मंकीपॉक्स ने एक बार फिर से दुनिया भर में लोगों को डराना शुरू कर दिया है। बंदरों और अन्य जानवरों से फैलने वाला यह वायरस व्यक्ति से व्यक्ति में भी फैल सकता है। भारत में भी इसके मामले सामने आए हैं। इसलिए घबराने की बजाए इसके बारे में जानकर बचाव के उपाय अपनाना जरूरी है।
मंकीपॉक्स या Mpox एक वायरल इन्फेक्शन है, जो मंकीपॉक्स वायरस के कारण होता है। यह ऑर्थोपॉक्स वायरस जीन्स फैमिली से आता है, जो चेचक (Smallpox) के लिए भी जिम्मेदार है। यह मुख्यतः पश्चिम और मध्य अफ्रीका में पाया जाता है, लेकिन हाल के वर्षों में अन्य क्षेत्रों में भी फैल गया है। केन्या, कांगो, युगांडा और रवांडा समेत करीब 10 अफ्रीकी देशों में मंकीपॉक्स के कई मामले लगातार सामने आए हैं। डर है कि यह वायरल इन्फेक्शन सभी अफ्रीकी देशों और दुनिया के अन्य देशों में भी फैल सकता है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने अपनी ऑफिशियल बैठक के बाद मंकी पॉक्स को ग्लोबल इमरजेंसी घोषित किया है।
बेंगलुरु के केम्पेगौड़ा अंतरराष्ट्रीय एअरपोर्ट में हाई एलर्ट है, क्योंकि भारत का पहला मंकीपॉक्स मामला नई दिल्ली में सामने आया है और अंतरराष्ट्रीय यात्रियों के लिए स्क्रीनिंग टेस्टजारी हैं। हरियाणा के 26 वर्षीय एक युवक इस वायरस से इन्फेक्टेड पाए गए हैं, जो एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैल सकता है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा है कि यह एक अकेला मामला है, जो जुलाई 2022 से भारत में रिपोर्ट किए गए 30 मामलों के समान लक्षण दिखा रहा है।
इसके लक्षणों में बुखार, शरीर में दर्द, और चकत्ते शामिल हो सकते हैं। यह इन्फेक्टड व्यक्ती के संपर्क में आने से फैलता है। आमतौर पर इसके लक्षण एक्सपोजर के 3 से 17 दिन बाद दिखने शुरू होते हैं इसे समय को इनक्यूबेशन पीरियड कहा जाता है। यह आमतौर पर 2 से 4 हफ्ते तक बने रहते हैं। हर इन्फेक्टड व्यक्ति में अलग लक्षण हो सकते हैं। इससे पीड़ित हर व्यक्ति में सभी लक्षण विकसित नहीं होते हैं। मंकीपॉक्स के शुरुआती लक्षणों में बुखार, खरोंच जैसे निशान, त्वचा के लाल चकत्ते, लिंफ नोड्स में सूजन, ठंड लगना, सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द और थकान शामिल हैं।
मंकीपॉक्स वायरस खासकर कुछ जानवरों, जैसे चूहों और बंदरों में पाया जाता है। इंसान इस वायरस से इन्फेक्टेड जानवरों के सीधे संपर्क में आने, उनके शरीर के फ्लूइड्स, या त्वचा के घावों से बीमार हो सकते हैं। इसके अलावा, यह इंसानों के बीच भी नजदीकी संपर्क में आकर सांस से निकलने वाली बूंदों (respiratory droplets) से फैल सकता है। यह वायरस किसी को भी प्रभावित कर सकता है। हालांकि अफ्रीका के ज्यादातर मामलों में 15 साल से कम उम्र के बच्चे अधिक शिकार बने थे। इसकी एक वजह ये भी हो सकती है कि ज्यादातर वयस्कों को मंकीपॉक्स में प्रभावी चेचक के टीके लग चुके थे। जबकि ये बच्चों को नहीं लगाए जा सके थे।
डॉ. सौरेन पांजा, सीनियर कंसल्टेंट, क्रिटिकल केयर, नारायण हॉस्पिटल के अनुसार "किसी संक्रमित व्यक्ति के नजदीकी संपर्क में आने से मंकीपॉक्स फैल सकता है। यह हमारी त्वचा पर किसी कट से या आंख, नाक या मुंह के रास्ते शरीर में जा सकता है। सेक्स के दौरान भी यह वायरस एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक फैल सकता है। मंकी पॉक्स रेयर है, लेकिन जानलेवा हो सकता है। इसलिए इस पर तत्काल ध्यान देना और इससे बचाव के तरीकों के बारे में जानना जरूरी है।" यह इन्फेक्टेड जानवरों जैसे बंदर, चूहा और गिलहरी के जरिए भी फैल सकता है। यह वायरस बिस्तर, कपड़े या किसी सतह पर है तो उनके संपर्क में आने से भी फैल सकता है। गर्भावस्था के दौरान, वायरस भ्रूण (fetus) को या जन्म के दौरान या बाद में नवजात को इन्फेक्ट कर सकता है।
सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के मुताबिक, मंकीपॉक्स के इन्फेक्शन के लिए अभी कोई खास उपचार उपलब्ध नहीं है। हालांकि कुछ दवाओं की मदद से इसके फैलने को नियंत्रित किया जा सकता है। WHO के मुताबिक, चेचक के टीके लगवा चुके लोगों की इम्युनिटी मंकीपॉक्स वायरस से बचाने के लिए काफी हद तक कारगर है। मार्केट में कुछ दवाएं पहले से मौजूद हैं, जो मंकीपॉक्स के इलाज में इस्तेमाल के लिए अप्रूव्ड हैं और बीमारी के खिलाफ काफी हद तक प्रभावी भी रही हैं। उन लोगों से नजदीकी संपर्क से बचें जिनके शरीर पर मंकीपॉक्स जैसा चकत्ते हैं। संक्रमित जानवर या व्यक्ति के संपर्क में आने वाले कपड़े, चादरें, कंबल या अन्य सामग्रियों को न छुएं। इन्फेक्टड व्यक्ति या जानवर के संपर्क में आने के बाद अपने हाथों को अच्छी तरह से साबुन और पानी से धोएं। अगर साबुन और पानी उपलब्ध न हों, तो अल्कोहल आधारित हैंड सेनिटाइज़र का उपयोग करें।