क्या होता है ब्रेन डेड की स्थिति में? क्या व्यक्ति तब भी जीवित रहता है या उसके बचने की कोई संभावना होती है। मरीज को कब रखा जाता है वेंटिलेटर पर? जानिए इन सभी सवालों के जवाब इस स्लाइड में।
आखिर क्यों ब्रेड डेड व्यक्ति को मृत माना जाता है : ब्रेन स्टेम मस्तिष्क का निचला हिस्सा होता है जो रीढ़ की हड्डी से जुड़ा होता है। ब्रेन स्टेम शरीर के अधिकांश स्वचालित कार्यों को विनियमित करने के लिए जिम्मेदार है जो जीवन के लिए आवश्यक हैं। इसमे शामिल है - सांस लेना, दिल की धड़कन, रक्त चाप, निगलना। ब्रेन स्टेम मस्तिष्क से शरीर के बाकी हिस्सों तक सूचनाओं को भी पहुंचाता है, इसलिए यह मस्तिष्क के मुख्य कार्यों, जैसे चेतना, जागरूकता और गति में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
क्या होते हैं ब्रेन डेथ के कारण : ब्रेन डेथ तब हो सकती है जब मस्तिष्क को रक्त और या ऑक्सीजन सप्लाई बंद हो जाती है। इसके कई कारण हो सकते हैं जैसे - कार्डिएक अरेस्ट, दिल का दौरा पड़ना, ब्रेन स्ट्रोक, ब्लड क्लॉट, सिर में लगी गंभीर चोट, ब्रेन हैमरेज, इंसेफेलाइटिस जैसे संक्रमण, ब्रेन ट्यूमर आदि। इसके अलावा जब किसी व्यक्ति का ब्रेन काफी हद तक डैमेज हो जाता है, तब भी ब्रेन डेथ के लक्षण दिखने लगते हैं, लेकिन इस अवस्था को डैथ नहीं माना जाता है।
क्या किसी मरीज को ब्रेन डेथ से रिकवर किया जा सकता है : सामान्यत: ब्रेन डेथ की स्थितित में व्यक्ति के ठीक होने की संभावना बहुत कम होती है। पर ऐसे भी कई मामले हैं, जब ब्रेन डेड के बाद भी व्यक्ति ने सर्वाइव किया। आर्टीफिशियल लाइफ सपोर्ट के साथ शरीर कई दिनों तक जीवित रह सकता है। हालांकि ब्रेन डेथ के बाद किसी के लिए सामान्य जीवन जीना संभव नहीं है। ब्रेन डेथ में मस्तिष्क का कार्य बिल्कुल बंद हो जाता है, लेकिन यदि ब्रेन 1% भी काम कर रहा है तो यह ब्रेन डेथ नहीं बल्कि कोमा की अवस्था होती है।