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Ovarian cancer : योनि में हो रहे किसी भी बदलाव के बारे में जागरुक रहना है जरूरी

Published on:2 February 2022, 04:40pm IST

हर वर्ष 4 फरवरी को वर्ल्ड कैंसर डे मनाया जाता है। इस दिन का उद्देश्य कैंसर के विभिन्न प्रकारों, उसके कारणों और उपचार के बारे में लोगों को जागरुक करना है।

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ब्रेस्ट कैंसर के बाद ओवेरियन कैंसर महिलाओं में होने वाला दूसरा सबसे आम और घातक कैंसर बन गया है। चेंजिंग ट्रेंड्स इंसीडेंस ऑफ ओवेरियन कैंसर इंडियन सिनेरियो नामक रिपोर्ट के अनुसार भारत में, साल 2020 में 59,276 नए ओवेरियन कैंसर के मामले थे। अनुमान है कि यह आंकड़ा 2035 (55%) तक 371,000 प्रति वर्ष तक बढ़ सकता है। जबकि मृत्यु दर 67% की दर से बढ़कर 254,000 हो गई है। वहीं अमेरिकन कैंसर सोसायटी (ACS) की एक स्टडी बताती है कि ओवेरियन कैंसर अब संयुक्त राज्य अमेरिका में महिलाओं में कैंसर से संबंधित मौत का पांचवां सबसे आम कारण है।

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क्या है ओवेरियन केंसर? : ओवेरियन कैंसर एक प्रकार का कैंसर है, जो ओवरी में कैंसर को दर्शाता है। ओवरी महिला शरीर का वह हिस्सा है जो एग पैदा करता है। इसमें ज्यादातर लक्षण ऐसे होते हैं जिनका आखिरी स्टेज तक पता ही नहीं चल पाता। इसलिए ओवेरियन कैंसर के मामले में सतर्क और सावधान रहना बहुत जरूरी है। समय रहते अगर इसकी पहचान कर ली जाए, तो इसका उपचार किया जा सकता है।

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ओवेरियन कैंसर के कारण : शरीर में ओवेरियन कैंसर तब विकसित होता है, जब इस क्षेत्र में कोशिकाएं अनियंत्रित तरीके से टूटती है और गुणा करती हैं। इसके पीछे का कारण स्पष्ट नहीं है। मगर अमेरिकन कैंसर सोसायटी के अनुसार कुछ जोखिम कारक हो सकते हैं जैसे – फैमिली हिस्ट्री, उम्र, रिप्रोडक्टिव हिस्ट्री, ब्रेस्ट कैंसर इन हिस्ट्री, हार्मोन थेरेपी, मोटापा, एचपीवी।

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ओवेरियन केंसर की स्टेज : किसी भी प्रकार के कैंसर का इलाज उसकी स्टेज के अनुसार किया जाता है। स्टेज का अर्थ है कि कैंसर शरीर में कितना फैला है। ओवेरियन केंसर की 3 स्टेज होती हैं, जिनमें पहली स्टेज में कैंसर कोशिकाएं केवल अंडाशय या फैलोपियन ट्यूब को प्रभावित करती हैं और कहीं नहीं। दूसरी स्टेज में कैंसर गर्भाशय जैसे आस-पास के अंगों में फैल सकता है। और तीसरी स्टेज में कैंसर शरीर में कहीं और भी पहुंच सकता है। यह अब फेफड़ों या यकृत जैसे अन्य अंगों को प्रभावित कर सकता है।

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ओवेरियन कैंसर के प्रकार : ओवेरियन कैंसर 30 से अधिक प्रकार का हो सकता है। यह मुख्य रूप से मात्र इस बात पर निर्भर करता है कि वह किस प्रकार की कोशिका से शुरू हो रहा है। सामान्य तीन प्रकार के सेल होते हैं, एपीथेलियल कोशिकाएं, जो अंडाशय की सतह के अस्तर में होती हैं। रोगाणु कोशिकाएं, जो प्रजनन के लिए अंडे बनाती हैं। स्ट्रोमल कोशिकाएं, जो हार्मोन जारी करती हैं और अंडाशय की संरचनाओं को जोड़ती हैं। ज्यादातर महिलाओं को एपीथेलियल कैंसर होता है।

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ओवेरियन कैंसर का उपचार : अगर समय पर इसकी पहचान कर ली जाए तो ओवेरियन कैंसर का उपचार किया जा सकता है। ओवेरियन कैंसर रिसर्च एलाइंस के एक अध्ययन में सामने आया कि केवल 37 प्रतिशत महिलाओं को ही इसका उपचार मिल पाता है। ओवेरियन कैंसर के लिए तय उपचार में डिबुलिंग सर्जरी होती है। जिसके बाद कीमोथेरेपी के छह दौर होते हैं। उपचार के साथ-साथ कैंसर से मुकाबले के लिए प्रबल इच्छा शक्ति और अपनों के सपोर्ट की भी जरूरत होती है।

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