ब्लड शुगर लेवल बढ़ने पर डायबिटीज हो जाता है। डायबिटीज लंबे समय तक चलने वाली बीमारी है। इसलिए इसका प्रभाव पूरे शरीर पर पड़ता है। इसके कारण बड़ी और छोटी ब्लड वेसल्स को भी नुकसान होता है। इससे दिल का दौरा और स्ट्रोक हो सकता है। किडनी खराब हो सकती है। यहां तक कि आंखों, पैरों और नर्व में भी समस्याएं हो सकती हैं। मधुमेह के कारण कुछ लोगों में ब्लाइंडनेस (diabetes causes blindness) भी हो जाती है।
हाई ब्लड शुगर लेवल के कारण आंख के पिछले हिस्से रेटिना को नुकसान पहुंच सकता है। यह डायबिटिक रेटिनोपैथी कहलाता है। यदि इसका निदान और इलाज नहीं किया जाता है, तो यह ब्लाइंडनेस का भी कारण बन सकता है। डायबिटिक रेटिनोपैथी को ब्लाइंडनेस के स्तर तक पहुंचने में आमतौर पर कई साल लग जाते हैं। इसके कारण व्यक्ति के आंखों की रोशनी जा सकती है।
डायबिटिक रेटिनोपैथी के कारण रेटिना के ब्लड वेसल्स असामान्य स्तर तक बढ़ सकते हैं। इससे आंख से तरल पदार्थ निकलने में रुकावट हो सकती है। यह एक प्रकार के ग्लूकोमा का कारण बनता है। ग्लूकोमा आई डिजीज है, जो विजन लॉस और अंधापन का कारण बन सकता है।
3 उपाय अपनाकर डायबिटीज के कारण होने वाली ब्लाइंडनेस से बचाव किया जा सकता है।
जीवनशैली में कुछ बदलाव अपनाने से सामान्य स्वास्थ्य में सुधार हो सकता है और रेटिनोपैथी विकसित होने का खतरा कम हो सकता है।
विटामिन ए से भरपूर फ़ूड आंखों के स्वास्थ्य के लिए अच्छे होते हैं। पत्तेदार हरी सब्जियां जैसे कि केल, पालक, ब्रोकोली, नारंगी और पीली सब्जियां जैसे कि गाजर, शकरकंद, पंपकिन और गर्मियों वाले स्क्वैश लें। टमाटर, लाल शिमला मिर्च, ख़रबूज़, आम, फिश आयल, मिल्क, अंडे विटामिन ए से भरपूर होते हैं। नमक, फैट और शुगर को कम करने का प्रयास करें।
यदि वजन अधिक है, तो वजन कम करने की कोशिश करें। नियमित रूप से व्यायाम करें। एक सप्ताह में कम से कम 150 मिनट की मध्यम तीव्रता वाली गतिविधि, जैसे पैदल चलना या साइकिल चलाना, प्रतिदिन 10,000 कदम चलना अच्छा तरीका हो सकता है। स्मोकिंग और अल्कोहल का सेवन बंद कर दें।
यदि आप नियमित रूप से ब्लड शुगर, ब्लड प्रेशर और कोलेस्ट्रॉल लेवल की निगरानी करती हैं, तो आपके लिए इन तीनों पर नियंत्रण रखना आसान हो सकता है। ये तीनों जितना मेंटेन रहेंगे, रेटिनोपैथी विकसित होने की संभावना उतनी ही कम होगी।
ब्लड शुगर 4 से 7 mmol/l होना चाहिए। स्तर पूरे दिन अलग-अलग हो सकता है, इसलिए इसे अलग-अलग समय पर जांचने का प्रयास करें।
यदि मधुमेह है, तो आम तौर पर सलाह दी जाती है कि व्यक्ति अपना प्रेशर 140/80mmHg से अधिक न रखे। ब्लड प्रेशर बढ़ने पर भी आंखों की क्षति हो सकती है।
स्वस्थ कोलेस्ट्रॉल स्तर 4 mmol/l से नीचे होना चाहिए। कोलेस्ट्रॉल लेवल बढ़ने पर भी आंखों की रोशनी पर प्रभाव पड़ सकता है।
भले ही आपको लगता है कि आपका ब्लड शुगर लेवल नियंत्रित है, फिर भी समय-समय पर आंखों की जांच डायबिटीज के मरीज को कराते रहना चाहिए।इससे कुछ भी गलत होने से पहले ही किसी समस्या के लक्षणों का पता चल सकता है। रेटिनोपैथी का शीघ्र पता लगने से उपचार के प्रभावी होने और इसे बदतर होने से रोकने की संभावना बढ़ जाती है।
यदि आपको आंखों या विजन संबंधित कोई समस्या उत्पन्न होती है, तो तुरंत डायबिटीज देखभाल टीम से संपर्क करना चाहिए।
धीरे-धीरे विजन लॉस होना
अचानक विजन लॉस
आंखों के सामने फ्लोटर्स का दिखना
धुंधली दृष्टि
आंख में दर्द या लाली
अंधेरे में देखने में कठिनाई
इन लक्षणों का यह मतलब नहीं है कि आपको डायबिटिक रेटिनोपैथी है, लेकिन इनकी तुरंत जांच कराना ज़रूरी है।
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