नेशनल यूथ डे पर जानिए स्वामी विवेकानंद के वे विचार जो आपकी जिंदगी बदल सकते हैं

Published on:12 January 2024, 21:43pm IST

स्वामी विवेकानंद के जन्मदिन को नेशनल यूथ डे के रूप में बनाया जाता है। स्वामी विवेकानंद वेदांत और योग के भारतीय चीजों को पश्चिमी दुनिया से परिचित कराने वाले प्रमुख व्यक्ति थे। स्वामी विवेकानन्द की शिक्षाएं और दर्शन एक मजबूत और समृद्ध राष्ट्र के निर्माण में युवाओं की क्षमता और शक्ति पर जोर देते हैं।

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खुद से ज्यादा आपको कोई नहीं सिखा सकता

स्वामी विवेकानन्द ने खुद को पहचानने और परिवर्तन करने की शक्ति पर जोर दिया। उनका मानना था कि सच्ची आध्यात्मिकता अपने आप को जानना है। उनके शब्दों में, "आपको अंदर से बाहर तक बढ़ना होगा। कोई आपको सिखा नहीं सकता, कोई आपको आध्यात्मिक नहीं बना सकता। आपकी अपनी आत्मा के अलावा कोई अन्य शिक्षक नहीं है।" चित्र- अडोबी स्टॉक

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मन की शक्ति पर ध्यान देना है जरूरी

विवेकानन्द ने सकारात्मक और रचनात्मक सोच के महत्व पर जोर दिया। वे कहते थे "हम वो हैं जो हमें हमारे विचारों ने बनाया है, इसलिए इस बात का ध्यान रखें कि आप क्या सोचते हैं। विचार जीवित हैं या नहीं, वे दूर तक यात्रा करते हैं या नहीं।" यह शिक्षा सकारात्मक मानसिकता विकसित करने के लिए जरूरी है। चित्र- पीनट्रस्ट

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प्लानिंग से ज्यादा महत्वपूर्ण है एक्शन

विवेकानंद के सबसे लोकप्रिय संदेशो में से एक है काम करने का आवाहन करना और जोश भरना। "उठो, जागो और तब तक मत रुको जब तक लक्ष्य प्राप्त न हो जाए।" यह विचार युवाओं को सक्रिय, दृढ़ और अपने लक्ष्यों को पाने के लिए मजबूत बने रहने की शक्ति देता है। उनके ये संदेश बताता है कि केवल सोचना काफी नहीं है बल्कि आपको उस पर काम करने की भी जरूरत है। चित्र- पीनट्रस्ट

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बिना किसी डर के चुनौतियों का सामना करो

विवेकानंद बिना डरे चुनौतियों का सामना करने की बात कही है। उनका मानना था कि डर प्रगति और पर्सनल विकास में बाधा बनता है। "भय मृत्यु है, भय पाप है, भय नरक है, भय अधर्म है, और भय गलत जीवन है।" यह शिक्षा युवाओं को अपने डर का सामना करने, चुनौतियों को स्वीकार करने और अपने सपनों को पूरा करने के लिए एक प्रेरणा देती है। डरो मत उठो और अपना काम करो। चित्र- पीनट्रस्ट

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धार्मिक विविधता होने के बाद भी सब एक हैं

विवेकानन्द ने धार्मिक और सहिष्णुता का प्रचार किया। उन्होंने एक ऐसी दुनिया की कल्पना की जहां अलग अलग धार्मिक रास्ते एक ही अंतिम सत्य तक ले जाएं। "जैसे अलग-अलग स्रोत वाली अलग-अलग धाराएं अपना पानी समुद्र में मिला देती हैं, वैसे ही, अलग-अलग प्रवृत्तियों के माध्यम से मनुष्य जो अलग-अलग रास्ते अपनाते हैं, भले ही वे टेढ़े या सीधे दिखाई देते हों, वे सभी भगवान की ओर जाते हैं। चित्र- पीनट्रस्ट

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देश की युवा शक्ति है असली ताकत

स्वामी विवेकानन्द ने देश के युवाओं में भरी आपार क्षमता को पहचाना। उनका मानना था कि वे सकारात्मक परिवर्तन के स्रोत हो सकते हैं। "भविष्य की मेरी आशा चरित्रवान, बुद्धिमान, दूसरों की सेवा के लिए सब कुछ त्यागने वाले, आज्ञाकारी, स्वयं और पूरे देश के लिए अच्छे युवाओं में निहित है।" वे चाहते है कि देश का युवा अपनी शक्ति से देश को एक अच्छी दिशा में आगे लेकर जाए। चित्र- पीनट्रस्ट

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अनेकता में एकता भी है ताकत

विवेकानंद कहते थे कि हमारे देश में कई लोग है और सभी अलग अलग चीजें सोचते है। बहुक से दिमाग है और उनमें बहुत से विचार आते है, लेकिन इसमें ये होना चाहिए कि आप जो भी सोचें वो देश के हित में होना चाहिए और इसे आगे बढ़ाने की दिशा में होना चाहिए। इसे ही अनेकता में एकता कहा गया है। चित्र- पीनट्रस्ट