भारतीय मूल की अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स एक जीवित किंवदंती बन गई हैं। लोग उन्हें देख रहे हैं, सराह रहे हैं, उनके बारे में और जानना चाह रहे हैं। स्पेस में नौ महीने तक धैर्य और सकारात्मकता से रहने वाली सुनीता विलियम्स पूरी पृथ्वी के लिए बहुत खास हैं।
सुनीता विलियम्स अंतरिक्ष जाने वाली भारतीय मूल की दूसरी महिला हैं। इन्हें इनकी अनेकों उपलब्धियां के लिए जाना जाता है। शुरू से उनका रुझान साइंस और टेक्नोलॉजी की ओर रहा है, और समय केसाथ वे इनमें मास्टर होती गईं। विज्ञान एवं अभियांत्रिकी के क्षेत्र में उन्हें भारत द्वारा पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था। इसके अलावा भी उन्हें कई पुरस्कार एवं मैडल से सम्मानित किया गया है। सुनीता विलियम नौ महीनों के बाद स्पेस से वापस धरती पर लौटी हैं। बोइंग टेस्ट फ्लाइट के फेल होने की वजह से उन्हें 9 महीने स्पेस में बिताने पड़े। उनका 8 दिन का सफर 9 महीनो में बदल गया परंतु फिर भी उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और वहां डटी रहीं। उनकी साहस और हिम्मत हम सभी को जीवन के कठिन समय में डटे रहने के लिए प्रेरित करती है। इसके अलावा भी सुनीता विलियम की कई ऐसी खास बातें हैं, जिनसे हम सभी को सीखना चाहिए।
सुनीता विलियम ने स्पेस में भी अपने फिटनेस को नजरअंदाज नहीं किया! उन्होंने वहां भी जरूरी शारीरिक गतिविधियों में भाग लेकर खुद को फिट रखने की कोशिश की, ताकि हेल्दी रूप से सर्वाइव कियाजा सके। स्पेस स्टेशन में जरूरी फिटनेस इक्विपमेंट उपलब्ध होते हैं, जहां आप एक्सरसाइज कर सकते हैं। 59 की उम्र में भी उन्होंने स्पेस में 9 महीने गुजरें और वापस आने के बाद भी फिट नजर आईं।
सुनीता विलियम ने शुरुआत से ही साइंस के प्रति अपना झुकाव दिखाते हुए अलग-अलग यूनिवर्सिटी और कॉलेज से उपलब्धियां प्राप्त करने के बाद नेवी ऑफिसर बनी और वहां वे नेवल एविएटर भी रही हैं।पायलट के बाद वे एस्ट्रोनॉट बनी और उन्हें 9 एक्सपीरियंस्ड स्पेस वॉकर में से एक माना जाता है। सुनीता की जर्नी बताती है कि आपको एक उपलब्धि के बाद रुकने की आवश्यकता नहीं है। यदि आपका मन है कि आपको कुछ और करना चाहिए या आपको अपने करियर में बदलाव लाना है, तो बेझिझक इस बारे में सोचें।
स्पेस में लगातार 9 महीनों तक फंसे रहने के बाद भी सुनीता विलियम्स ने हार नहीं मानी और वहां डटी रहीं। इस मुश्किल चुनौती को पूरे साहस के साथ पार करके वापस धरती पर लौटना हम सभी के लिएएक मिसाल है और हमें उनसे ये सिख लेनी चाहिए। अक्सर हम छोटी-मोटी परेशानी में घबरा जाते हैं, परंतु यह सोचे कि जहां चाह है वहां राह जरूर निकल आती है।
सुनीता विलियम ने बिना रुके अलग-अलग फील्ड में उपलब्धियां प्राप्त की। वहीं एक मुकाम पर पहुंचने के बाद भी नई चीजों को सीखने में समय दिया, फिर पायलट से एस्ट्रोनॉट बनीं। यह बताता है कियदि रुचि हो तो उम्र को बीच में न आने दें, नई स्किल्स सीखें या फिर किसी भी नए फील्ड में ज्ञान अर्जित करें। ज्ञान कभी व्यर्थ नहीं जाता, इस बात को हमेशा याद रखें, जरूरी नहीं की हर पढ़ाई और हर तरह का ज्ञान आपकी कमाई का स्रोत बने। कई बार अपनी रुचि के लिए भी ज्ञान अर्जित किया जा सकता है।
सुनीता विलियम ने मुश्किल समय में सकारात्मक दृष्टिकोण रखा, जिसकी वजह से वे आज धरती पर वापस लौट आईं। यदि आप कठिनाइयों में फंस कर नाकारात्मक सोच और विचारों से घिर जाती हैं, तो इस बीचआपके लिए समस्या से निकल पाना अधिक कठिन हो जाता है। इसलिए कहा जाता है, सकारात्मक सोच हमेशा सकारात्मक दरवाजे खोलती है, नकारात्मक सोच हमेशा नकारात्मकता को आकर्षित करता है।