मिसेज चटर्जी वर्सेज नॉर्वे इन दिनों दर्शकों को खूब पसंद आ रही है। इसमें नॉर्वे में मिसेज चटर्जी पर जो आरोप लगाए गए उनमें से एक था बच्चों काे हाथ से खाना खिलाना। भारतीय संस्कृति में हाथ से खाना खाने और खिलाने को सबसे अच्छा माना जाता है। आयुर्वेद में हाथ से खाना खाने और खिलाने का विवरण मिलता है।
खाना फंसने का खतरा नहीं- बच्चे का मुंह और फूड पाइप बहुत छोटे होते हैं। इसलिए हाथ से खाना खिलाने के समर्थन में यह तर्क दिया जाता है कि इससे खाना बच्चे के गले में फंसने का डर नहीं रहता है। हम बच्चे की सुविधा के मुताबिक ही उसके मुंह में खाने का निवाला डालते हैं। इस प्रकार से खाना मुंह में जमा नहीं होगा और गले में फंसने का जोखिम नहीं रहेगा।
पाचनतंत्र होगा मज़बूत- जब हम खाना बच्चे को खिलाते हैं, तो एक सीमित मात्रा में खाना बच्चे के मुंह में प्रवेश करता है। इसके चलते वो खाना जब पूरी तरह से चबाकर निगल लेता है। तभी दूसरा निवाला दिया जाता है। इससे खाना आसानी से डाइजेरूट हो जाता है। इससे बच्चा ब्लोटिंग, एसिड रिफलक्स और कब्ज जैसी समस्याओं से बचा रहता है।
होता है संतुष्टि का अहसास- बच्चा जन्म से मां के सबसे करीब रहता है। मां बच्चे के मुंह में नपे तुले ढंग से निवाला डालती है। उसकी मात्रा से लेकर गर्म या ठण्डे तक हर बात को जानकर बच्चेको खाना खिलाती है। मां के हाथ से खाना खाने से बच्चा संतुष्टि का अनुभव करता है। इससे बच्चे की भूख शांत हो जाती है और पेट भरा हुआ लगता है।