चंद्रयान तीन की सफलता में महिलाओं ने भी अपना एक बड़ा योगदान दिया। 54 महिला साइंटिस्ट इस मिशन का हिस्सा थीं, उन सभी ने अपने कर्तव्य को बखूबी निभाते हुए आम महिलाओं को आगे बढ़ाने की एक नई उम्मीद दी है।
चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग से पूरा देश गर्व से झूम उठा है। 23 अगस्त का दिन सभी भारतीयों के लिए एक ऐतिहासिक दिन रहा। प्रतिभाशाली वैज्ञानिकों और इंजीनियरों की टीम में लगभग 54 महिलाएंथीं जिन्होंने चंद्रयान-3 को सफल बनाने में अपना योगदान दिया। इन सभी महिलाओं ने महिला सशक्तिकरण का एक नया कीर्तिमान स्थापित किया है। तो चलिए जानते हैं ऐसी ही कुछ खास साइंटिस्ट महिलाओं की सफलता की जर्नी।
डॉ रितु करिधाल श्रीवास्तव : रॉकेट वुमेन ऑफ इंडिया - डॉ रितु करिधाल भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन में साइंटिस्ट और एयरोस्पेस इंजीनियर हैं। इन्हें "राकेट वीमेन ऑफ़ इंडिया" कहा जाताहै। डॉ चंद्रयान 3 में बतौर सीनियर साइंटिस्ट काम कर रही थीं। डॉ रितु चंद्रयान 2 मिशन की डायरेक्ट और इंडिया मार्स ऑर्बिटल मिशन मंगलयान की डिप्टी ऑपरेशन डायरेक्टर रह चुकी हैं। डॉ रितु ने लखनऊ विश्वविद्यालय से फिजिक्स में स्नातक की डिग्री हासिल की बाद में, उन्होंने भारतीय विज्ञान संस्थान (आईआईएससी) से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में एमई की उपाधि प्राप्त की।
मुथैया वनिता : मंगलयान से चंद्रयान तक - 59 वर्ष की मुथैया वनिता ने सभी महिलाओं के लिए एक मिसाल स्थापित कर दी है। वनिता चंद्रयान 3 मिशन में इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम इंजीनियर और डिप्टी डायरेक्टर के तौर पर कम कर रही थीं। मंगलयान 2 मिशन में इसरो में प्रोजेक्ट डायरेक्टर रह चुकी हैं। इसके साथ ही वनिता मंगलयान मिशन के दौरान डेटा ऑपरेशंस की जिम्मेदारी संभाली थी।
अनुराधा टिके : स्पेस एक्सपर्ट - अनुराधा टिके इसरो सैटलाइट सेंटर की भारतीय Geo-sat प्रोग्राम डायरेक्टर हैं। वहीं ये सैटेलाइट प्रोजेक्ट की डायरेक्टर बनने वाली पहली महिला हैं। अनुराधाने सैटेलाइट GSAT-12 और GSAT-10 के लांचिंग में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया था। अनुराधा टीके का जन्म 1961 में बेंगलुरु, कर्नाटक में हुआ था। उन्होंने बेंगलुरु के यूनिवर्सिटी विश्वेश्वरैया कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग से इलेक्ट्रॉनिक्स में बैचलर्स की डिग्री हासिल की। वह विज्ञान में रुचि रखती थी और हमेशा से अंतरिक्ष कार्यक्रम में शामिल होना चाहती थी।
नंदिनी हरिनाथ : कई दिनों तक घर नहीं गई थीं - नंदिनी हरिनाथ ने अपनी पहली नौकरी की शुरुआत इसरो से की थी। नंदिनी इसरो में रॉकेट साइंटिस्ट के तौर पर काम कर रही हैं वहीं आज इसरो में डिप्टी डायरेक्टर हैं। नंदिनी मार्स ऑर्बिटल मिशन मंगलयान का हिस्सा रह चुकी हैं, उन्होंने मिशन प्लानिंग, एनालिसिस और ऑपरेशन पर काम किया था। चंद्रयान तीन की सफलता में भी इनका बड़ा योगदान रहा। नंदनी लॉन्चिंग से पहले अक्सर कई दिनों तक घर नहीं जाती थीं।
टेसी थॉमस : प्रोजेक्ट अग्नि - टेसी थॉमस को एपीजे अब्दुल कलाम द्वारा अग्नि प्रोजेक्ट के लिए नियुक्त किया गया था। भारतीय वैज्ञानिक और एयरोनॉटिकल सिस्टम की महानिदेशक और रक्षा अनुसंधानऔर विकास संगठन में अग्नि-IV मिसाइल के पूर्व परियोजना निदेशक रह चुकी हैं। वह भारत में मिसाइल परियोजना का नेतृत्व करने वाली पहली महिला वैज्ञानिक हैं। थॉमस को मिसाइल प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भारत को आत्मनिर्भर बनाने में उनके योगदान के लिए लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
वीआर ललिथंबिका : रॉकेट एक्सपर्ट - भारत के रॉकेट कार्यक्रम के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली वैज्ञानिक वीआर ललिथंबिका ने चंद्रयान 3 में भी अपना बड़ा योगदान दिया है। ललिथंबिका डायरेक्टरेट ऑफ़ ह्यूमन स्पेस प्रोग्राम की डायरेक्टर रह चुकी हैं। ललितंबिका ने 1988 में एक टीम का नेतृत्व किया जिसने रॉकेट नियंत्रण और मार्गदर्शन प्रणाली तैयार की। उन्होंने सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल, पोलर सैटलाइट लॉन्च व्हीकल, जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल और रीयूजेबल लॉन्च व्हीकल (आरएलवी) सहित इसरो के विभिन्न रॉकेटों के साथ काम किया है।