इन 4 कारणों से ज्यादातर महिलाओं को करना पड़ता है हॉर्मोनल असंतुलन का सामना, जानें इन्हें नियमित करने के उपाय

पीरियड साइकिल से लेकर, प्रेगनेंसी और फिर मेनोपॉज तक महिलाओं के शरीर को बार बार हार्मोन असंतुलन की समस्या से दो चार होना पड़ता है। जानते हैं कि क्या है हार्मोन असंतुलन के कारण (Reasons of hormone imbalance)।
hormones apki poori sehat ko prabhavit karte hain
महिलाओं के शरीर में उम्र के साथ परिवर्तन आने लगते है, जिससे होमोनल इंबैलेंस बढ़ने लगता है। चित्र: शटरस्टॉक
ज्योति सोही Published: 8 Mar 2024, 12:30 pm IST
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सोशल मीडिया के बढ़ते चलन के कारण लोगों के सोने और उठने के समय के साथ खाना पान में भी कई बदलाव नज़र आने लगते हैं। इसका असर शरीर के हार्मोनस पर नज़र आता है। देखते ही देखते अनियमित लाइफस्टाइल हार्मोनल असंतुलन का कारण बनने लगता है। इससे शरीर में कई परिवर्तन नज़र आने लगते हैं। चाहे मोटापा हो, फेशियल हेयर का बढ़ना हो या लिबिडो की कमी। पीरियड साइकिल के शुरू होने से लेकर, प्रेगनेंसी और फिर मेनोपॉज तक महिलाओं के शरीर को बार बार हार्मोन असंतुलन की समस्या से दो चार होना पड़ता है। जानते हैं कि क्या है हार्मोन असंतुलन के कारण और इन्हें कैसे रेगुलेट करें (Reasons of hormone imbalance)।

नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन के एक रिसर्च के अनुसार साल 1905 में पहली बार हार्मोन शब्द का इस्तेमाल किया था, जहां इसे एक कंपाउड बताया गया। ये स्रावी ऊतक यानि सीक्रीटरी टिशू में उत्पन्न होता है, जो ब्लड में मिलकर शरीर के फंक्शसं को प्रभावित करता है। इनकी मदद से शरीर के साइकॉलोजिकल सिस्टम को नियंत्रित किया जाता है, जिसका प्रभाव मेटाबॉलिज्म पर भी दिखता है। इसमें प्रोजेस्टेरोन, एस्ट्रोजन, एकोर्टिसोल और मेलाटोनिन व ऑक्सीटोसी जैसे हार्मोन मौजूद हैं। हामो

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पर्सनल और प्रोफेशनल लाइफ के बीच बढ़ा सकता है यह असंतुलन। चित्र: शटरस्‍टॉक

होर्मोन असंतुलन के लक्षण जानें

इस बारे में गायनेकोलॉजिस्ट डॉक्टर तनुश्री पांडे पडगांवकर का कहना है कि महिलाओं के शरीर में उम्र के साथ परिवर्तन आने लगते है, जिससे होमोनल इंबैलेंस बढ़ने लगता है। इससे डिप्रेश, मूड स्विंग, सिरदर्द और भूख न लगने समेत कई समस्याओं से होकर गुज़रना पड़ता है। कई कारणों से बढ़ने वाली इस समस्या को नियंत्रित करने के लिए एक्सरसाइज़ के अलावा खान पान का ख्याल रखें।

डाइट में लीन प्रोटीन को शामिल करें। इसके अलावा पर्याप्त नींद लें, जो मेंटल हेल्थ को बूस्ट करता है। सॉफ्ट ड्रिंक फ्रूट जूस समेत अन्य शुगर से भरपूर पेय पदार्थों से दूरी बनाकर शुगर लेवल को भी नियंत्रित रखने में मदद मिलती है, जिससे होर्मोन संतुलित रहते हैं।

जानते हैं हार्मोनल इंबैलेंस के कारण

1. तनाव

छोटी छोटी बातों के लिए तनाव लेने से शरीर में हार्मोनल इंबैलेंस बढ़ने लगता है। दरअसल, तनाव के चलते शरीर में कार्टिसोल होर्मोन का स्तर एकदम बढ़ जाता है। इसके चलते अन्य सभी होर्मोन में डिहार्मनी नज़र आती है। इससे मूड स्विंग, चिड़चिड़ापन और अकेलेपन की समस्या का सामना करना पड़ता है।

