं पहुंचाते।
पर गर्भावस्था के दौरान अपने लाइफस्टाइल में बदलाव कर इस तरह की क्रेविंग्स से बचा जा सकता है
अधिकांश समय हमारे शरीर में अस्वास्थ्यकर भोजन के लिए क्रेविंग होती है, क्योंकि इसमें पोषण की कमी होती है। यदि आप एक स्वस्थ आहार लेती हैं और अपने शरीर के पोषण संतुलन को बनाए रखती हैं, तो आपको ज्यादा जंक फूड के लिए क्रेविंग नहीं होती।
जब हम नियमित अंतराल पर भोजन नहीं करते, तो हमारा ब्लड शुगर गिरने लगता है जो क्रेविंग को ट्रिगर करता है। इसलिए, हर दो घंटे के बाद भोजन करें। छोटे मील लें, ताकि आप खुद को तृप्त महसूस करें।
डॉ. बेकन सलाह देती हैं, “कोला और सोडा के बजाय एक गिलास फलों का रस, एक कटोरी फल-आधारित दही, भुने हुए मेवे, घर का बना शर्बत आदि लें। इस तरह आप अपनी कैलोरी काउंट (calorie count) को बनाए रख सकती हैं, और मीठे या नमकीन भोजन के लिए अपनी क्रेविंग को भी पूरा कर सकती हैं।”
कम तीव्रता वाले व्यायाम जैसे ब्रिस्क वॉकिंग, योगा, मेडिटेशन इत्यादि बहुत जरूरी हैं। यह आपको एक्टिव रखेगा और भोजन और भूख के बारे में सोचने से भी बचाए रखेगा। गर्भावस्था के दौरान स्वस्थ जीवनशैली बनाए रखने के लिए आप किस तरह के व्यायाम कर सकती हैं, इसे समझने के लिए अपने चिकित्सक से परामर्श करें।
उपरोक्त सभी के बाद, थोड़े-थोड़े समय में जंक फूड लेने में कोई बुराई नहीं है। बस यह सुनिश्चित करें कि आप अधिक मात्रा में इसका सेवन न करें। वरना पोस्टपार्टम वेट गेन (postpartum weight gain) से निपटना वास्तव में आपके लिए मुश्किल हो सकता है।
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