आपकी सेहत का हाल आपके पाचन की स्थिति को दर्शाता है। यदि आपकी पाचन क्रिया असंतुलित है, तो इसका असर समग्र स्वास्थ्य पर नजर आ सकता है। गट हेल्थ बिगड़ने पर कई नकारात्मक लक्षण (signs of poor gut health) नजर आते हैं, यदि समय रहते इनपर ध्यान दिया जाए तो परेशानियों को बढ़ने से रोका जा सकता है। अमूमन लोग इन लक्षणों को नजरअंदाज कर देते हैं जिसकी वजह से समस्यायों पर नियंत्रण पाना बेहद मुश्किल हो जाता है।
हेल्थ शॉट्स ने इस विषय पर अपोलो स्पेक्ट्रा हॉस्पिटल चेन्नई के गेस्ट्रोएंट्रोलॉजिस्ट डॉक्टर आदित्य शाह से बात की। डॉक्टर ने आंतो की सेहत बिगड़ने पर नजर आने वाले कुछ सामान्य लक्षण बताये हैं। तो चलिए जानते हैं हमें किन स्थितियों पर ध्यान देने की आवश्यकता है (signs of poor gut health)।
बार-बार बेचैनी, गैस, इन्फ्लेमेशन, कब्ज, दस्त और सीने में जलन होना, इस बात के संकेत हो सकते हैं कि आपकी आंत फ़ूड को पूरी तरह से प्रोसेस करने और उसे एलिमिनेट करने में असमर्थ है।
यदि किसी व्यक्ति को शारीरिक गतिविधियों में भाग लिए बिना भी थकान महसूस होता रहता है तो यह असंतुलित आंत की निशानी हो सकती है। पब मेड सेंट्रल द्वारा प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार थकान से पीड़ित लगभग आधे लोग आईबीएस से पीड़ित थें। जब गट बैक्टीरिया सही से कार्य नहीं करते तो खाने में मौजूद पोषक तत्व शरीर में पूर्ण रूप से अवशोषित नहीं हो पाते, जिसकी वजह से ऊर्जा की कमी हो जाती है और आप बिना किसी गतिविधियों में भाग लिए जल्दी थक जाती हैं।
नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन के अनुसार असंतुलित गट बैक्टीरिया नींद को नकारात्मक रूप से प्रभावित करते हैं, जिसकी वजह से नींद पूरी नहीं हो पाती और शरीरी समस्यायों का सामना करना पड़ता है। आपकी सेहत की यह स्थिति आपकी पूरी दिनचर्या को प्रभावित कर सकती है।
आपके शरीर का अधिकांश सेरोटोनिन, जो मूड और नींद को प्रभावित करता है, आंत में उत्पन्न होता है। इसलिए, जब गट बैक्टीरिया असंतुलित हो जाते हैं, तो सेरोटोनिन के उत्पादन पर भी असर पड़ता है, जिससे आपकी नींद प्रभावित हो सकती है।
फ़ूड इनटॉलेरेंस आंत में मौजूद बैक्टीरिया की खराब गुणवत्ता के कारण हो सकता है। इस स्थिति में इम्यून सिस्टम कुछ विशेष खाद्य पदार्थों के प्रति रिस्पॉन्स नहीं कर पाती जिसकी वजह से इन्हे खाने के बाद ब्लोटिंग, अपच, पेट दर्द, उल्टी आदि जैसी पाचन संबधी समस्यायों का सामना करना पड़ सकता है।
सोरायसिस जैसी त्वचा की स्थिति आंत में मौजूद बैक्टीरिया के प्रकार से संबंधित हो सकती हैं। गट हेल्थ में हेल्दी बैक्टीरिया की कमी शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को प्रभावित करती है जिसका असर आपकी त्वचा पर भी नजर आ सकता है।
यदि आपने अपनी गट फ्लोरा को कभी भी नजरअंदाज करने की कोशिश की है तो आप लिकी गट सिंड्रोम का शिकार हो सकती हैं। इस स्थिति में इंटेस्टाइन पार्शियली डाइजेस्टेड फूड्स को ब्लड स्ट्रीम में छोड़ देती है। इससे इन्फ्लेमेशन होता है, जो सीधा त्वचा पर नजर आ सकता है।
यदि आपको खाने के कुछ देर बाद से ही फूड्स की क्रेविंग्स हो रही है तो यह आपके अस्वस्थ आंत की स्थिति को दर्शाता है। वहीं इस दौरान आपकी शुगर क्रेविंग्स भी बढ़ जाती है। चीनी के अधिक सेवन से आंतों में अनहेल्दी बैक्टीरिया का ग्रोथ बढ़ जाता है जिससे पाचन संबंधी समस्याएं आपको अधिक परेशान करना शुरू कर देती हैं। चीनी की उच्च मात्रा, विशेष रूप से उच्च फ्रुक्टोज कॉर्न सिरप, इन्फ्लेमेशन का कारण बनती हैं और आपको डायबिटीज जैसे अन्य बीमारियों के खतरे में डाल सकती हैं।
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कस्टमाइज़ करेंजब आपकी आंत की स्थिति असंतुलित होती है, तब आपके पाचन क्रिया को पोषक तत्वों को अवशोषित करने, फैट बर्न करने और रक्त शर्करा को नियंत्रित करने के लिए अधिक संघर्ष करना पड़ता है। वजन घटना या बढ़ना आंतो में मौजूद हानिकारक बैक्टीरिया की अधिकता या पोषक तत्वों की कमी के कारण हो सकता है। इसके अलावा इस दौरान बढ़ती क्रेविंग्स भी बड़ी में फैट स्टोरेज का कारण बन सकती हैं।
सिरदर्द और आंत एक दूसरे से जुड़े हो सकते हैं, खासकर यदि आप माइग्रेन के साथ मतली या उल्टी का अनुभव करती हैं, तो यह जाहिर हैं की आपके आंत को देखभाल की आवश्यकता है। अध्ययनों से पता चलता है कि लगातार सिरदर्द वाले लोगों में गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल विकार होने की भी अधिक संभावना होती है।
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आंतो में मौजूद खराब बैक्टीरिया थायरॉयड की समस्या, रूमेटोइड गठिया, मल्टीपल स्केलेरोसिस और टाइप 1 डायबिटीज जैसी ऑटोइम्यून स्थितियों को ट्रिगर कर सकती हैं।
यदि आपका मूड बार-बार बदलता रहाता है तो यह आपके आंत के खराब सेहत की निशानी हो सकती है। आंत की समस्याएं और तंत्रिका तंत्र में सूजन चिंता और अवसाद का कारण बन सकती हैं।
इनमें से यदि कोई भी लक्षण नजर आ रहे हैं तो डॉक्टर से मिलने से पहले अपनी नियमित गतिविधियों तथा खान पान पर गौर करें। खाने में स्वस्थ और पौष्टिक आहार लें, जैसे की प्रोबायोटिक्स और फाइबर युक्त फूड्स। इसके साथ ही उचित मात्रा में पानी पियें और खुदको शारीरिक रूप से सक्रीय रखें।
खाने के समय का भी ध्यान रखना बेहद जरुरी है। रात को हल्का भोजन करें और मीठे से जितना हो सके परहेज करें। इसके साथ ही घरेलु नुस्खे जैसे की अजवाइन की चाय, हर्बल टी आदि भी आंतो को स्वस्थ रखने में आपकी मदद कर सकती हैं।
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