Lighthouse Parenting: क्या आप लाइटहाउस पेरेंटिंग के बारे में जानते हैं, जो बच्चों की ओवरऑल ग्रोथ में मददगार हो सकती है

लाइटहाउस पेरेंटिंग बच्चे की परवरिश की एक ऐसी तकनीक है जिसमें माता-पिता एक मार्गदर्शक का रोल अदा करते हैं। खासतौर पर इस बात पर ध्यान दिया जाता है कि बच्चों की परवरिश के दौरान किस तरह की सीमाएं निर्धारित करें।
Light house parenting kya hai
माता पिता की ज़िम्मेदारी केवल बच्चे की ज़रूरतों को पूरा करना नहीं हैं, बल्कि उससे कुछ देर बातचीत करना भी है। चित्र: शटरस्‍टॉक
Published On: 23 Dec 2024, 08:00 am IST
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बच्चे की पवरिश के लिए प्यार, मोटिवेशन और बातचीत कर खास महत्व है, ताकि बच्चे माता पिता के करीब बने रहें। हांलाकि एक वो दौर था जब बच्चे की परवरिश के लिए डांट और फटकार को ज़रूरी औज़ार समझा जाता था। मगर समय के साथ आते बदलाव ने पेरेंटिंग स्टाइल को पूरी तरह से बदल कर रख दिया है। अब माता पिता जहां बच्चे को समझने लगे हैं, तो वहीं उसकी छोटी बड़ी हर समस्या पर उनका ध्यान टिका रहता है। समय के साथ आन वाले बदलाव से रिश्तों में सुतुलन बढ़ने लगा है। पेरेंटिंग के इस स्टाइल को लाइटहाउस पेरेंटिंग कहा जाता है। आइए सबसे पहले जानते हैं कि लाइटहाउस पेरेंटिंग (lighthouse parenting ) क्या है और बच्चे की परवरिश में इसकी क्या भूमिका है।

सबसे पहले जानते हैं लाइटहाउस पेरेंटिंग क्या हैं (lighthouse parenting)

लाइटहाउस पेरेंटिंग )lighthouse parenting) बच्चे की परवरिश की एक ऐसी तकनीक है जिसमें माता-पिता एक मार्गदर्शक का रोल अदा करते हैं। खासतौर पर इस बात पर ध्यान दिया जाता है कि बच्चों की परवरिश के दौरान उनको कितना प्यार दें तथा उनके ऊपर किस तरह की सीमाएं निर्धारित करें।

इस बारे में मनोचिकित्सक डॉ युवराज पंत बताते हैं कि इस तरह की पेरेंटिंग में माता-पिता और बच्चे के बीच एक हेल्दी रिलेशनशिप बना रहता है। इसके तहत माता पिता बच्चे की समस्याओं को समझते हुए उसका पूरा साथ देते हैं और भविष्य के लिए बेहतरीन योजना बनाते हैं। पेरेंटस बच्चे के साथ अपने रिश्ते को संतुलित बनाए रखते है और छोटी छोटी बातों पर आनाकानी करने से भी बचने लगते है।

Positive parenting ke liye kin tips ko follow karein
हेल्दी एनवायरमेंट मिलने से बच्चा पेरेंटस के करीब आने लगता है और उसमें कॉन्फीडेंस बिल्ड हो जाता है।। चित्र : अडोबी स्टॉक

लाइटहाउस पेरेंटिंग के 7 टिप्स जो आपके बच्चे की ओवरऑल ग्रोथ में मदद करेंगे (lighthouse parenting tips for child growth)

1. बच्चों को स्वयं के निर्णय लेने के लिए प्रोत्साहित करें

बच्चे के हर फैसले में आनाकानी करना और उसे गलत ठहराना उसके अंदर डर और नकारात्मकता को बढ़ा देता है। ऐसे में बच्चे को अपन फैसले खुद लेने के लिए प्रोरित करें। साथ ही उसके लिए फैसले को प्रमुखता दें। अगर आप कुछ बदलाव चाहते हैं, तो बच्चे को समझाने का प्रयास करें। इससे बच्चा समस्या को हल करने के लिए हर पल तैयार रहते हैं।

2. बातचीत करने के लिए प्रेरित करें

माता पिता की ज़िम्मेदारी केवल बच्चे की ज़रूरतों को पूरा करना नहीं हैं, बल्कि उससे कुछ देर बातचीत करना भी है। इससे बच्चा अपने विचारों को आसानी से प्रकट कर सकता है। साथ ही बच्चे में आत्मविश्वास की भी भावना बढ़ने लगती है। अगर बच्चें को हर जगह गलत ठहराया जाता है, तो इससे रिलेशनशिप में दूरी बढ़ने लगती है। बच्चे बात करने से कतराने लगते है और अपनी बात खुलकर करने में परहेज़ करते हैं।

