साइकोलॉजिकल ट्रॉमा या आघात किसी भयावह घटना की प्रतिक्रिया हो सकता है। इसके कारण व्यक्ति अत्यधिक तनावपूर्ण हो जाता है। पारिवारिक दुर्घटना, प्राकृतिक आपदा या खुद के साथ दुर्घटना होने पर इस तरह के मामले सामने आते हैं। इसे काउंसिलंग, सही देखभाल और ट्रीटमेंट से ठीक किया जा सकता है।
ट्रॉमा के कारण (Trauma Causes) : ट्रॉमा कई वजहों से हो सकता है। घरेलू हिंसा, प्राकृतिक आपदाएं, गंभीर बीमारी या चोट, किसी प्रियजन की मृत्यु ट्रॉमा की वजह बन सकते हैं। हिंसा की घटनाका साक्षी होने पर, यौन हिंसा, बलात्कार, यौन हमला या उत्पीड़न होने पर व्यक्ति को आघात लग सकता है। टीवी, फिल्मों या इंटरनेट पर दर्दनाक घटनाओं को देखना भी इसकी वजह हो सकती है।
स्वास्थ्य पर ट्रॉमा का प्रभाव (Trauma effect on Health) : आघात के कारण प्रारंभिक प्रभावों में थकावट, भ्रम, उदासी, चिंता, शरीर में सुन्नता, शारीरिक उत्तेजना भी हो सकते हैं। आघातलंबी या पुरानी बीमारियों सहित कई शारीरिक स्वास्थ्य समस्याओं के प्रति अधिक संवेदनशील बना सकता है। यह शरीर के साथ-साथ दिमाग को भी प्रभावित कर देता है। इसका शारीरिक स्वास्थ्य पर लंबे समय तक प्रभाव पड़ सकता है।
कई हैं उपचार (Trauma Treatment) : इसमें 3 मुख्य प्रकार की टॉकिंग थेरेपी का इस्तेमाल किया जाता है। कॉग्निटिव बिहेवियरल थेरेपी (CBT) एक प्रकार की टॉकिंग थेरेपी है, जिसका उद्देश्य प्रभावित व्यक्ति के सोचने और कार्य करने के तरीके को बदलकर समस्याओं को प्रबंधित करने में मदद करना है। आई मूवमेंट डिसेन्सिटाइजेशन एंड रीप्रोसेसिंग (EMDR) तरीका भी है। तीसरे तरीके में पीड़ित को समर्थन और सलाह (Support and advice) देना भी है।
हीलिंग भी की जा सकती है (Healing) : ट्रॉमा की ट्रीटमेंट के तहत हीलिंग एक वैकल्पिक चिकित्सा है। इसके तहत पीड़ित के तंत्रिका तंत्र की मरम्मत की जाती है। परिवारवालों और दोस्तों को पीड़ित के साथ बढिया संबंध बनाने को कहा जाता है। पीड़ित से कई टर्म में बातचीत के माध्यम से सेल्फ केयर का अभ्यास कराया जाता है। इसकी मदद से जटिल आघात से उबरा जा सकता है।