सफेद रंग के मोतियों के समान दिखने वाला साबूदाना शरीर को कई प्रकार के फायदे प्रदान करता है। बरसों से हम इसे अपनी रसोई में देख रहे हैं। खासतौर से पारंपरिक व्यजंनों और व्रत त्योहार में लोग इसका सेवन करते आए हैं। खीर, खिचड़ी और अन्य स्नैक्स के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला साबूदाना पचाने में आसान है।
इसमें कार्बोहाइड्रेट भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं। कार्ब्स का इनटेक बढ़ने से बॉडी में शुगर का लेवल बढ़ने लगता है। अगर आप डायबिटीज़ के मरीज़ हैं, तो इसे अपनी डाईट में डॉक्टर की सलाह के बाद ही शामिल करें। यूएसडीए के मुताबिक 100 ग्राम साबुदाने में 88.7 ग्राम कार्ब्स, 0.9 ग्राम फाइबर और 20 मिली ग्राम कैल्शियम की मात्रा पाई जाती है।
अमेरिकी कृषि विभाग के मुताबिक 100 ग्राम साबूदाने में 332 कैलोरी पाई जाती हैं। इसका अनुपात नाश्ते में कुल कैलोरी से ज्यादा पाया जाता है। इसमें कैलोरीज की ज्यादा मात्रा वज़न कम करने में बाधक का काम करती है। इसमें स्टार्च पाया जाता है, जिसका प्रयोग ब्रेड, सॉस और सूप के टेक्सचर को गाढ़ा करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। इस एनर्जी बूस्टर फूड को अगर आप अपनी मील में शामिल करते हैं, तो इसकी मात्रा को नियंत्रित करना ज़रूरी है।
अगर आप सुबह के नाश्ते से लेकर रात के खाने तक किसी न किसी रूप में साबुदाने का सेवन कर रहे हैं, तो ये पाचनतंत्र में गड़बडत्री का कारण सिद्ध हो सकता है। कैलोरीज़ और स्टार्च की अधिकता केचलते इससे ब्लोटिंग, पेट दर्द, ऐंठन और कॉस्टिपेशन की समस्या भी हो सकती है। इसके अलावा अगर इसे सेमीकुक किया जाता है, तो भी इस डाइजेस्ट करना मुश्किल होता है।
साबूदाना मुख्य रूप से कार्बोहाइड्रेट्स से भरपूर होता है, और यह एक अच्छा ऊर्जा स्रोत प्रदान करता है। कार्बोहाइड्रेट्स खाने से इंसुलिन उत्पन्न होता है, जिससे ग्लूकोज को ऊर्जा में बदला जा सकता है और इससे वजन बढ़ सकता है। इसके साथ ही साबूदाना एक प्रचुर कैलोरी स्रोत है, जो आपको अधिक कैलोरी प्रदान करता है, जो आपके वजन बढ़ाने का मुख्य कारण साबित हो सकता है।
साबूदाने में फाइबर और प्रोटीन की बहुत कम मात्र होती है, जो शरीर को निरंतर ऊर्जा प्रदान करने के लिए काफी महत्वपूर्ण हैं। केवल साबूदाना की अधिक मात्रा वाले भोजन से ब्लड शुगर के स्तरमें तेजी से वृद्धि हो सकती है, जिसके बाद उतनी ही तेजी से गिरावट भी आ सकती है, जिससे संभावित रूप से ऊर्जा की हानि हो सकती है और भूख बढ़ सकती है। इसके बाद ही ब्लड शुगर स्तर में उतार-चढ़ाव कई तरह की समस्याओं का कारण भी बन सकता है।