बदलता मौसम अपने साथ कई बदलाव भी लाता है, जिसमें कई तरह की समस्याओं सहित कई फायदे भी छुपे होते है। वहीं, जब गर्मियों के बाद सर्दी का मौसम आता है तो यह अपने साथ कई प्राकृतिक और पौष्टिक हरी सब्जियां भी साथ लाता है। इन्हीं पौष्टिक सब्जियों में हरा लहसुन भी शामिल है।
फेस्टिव सीजन के खत्म होने के बाद अब 'विंटर सीजन' की शुरुआत हो चुकी है। ठंड के दिन शुरू व्यक्ति की 'सेल्फ केयर' को लेकर प्राथमिकता कई अधिक बढ़ जाती है। गर्मीं के बाद जब सर्दी में मौसम का बदलाव होता है, तब कई तरह के वायरस और बैक्टीरिया भी एक्टिव रहते हैं, जिससे हमें कई तरह की बीमारियों से पीड़ित होने का खतरा होता है। लेकिन सर्दियों का मौसम अपने साथ सिर्फ बीमारियां या परेशानियां ही नहीं बल्कि कुछ प्राकृतिक और पौष्टिक खाद्य पदार्थों का उपहार भी लाता है।
सर्दियों में मिलने वाले स्वास्थ्यवर्धक प्राकृतिक और पौष्टिक खाद्य पदार्थों में हरा लहसुन भी शामिल है। हरे लहसुन को आम भाषा में 'ग्रीन गार्लिक' या 'स्प्रिंग गार्लिक' भी कहा जाता है।साइंस डाइरैक्ट जर्नल में फूड केमिस्ट्री की एक रिपोर्ट के अनुसार, हरा लहसुन एक अपरिपक्व लहसुन का पौधा होता है, जिसे लहसुन को पूरी तरह से बनने से पहले ही काट लिया जाता है। इस पौधे में पत्तेदार डंठल और फूल होते हैं, जो सेहत के लिए काफी फायदेमंद होते है।
ग्रीन गार्लिक में कई तरह के पोषण तत्व मौजूद होते है, जो व्यक्ति के समग्र स्वास्थ्य लाभ के लिए जरूरी है। ग्रीन गार्लिक में कई तरह के खनिज कैसे विटामिन बी, विटामिन सी, मिनरल्स, मैगनीस, सल्फर, एलिसिन, फाइबर, प्रोटीन सहित अनेक तरह के खनिज मौजूद होते हैं, जो स्वास्थ्य के लिए बहुत आवश्यक है। सर्दियों के मौसम में मिलने वाला हरा लहसुन ठंड में फैलने वाले आम सर्दी, जुकाम जैसे साधारण फ्लू से बचने के लिए भी बेहतरीन औषधि है।
द जर्नल ऑफ न्यूट्रिशन में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक, हरा लहसुन अपने एंटीवायरल गुणों के लिए जाना जाता है। लहसुन में पाया जाने वाला एलिसिन सामान्य सर्दी फैलाने वाले वायरस को खत्म करने का काम करता है। इसके साथ ही हरे लहसुन में विटामिन सी जैसे इम्युनिटी बूस्टिंग तत्व होते हैं। ये पोषक तत्व प्रतिरक्षा प्रणाली का समर्थन करने में भूमिका निभाते हैं, जिससे शरीर को सामान्य सर्दी पैदा करने वाले संक्रमणों सहित अन्य संक्रमणों से बचाव में भी मदद मिलती है।
सर्दी के दिनों में जुकाम और खांसी के साथ 'कंजेशन' की समस्याएं भी बहुत देखने को मिलती है। हरे लहसुन सहित लहसुन का उपयोग पारंपरिक रूप से कफ एक्सट्रैक्शन के रूप में भी किया जाता रहा है। यह बलगम को पतला करने में मदद करता है, जिससे यह कफ रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट के जरिये सुविधाजनक तरीके से शरीर से बाहर चला जाता है, जिससे सांस लेना आसान हो जाता है और कंजेशन की स्थिति में आराम मिलता है। इसके साथ ही हरा लहसुन अपने एंटीवायरल और जीवाणुरोधी गुणों के लिए पहचाना जाता है। यदि कंजेशन किसी वायरल या बैक्टीरियल संक्रमण के कारण होता है, तो हरे लहसुन में मौजूद तत्व उन वायरस और बैक्टीरिया को मार देते है।
सर्दी के साधारण लक्षणों को दूर करने से लेकर हाई ब्लड प्रेशर जैसी जटिल समस्या के रोकथाम के लिए भी हरा लहसुन बहुत उपयोगी है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, हार्ट संबंधी बीमारियों जैसे दिल का दौरा पड़ना या स्ट्रोक विश्व में होने वाली मौतों के अन्य कारणों से अधिक जिम्मेदार है। वहीं, हार्ट संबंधी समस्याओं का महत्वपूर्ण कारक हाई ब्लड प्रेशर ही है। वहीं, 2020 में नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन की एक रिपोर्ट में यह भी पाया गया कि लहसुन या हरे लहसुन को खाने के बाद हाई ब्लड प्रेशर की स्थिति में कमी पाई गई। साथ ही अन्य ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करने वाली दवाइयों के मुकाबले, इसके सेवन से 16 से 40 प्रतिशत तक कम दुष्प्रभाव देखे गए।
जर्नल ऑफ न्यूट्रिशन में प्रकाशित एक अध्ययन से पता चलता है कि लहसुन आंत के माइक्रोबायोटा पर सकारात्मक प्रभाव डालता है, जिससे लाभकारी डायजेस्टिव बैक्टीरिया के विकास को बढ़ावा मिलता है और इससे समग्र पाचन स्वास्थ्य भी बेहतरीन रहता है। इसके साथ ही रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि लहसुन और हरे लहसुन को उन पाचन एन्जाइम्स के उत्पादन को बढ़ाने के लिए जाना जाता है, जो भोजन को तोड़ने और उसके पाचन के लिए सहायता प्रदान करने के लिए जाने जाते है।
जर्नल ऑफ मेडिसिनल फूड में प्रकाशित एक अध्ययन में पाया गया कि हरे लहसुन के अर्क से टाइप 2 डायबिटीज़ वाले व्यक्तियों में इंसुलिन संवेदनशीलता में सुधार होता है। इसके साथ ही स्वाभाविकहै कि बेहतर इंसुलिन संवेदनशीलता ब्लड शुगर के रेगुलेशन में बेहतर तरीके से काम करती है। इसके साथ ही यह भी बताया गया कि इसके सेवन से डायबिटीज़ रोगियों में ब्लड शुगर का स्तर तेज़ी से कम होता है, जो डायबिटीज़ के रोकथाम के लिए एक महत्वपूर्ण पहलू है ।