लगातार पाचन संबंधी समस्याओं का बना रहना भी कब्ज का कारण बनता है, इसलिए इन पर ध्यान देना जरूरी है। इसमें कुछ खास आयुर्वेदिक नुस्खे आपकी मदद करेंगे। इन्हे जरूर ट्राई करें।
कुछ लोगों को कब्ज की समस्या कभी कबार खानपान में बदलाव के कारण हो सकती है। परंतु कुछ लोग क्रॉनिक कॉन्स्टीपेश से परेशान होते हैं, जिसके पीछे कई कारण जिम्मेदार हो सकते हैं। डाइट में फाइबर की कमी, कम पानी पीना और शारीरिक स्थिरता कब्ज के कुछ आम कारण हैं। वहीं कई ऐसे मेडिकल कंडीशन भी हैं, जिनकी वजह से भी कब्ज हो सकता है। साथ ही साथ लगातार पाचन संबंधी समस्याओं का बना रहना भी कब्ज का कारण बनता है, इसलिए इन पर ध्यान देना जरूरी है।
सुबह सबसे पहले उठने के साथ गुनगुना पानी पिएं। वहीं रात को बेड पर जाने से पहले भी गर्म पानी पीने की सलाह दी जाती है। इस आदत को अपनी नियमित दिनचर्या में शामिल करने से आपको क्रॉनिक कॉन्स्टीपेशन से राहत मिलेगी। गर्म पानी आपके जीआई ट्रैक्ट को आराम पहुंचाता है, साथ ही साथ मल को मुलायम बना देता है, जिससे कि मल त्याग करना आसान हो जाता है।
आयुर्वेद के अनुसार कब्ज की स्थिति में किशमिश को सबसे अच्छा फल कहा जाता है। मुनक्का सबसे अच्छा प्राकृतिक रेचक (natural laxative) है, जो लंबे समय से चले आ रहे कॉन्स्टीपेशन को जादुई रूप से सही करने में मदद करता है। काली किशमिश को रात भर के लिए पानी में भिगोकर छोड़ दें, और सुबह इसे खाएं और इसके पानी को पी लें। आपको कुछ दिनों में ही परिणाम नजर आने लगेगा।
सोते समय गर्म दूध में इन तीनों सामग्रियों का सेवन करने की सलाह दी जाती है। हरीतकी (हरड़) त्रिफला में मौजूद जड़ी-बूटियों में से एक है, जो वात दोष को कम करने और कब्ज के इलाज में मददकरने के लिए जानी जाती है। हरीतकी के कई अन्य स्वास्थ्य लाभ भी हैं। दूध और घी के साथ हरीतकी का सेवन करने से जल्दी रिकवरी में मदद मिलती है और मल त्याग में आसानी होती है।