बारिश के मौसम में पेट, स्किन और गले का संक्रमण बढ़ जाता है। इसके पीछे कमजोर रोग प्रतिरोधक क्षमता है। इम्यून सिस्टम कमजोर होने पर बार-बार छींक आती है। गले में दर्द रहता है। इसका साफ़ मतलब है कि आपको गले में संक्रमण है। गले में संक्रमण तभी ठीक होगा, जब इम्यून सिस्टम मजबूत होगा। बरसात के मौसम में आयुर्वेद इम्युनिटी बूस्टर के तौर पर सदियों से अदरक मुलेठी चाय का प्रयोग करता आया है। इस चाय में मौजूद दो प्रमुख अवयव अदरक और मुलेठी के फायदे के बारे में जानने से पहले आइये जानते हैं कि यह गरमागर्म चाय तैयार कैसे (ginger mulethi tea for immunity booster) होती है?
जिन मसालों का उपयोग हम अपनी सब्जियों को स्वादिष्ट बनाने के लिए करते हैं, वे वास्तव में हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूती प्रदान करने का भी काम कर सकते हैं। बहुत से आयुर्वेदिक प्राकृतिक उपचारों में इन मसालों का संयोजन शामिल होता है। अदरक और मुलेठी की चाय गले की खराश और संक्रमण दोनों को दूर करने में मदद करते हैं।
½ इंच अदरक का टुकड़ा
1 चम्मच मुलेठी पाउडर या आधा इंच मुलेठी का टुकड़ा
एक चौथाई टी स्पून काली मिर्च पाउडर
2 कप पानी
यदि ब्लड शुगर नहीं है, तो चाय तैयार होने के बाद आधा टी स्पून शहद भी मिला सकती हैं।
एक बर्तन में पानी, अदरक, मुलेठी, काली मिर्च पाउडर डाल लें।
लो फ्लेम पर उबाल आने दें। उबलने के बाद छान लें। शहद मिलाएं और गरम-गरम पी लें।
इसे दिन में दो-तीन बार भी ले सकती हैं।
अदरक और मुलेठी केवल स्वाद बढ़ाने के लिए नहीं हैं। ये दो ऐसे मसाले हैं, जिनका उपयोग कई अलग-अलग तरह की हर्बल चाय को तैयार करने में किया जाता है। अदरक में शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं, जो न केवल सर्दी और फ्लू के खतरे को टालते हैं, बल्कि लक्षणों को प्रबंधित करने में भी मदद करते हैं। इसके सक्रिय घटक “जिंजरॉल में एनाल्जेसिक, एंटी बैक्टीरियल और संक्रमण के कारण हुए बुखार को कम करने का गुण मौजूद होता है। इसमें मौजूद एक अन्य घटक जिंजरोन भी एंटीऑक्सीडेंट गुणों वाला होता है।
अदरक से तैयार तेल (Ginger Active Volatile Oil) में एनएसएआईडी (नॉन स्टेरायडल एंटी इन्फ्लेमेट्री दवाओं) के समान एंटी इन्फ्लेमेट्री गुण होते हैं। यह संक्रमण के कारण हुए गले में खराश और सर्दी को दूर करने में मदद करता है। यदि पाइल्स के मरीज हैं, तो अदरक का सेवन सीमित मात्रा में करें। गर्म होने के कारण अदरक आँतों के स्वास्थ्य के लिए नुकसानदेह हो सकता है।
मुलेठी में एंटीऑक्सिडेंट गुण होते हैं। यह प्रतिरक्षा प्रणाली पर भी असर डालती है। एंटीओक्सिडेंट गुण कोशिकाओं की समय से पहले उम्र बढ़ने से बचाव करती है। यह गले के संक्रमण को दूर करने और सूजन को कम करने में मदद करती है। मुलेठी में विटामिन बी1, विटामिन बी2, विटामिन बी3, विटामिन बी5, विटामिन ई और विटामिन सी भी मौजूद होते हैं। यह प्रतिरक्षा तंत्र को मजबूती देकर कई रोगों से बचाव करती है।
इसमें पेक्टिन, स्टार्च, रेजिन और गोंद भी होते हैं। जड़ों में मुख्य घटक ग्लाइसीराइज़िन होता है। यह एक ट्राइटरपेनॉइड सैपोनिन है, जो सुक्रोज से 50 गुना अधिक मीठा होता है। लीवर को स्वस्थ और बीमारियों से मुक्त रखने के लिए मुलेठी की जड़ एक प्रभावी विकल्प मानी जाती है। काली मुलेठी का सेवन 57 ग्राम या उससे अधिक नहीं करना चाहिए। मध्यम मात्रा में ली गयी काली मुलेठी रोजाना खाने पर नकारात्मक शारीरिक प्रभाव पड़ सकता है। खासकर यदि उम्र 40 वर्ष से अधिक हो गयी है या किसी प्रकार का हृदय रोग या हाई ब्लड प्रेशर का इतिहास रहा है।
यह भी पढ़ें ;-हाजमे और गैस के लिए किसी भी दवा से ज्यादा फायदेमंद है हींग की गोली, यकीन न हो तो इसे पढ़ें