फिजिकल हेल्थ, मेंटल हेल्थ के साथ डेंटल हेल्थ शरीर के समग्र विकास के लिए काफी फायदेमंद है। डेंटल हेल्थ को अच्छा बनाने के लिए अच्छी तरह से उसकी देखरेख करना बहुत जरूरी है। साथ ही यदि लंबे समय तक डेंटल हेल्थ पर ध्यान नहीं दिया जाता तो कई तरह की ओरल समस्याएं देखने को मिल सकती है।
स्वाभाविक रूप से हम अपने शरीर का बहुत ध्यान रखते है। शारीरिक स्वास्थ्य को अच्छा बनाएं रखने से लेकर अपनी सुंदरता तक हम हर तरफ ध्यान देते हैं लेकिन कहीं न कहीं हम अपनी 'डेंटल हेल्थ'के प्रति उतने सतर्क नहीं रहते, जितना हमें रहना चाहिए। हमें यह बात समझने की आवश्यकता हैं कि जिस तरह हमारे शरीर का समग्र स्वास्थ्य एक बेहतर जिंदगी के लिए जरूरी है, वैसे ही डेंटल हेल्थ भी उतनी ही महत्ता रखता है। इसलिए हमें डेंटल हेल्थ पर भी ध्यान देने की आवश्यकता है। चित्र-अडॉबीस्टॉक
डेंटल हेल्थ पर अधिक ध्यान न देने के कारण हमें कई तरह की डेंटल प्रॉब्लम्स देखने को मिलती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार 90 फीसदी डेंटल प्रॉब्लम्स को अच्छी देखरेख और उचित इलाज से ठीक किया जा सकता है। लेकिन फिर भी अनेक देशों के लोग दांतों से जुडी समस्याओं के कारण पूरे जीवन परेशान रहते है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, पूरे विश्व में कुल 3.5 बिलियन लोग ओरल हेल्थ से जुडी समस्याओं से पीड़ित हैं। चित्र-अडॉबीस्टॉक
2022 में आई WHO की ग्लोबल ओरल हेल्थ रिपोर्ट के अनुसार, पूरे विश्व की कुल आबादी की लगभग आधी आबादी डेंटल प्रॉब्लम से जूझ रही है। इस रिपोर्ट में बताया गया कि पूरे विश्व में 4 में से हर तीसरा व्यक्ति डेंटल और ओरल समस्याओं से जूझ रहा है। साथ ही विश्व स्वास्थ्य संगठन ने यह भी बताया की पिछले कुछ समय के इतिहास में डेंटल प्रॉब्लम के आंकड़ों में उछाल आया है और पिछले 30 साल में लगभग 1 बिलियन लोगों को नई डेंटल समस्याएं देखने को मिलीं हैं। WHO ने कुछ आम डेंटल प्रॉब्लम्स के बारे में बताते हुए कहा है कि यह आम समस्याएं की ओरल हेल्थ को खराब कर रहीं हैं। चित्र-अडॉबीस्टॉक
ग्लोबल बर्डन ऑफ डिजीज 2019 के अनुसार 'टूथ डिके' पूरे विश्व में सबसे ज्यादा होने वाली स्वास्थ्य समस्या है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार टूथ डिके तब होता है, जब दांत की सतह पर प्लाक बन जाता है और खाद्य पदार्थों और पेय पदार्थों में मौजूद फ्री शुगर को एसिड में बदल देता है। जो समय के साथ दांत को नष्ट कर देता है। फ्री शुगर का निरंतर अधिक सेवन, फ्लोराइड के अपर्याप्त संपर्क और प्लाक न हटाने के कारण, दर्द और कभी-कभी दांतों का नुकसान और संक्रमण हो सकता है। इसके उपचार में आमतौर पर डेंटल कैविटी को भर दिया जाता है और अधिक गंभीर मामलों में टूथ क्राउन की भी आवश्यकता होती है। चित्र-अडॉबीस्टॉक
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार पेरियोडोंटल रोग दांतों को घेरने और सहारा देने वाले टिशूज़ को प्रभावित करता है। आमतौर पर पायरिया के नाम से जानी जाने वाली इस बीमारी के मुख्य लक्षण मसूड़ों में सूजन, मसूड़ों से खून आना, दर्द होता है। इस समस्या में मसूड़े दांत और सहायक हड्डी से दूर आ सकते हैं, जिससे दांत ढीले हो जाते हैं और इससे दांतों के गिरने का डर भी लगा रहता है । WHO का अनुमान है कि गंभीर पीरियडोंटल बीमारी पूरे विश्व में लगभग 19% लोगों को प्रभावित करती हैं, जो दुनिया भर में 1 अरब से अधिक मामलों का प्रतिनिधित्व करती हैं। पेरियोडोंटल बीमारी के मुख्य जोखिम कारक खराब मौखिक स्वच्छता और तंबाकू का सेवन करना होता है। इसके उपचार में मुख्यतः सफाई, स्केलिंग, रूट प्लानिंग, और गंभीर मामलों में सर्जरी भी की जाती है। चित्र-अडॉबीस्टॉक
सेंसटिविटी भी दांतों की एक अहम समस्या है। इस स्थिति में जब भी कोई व्यक्ति कोई ज्यादा ठंडी चीज़ खाता है तो तेज़ दर्द होता है। साथ ही दांतों में चुभन जैसी समस्या भी देखने को मिलती है। दरअसल, इस स्थिति में दांतों के इनेमल की सुरक्षा करने वाली परत खराब हो जाती है, जिसके कारण दांतों की अंदरूनी और सॉफ्ट परत बाहर आ जाती है, जिसके कारण झनझनाहट और दर्द का अनुभव होता है। इसके उपचार में आमतौर पर सही एवं फायदेमंद टूथपेस्ट प्रयोग करने की सलाह दी जाती है, साथ ही इसमें डेंटिस्ट द्वारा फ्लोराइड उपचार और कुछ मामलों में रूट कैनाल भी की जाती है। चित्र-अडॉबीस्टॉक
डेंटल केयर न करने से दागदार दांत होना भी एक बड़ी समस्या है। इस स्थिति में दांतों का रंग बदल के काला पड़ने लगता है। इस समस्या के कोई बीमारी या उम्र बढ़ने जैसे कई अन्य कारण भी होते है। इसके साथ ही इसके बचाव के लिए मौखिक स्वच्छता और धूम्रपान को छोड़ना सबसे जरूरी है। यदि इसके उपचार की बात करें तो दाग को हटाने के लिए हाइड्रोजन परॉक्साइड का प्रयोग किया जाता है। जिससे काफी हद तक दागों को हटाने में सफलता मिलती है। चित्र-अडॉबीस्टॉक