2. एज फेक्टर

उम्र के साथ महिलाओं के शरीर में परिवर्तन आने लगते है, जो हार्मोन में परिवर्तन लेकर आते हैं। जहां पीरियड साइकिल और प्रेमनेंसी के समय शरीर में कई हार्मोन के स्तर में उतार चढ़ाव नज़र आता है, तो वहीं मेनोपॉज के दौरान प्रोजेस्टेरोन और एस्ट्रोजन के स्तर में गिरावट आने लगती है। इसके चलते त्वचा का लचीलापन कम होना, वज़न बढ़ना और कमज़ोरी जैसो लक्षणों से जूझना पड़ता है।

3. पीसीओएस

पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम यानि पीसीओएस की समस्या से पीडित महिलाओं ेको अनियमित पीरियड का सामना करना पड़ता है। दरअसल, एण्ड्रोजन स्तर बढ़ने से अनियमित मासिक धर्म चक्र से होकर गुज़रना पड़ता है। इस समस्या से ग्रस्त महिलाओं के वज़न और पोश्चर में बदलाव आने लगता है। इंसुलित के पूर्ण रूप से इस्तेमाल न होने के चलते इस समस्या का सामना करना पड़ता है।

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पीसीओएस के कारण रोगग्रस्त महिलाएं इंसुलिन के प्रति प्रतिरोध प्रदर्शित करने लगती हैं।चित्र : अडॉबीस्टॉक

4. थायराइड

अमेरिकन थायराइड एसोसिएशन की एक रिपोर्ट के मुताबिक महिलाओं में पुरूषों की तुलना में थायराईड के ज्यादा मामले देखने को मिलते हैं। शोध में पाया गया कि कि हर 8 में से 1 महिला हाइपोथायरायडिज्म का शिकार हैं। इससे महिलाओं में प्रजनन क्षमता में कमी और अनियमित पीरियड की समस्या से जूझना पड़ता है। इसके अलावा प्रेगनेंसी में भी कॉम्प्लिकेशन बढ़ने लगते हैं।

इससे बचने के उपाय

1. हेल्दी डाइट फॉलो करें

प्रोसेस्ड फूड की तुलना में मौसमी फलों और सब्ज्यिं को आहार में शामिल करें। डाइट में लीन प्रोटीन, कैल्शियम, मिनरल और फॉलिक एसिड को शामिल करें। इससे मांसपेशियों का स्वास्थ्य उचित बना रहता है और ओस्टियोपिरोसिस के खतरे से भी बचा जा सकता है।

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इस तरह आप अनहेल्दी ईटिंग से बच जाते हैं। चित्र : अडोबी स्टॉक

2. नियमित लाइफस्टाइल फॉलो करें

सुबह उठने और सोने का समय तय करें। इसके अलावा आहार को समय पर लें और रूटीन को उचित प्रकार से फॉलो करें। शरीर को आराम दें और लंबे वक्त तक गैजेटस का इस्तेमाल न करें। हेल्दी रूटीन फॉलो करने से शरीर में होमोनल इंबैलेंस से बचा जा सकता है।

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3. एक्सरसाइज़ करें

दिनभर में कुछ वक्त योग व व्यायाम के लिए निकालें। इससे मेटाबॉलिज्म बूस्ट होता है और वेटगेन से राहत मिलने लगती है। शरीर के पोश्चर में सुधार लाने और मेंटल हेल्थ को बूस्ट करने के लिए एक्सरसाइज़ अवश्य करें। इससे शरीर में बढ़ने वाले हार्मोनल इंबैलेंस को नियंत्रित करना आसान है।

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लेखक के बारे में

लंबे समय तक प्रिंट और टीवी के लिए काम कर चुकी ज्योति सोही अब डिजिटल कंटेंट राइटिंग में सक्रिय हैं। ब्यूटी, फूड्स, वेलनेस और रिलेशनशिप उनके पसंदीदा ज़ोनर हैं। ...और पढ़ें

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