स्वास्थ्य हम सभी के जीवन का प्राथमिक और बेहद महत्वपूर्ण हिस्सा होना चाहिए। यदि आप स्वास्थ्य के प्रति लापरवाही करती हैं, तो आप जीवन के किसी भी पहलू पर ध्यान केंद्रित नहीं रख पाएंगी। काम, पढ़ाई, परिवार, एक्सरसाइज आदि जैसी सभी चीजें तब ही मुमकिन है, जब आपका शरीर स्वस्थ हो। सेहत के प्रति बरती गई लापरवाही आपको तमाम रूपों में नुकसान पहुंचा सकती है। इसलिए सेहत के प्रति पूरी तरह सचेत रहना बहुत जरूरी है।
जैसे किसी भी घर को मजबूती देने के लिए सबसे पहले पिलर तैयार किया जाता है, ठीक उसी तरह आपकी शारीरिक स्वास्थ्य के निर्माण में भी 4 खास तरह के पिलर की आवश्यकता होती है (ayurveda for health)। योग इंस्टिट्यूट की डायरेक्टर और हेल्थ कोच हंसा जी योगेंद्र ने इन्हीं 4 हेल्थ पिलर्स की बात की है, जिन पर ध्यान दिया जाए तो लंबे समय तक एक स्वस्थ जीवन शैली बनाए रखने में मदद मिल सकती है। अपने शरीर की नींव को मजबूत करना बहुत जरूरी है, ताकि भविष्य में किसी तरह की परेशानी का सामना न करना पड़े (ayurveda for health)।
स्वस्थ एवं संतुलित शरीर के लिए आहार का ध्यान रखना बेहद महत्वपूर्ण है। आप क्या खा रही हैं, कब खा रही हैं और कितना खा रही हैं, यदि इस पर ध्यान दिया जाए तो शारीरिक स्वास्थ्य को बनाए रखना अधिक आसान हो सकता है। अपनी डाइट में हेल्दी खाद्य विकल्पों को शामिल करें, और सबसे महत्वपूर्ण है कि उतना ही खाएं कि आपको खाने के चार घंटे बाद वापस से भूख का एहसास हो।
इसका सीधा सा अर्थ यह है, कि ओवर ईटिंग करने से हमेशा बचना चाहिए। यदि 4 घंटे के पहले भूख लग रही है, तो हेल्दी स्नैक्स जैसे कि फल, ड्राई फ्रूट्स, सीड्स आदि का सेवन कर सकती हैं। परंतु कोशिश यही करें कि 2 मिल के बीच 4 घंटे का गैप जरूर हो। पूरे दिन में लगभग 4 से 6 बार भोजन किया जा सकता है। हालांकि, इस दौरान खाने की मात्रा का विशेष ध्यान रखें।
यदि शारीरिक परिश्रम नहीं कर रही हैं, फिर भी हम सभी दिन भर में काम करने के लिए मस्तिष्क का काफी इस्तेमाल करते हैं। जिसके लिए हमारे शरीर को ऊर्जा शक्ति की आवश्यकता होती है, ऐसे में कुछ अंतराल पर शरीर को आहार के माध्यम से फ्यूल देना जरूरी है।
विहार के अंतर्गत, आराम, नींद एक्सरसाइज आदि जैसी चीज आती हैं। शारीरिक स्वास्थ्य को बनाए रखने में यह फैक्टर बेहद महत्वपूर्ण होते हैं, जैसे कि हंसा जी बताती हैं, रोजाना कम से कम आधा घंटा जरूर चलना चाहिए। यदि आपके पास चलने का समय नहीं है, तो कम से कम अपने ऑफिस में लिफ्ट की जगह सीढ़ियों का इस्तेमाल करें या कभी मार्केट जाना हो या कुछ भी कम हो तो उस समय गाड़ी की जगह पैदल चलकर नियमित वॉकिंग की आवश्यकता को पूरा करें।
आराम करना भी बहुत जरूरी है, ऐसा नहीं कि केवल रात को, यदि आपको दिन में थकान महसूस हो रही है, तो कुछ देर लेट कर आराम करें। इससे आपको वापस से एनर्जेटिक महसूस करने में मदद मिलेगी। योगासन के माध्यम से भी शरीर को आराम दे सकती हैं।
इसके अलावा अपनी कोई भी पसंदीदा कार्य, यानी कि हॉबी को जरूर फॉलो करें। खेलना, गाना या डांसिंग पसंद हो या कुकिंग पसंद हो इन सभी में से किसी भी गतिविधि को कम से कम आधा घंटा जरूर करें। इससे आपके मन को शांति मिलती है, साथ ही साथ आपका मन अंदर से प्रसन्न रहता है, जिससे कि शारीरिक स्वास्थ्य भी बेहतर होता है।
इसके अलावा उचित नींद प्राप्त करना बहुत जरूरी है। 7 से 8 घंटे की नींद लें, यदि नींद नहीं भी आती है तो समय से बेड पर जाकर लेट जाएं और ब्रीदिंग एक्सरसाइ या मेडिटेशन जैसी गतिविधियों को दोहराने का प्रयास करें।
आप कब सोती हैं, कब जगाती हैं और कब खाना खाती हैं, यह सभी प्रकृति के अनुसार नियमित रूप से फॉलो किया जाना चाहिए। ऐसा नहीं होना चाहिए कि आप किसी दिन खाना खा रही और किसी दिन उसे स्किप कर दे रही हैं। या आप रात को जाग रहे और सुबह सो रही हैं, ऐसी गतिविधियां शरीर को नुकसान पहुंचती हैं।
इसका सीधा मतलब यह है कि जीवन में डिसिप्लिन और रूटीन को साथ लेकर चलना बहुत जरूरी है, जिससे एक सेहतमंद शरीर प्राप्त करने में मदद मिलेगी। हम प्रकृति से आए हैं और प्रकृति को फॉलो करते आ रहे हैं, शरीर उसके अनुकूल ढल चुका है। यदि आप डिसिप्लिन और रूटीन के अनुसार काम नहीं करती हैं, तो इसका शरीर पर नकारात्मक प्रभाव देखने को मिलता है। यदि कोई मजबूरी है और आप रात को देर से सोती हैं, तो कोई बात नहीं परंतु इसे अपनी नियमित आदत में शामिल न करें।
स्वस्थ रहने के लिए अपने विचार पर नियंत्रण होना बहुत जरूरी है। यदि आप नकारात्मक सोच रखती हैं, या ज्यादा सोचती हैं, उससे शरीर में तनाव का स्तर बढ़ता है जो बॉडी में कॉर्टिसोल रिलीज करता है। जिसकी वजह से मोटापा, ब्लड प्रेशर, डायबिटीज आदि जैसी सेहत संबंधित समस्याओं का खतरा बढ़ जाता है। इसके साथ ही नकारात्मक विचार के कारण मानसिक तनाव बढ़ जाता है, जिसकी वजह से चिंता और अवसाद जैसी स्थितियां उत्पन्न हो सकती हैं।
इसलिए अपने विचार पर नियंत्रण पाना सीखें, और जितना हो सके उतना सकारात्मक विचार रखें। इससे आपका मन प्रसन्न रहता है और मानसिक स्वास्थ्य संतुलित रहता है। इस प्रकार आप खुश रहती हैं, और आपके जीवन की गुणवत्ता भी बेहतर हो जाती है। विचार भी सेहत का एक महत्वपूर्ण पहलू है।
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