3.बच्चों के विचारों को सम्मान दें

बच्चों के हर फैसले को सिरे से खारिज करने से बच्चा पूरी तरह से डर और सहम जाता है। ऐसे में बच्चों की बातों को ध्यान से सुनें और जीवन में आगे बढ़ने के लिए उनका मार्गदर्शन करें। अगर बच्चों के फैसलें सही हैं, तो उससे सहमति भी जताएं। इससे बच्चे के रोज़मर्रा के जीवन में आने वाली दुविधाओं से राहत मिल जाती है और बच्चा हर क्षेत्र में आगे बढ़ने लगता है।

Bacchon ka kaise rakhein khayal
नकारात्मक विचारों से दूर रहने के लिए बच्चों का मानसिक रूप से मज़बूत होना आवश्यक है। चित्र : अडॉबीस्टॉक

4.बच्चों को अच्छे और बुरे दोनों के विषय में जानकारी दें

व्यक्ति के आचरण में कई तरह के बदलाव आते है और बच्चों को उसकी जानकारी दें। बच्चों को सकारात्मकता और नकारात्मकता के बारे में जानकारी दें। इससे बच्चा सही और गलत में आसानी से फर्क करके आगे बढ़ सकता है। बच्चे को किसी भी प्रकार से आपके फैसले मानने के लिए बाधित करने से भी बचें। इससे बच्चा सही का साथ नहीं दे पाता है।

5. इमोशनल सपोर्ट बनाए रखें

कभी बच्चा खुश होता है, तो कभी उदास। उसे ही पल डांटने की जगह उसकी समस्या को समझकर इमोशनली सपेर्ट करें। साथ ही समस्या को भी जांचने का प्रयास करें। इससे बच्चा आसानी से अपने मन में उठने वाले हर विचार को माता पिता से साझा करने लगता है, ताकि उसे पेरेंटस का सपोर्ट मिल सके।

6. जिम्मेदार बनाने के लिए छोटे कार्यों की ज़िम्मेदारी दें

समय के साथ बच्चे में अनुशासन बनाए रखने और उसे ज़िम्मेदार बनाने के लिए छोटे छोटे कार्यों की जिम्मेदारी देना आरंभ करें। इससे बच्चे में आत्मविश्वास बढ़ता है। साथ ही वो अपने कर्त्तव्यों से वाकिफ होने लगता है। इसके अलावा बच्चा माता पिता के संपर्क में बना रहता है। बच्चे की मेंटल और सोशल ग्रोथ के लिए ये बेहद आवश्यक है।

Parents bacchon ki care kaise karein
बच्चे के साथ वक्त गुज़ारने से माता पिता न केवल उसके करीब आ पाते हैं बल्कि उसकी उत्सुकताओं का समाधान करते हैं। चित्र : अडॉबीस्टॉक

7. बच्चों पर भरोसा जताएं

किसी बात को लेकर बच्चे पर शक करने की जगह उसे पास बैठाकर बातचीत करें। बच्चे पर अपना भरोसा बनाए रखें। डांट डपट करने की जगह उस पर नज़र बनाएं रखें और उसे कमियों व गलतियों की समय समय पर जानकारी दें। इससे बच्चे के विकास में मदद मिलती है।

इन बातों का भी ख्याल रखें

  • बच्चों को अन्य लोगों के सामने डांटने से बचें। इससे बच्चा खुद को अकेला और दूसरे बच्चों से कम आंकने लगता है।
  • बातचीत के दौरान अपनी भाषा पर ध्यान दें। शब्दों के उच्चारण और उसका इस्तेमाल बच्चा आसानी से कॉपी करने लगता है।
  • गलती के लिए बच्चो ंको सख्त सज़ा देने से बचें। उन्हें गलती समझाकर उसका सॉल्यूशन निकालने पर विश्वास रखें।
  • अपने बच्चों के साथ क्वालिटी टाइम बिताएं। इससे बच्चा पेरेंटस के करीब आने लगता है।

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लेखक के बारे में
ज्योति सोही
ज्योति सोही

लंबे समय तक प्रिंट और टीवी के लिए काम कर चुकी ज्योति सोही अब डिजिटल कंटेंट राइटिंग में सक्रिय हैं। ब्यूटी, फूड्स, वेलनेस और रिलेशनशिप उनके पसंदीदा ज़ोनर हैं।

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