इन दिनों मौसम में बहुत तेज़ी से बदलाव हो रहे हैं। सुबह वातावरण में ठंडक होती है, तो दोपहर में गर्मी का एहसास होता है। वहीं शाम में फिर थोडी ठंडक का एहसास होने लगता है। सर्दी गर्मी एक साथ महसूस होने के कारण हम कपडे पहनने में भी लापरवाही बरत लेते हैं। मौसम में बदलाव होते रहने से सबसे अधिक असर हमारे शरीर पर ही पड़ता है। इसे बड़ों और बच्चों को भी सर्दी-जुकाम की समस्या ही जाती है। मां कहती है कि यदि मौसम में बदलाव होने के कारण सर्दी-जुकाम होती है, तो हमारे रसोई की सामग्री ही डॉक्टर की भूमिका निभा सकते हैं। हमारी रसोई में कई ऐसी सामग्रियां मौजूद हैं, जो सर्दी जुकाम को ठीक करने में मददगार (Home remedies for cold and cough) है।
फार्मेग्नोसी रिसर्च में प्रकाशित पल्लवी क्वात्रा और आर. राजगोपालन के शोध आलेख के अनुसार, दालचीनी में मैंगनीज, मैग्नीशियम, फॉस्फोरस, आयरन, कैल्शियम, जिंक, कॉपर, पाए जाते हैं। इनके अलावा, नियासिन, थियामिन और लाइकोपीन जैसे पोषक तत्व कफ को खत्म कर इम्युनिटी बूस्ट करते हैं। दालचीनी के एंटी इन्फ्लामेटरी और एंटी बैकटीरिअल गुण जुकाम से राहत दिलाते हैं।
वहीं नींबू में पोटैशियम, आयरन, सोडियम, मैगनेशियम, फॉस्फोरस जैसे मिनरल्स पाए जाते हैं। इनके अलावा, विटामिन सी, विटामिन बी-कॉम्प्लेक्स, साइट्रिक एसिड, फ्लेवोनोइड्स जैसे तत्व भी पाए जाते हैं। ये इम्यून सिस्टम को मजबूत करते हैं।
कैसे करें प्रयोग
2 कप पानी में दालचीनी को उबाल लें।
आंच धीमी रखें। लगभग 10 मिनट तक इसे उबालें।
जब यह पीने लायक गुनगुना हो जाए, तो उसमें नींबू निचोड़ दें।
नियमित रूप से दिन में दो बार पीने से राहत मिलती है।
मौसम बदलने पर कोल्ड कफ बढ़ने के साथ-साथ अस्थमा की भी शिकायत सामान्य है। यी झियांग और भूपिंदर हुनजन की स्टडी रिपोर्ट पबमेड सेंट्रल में भी प्रकाशित है। इसके अनुसार, अस्थमा के लक्षणों का स्व-उपचार करने के लिए वैकल्पिक उपचारों का भी खूब प्रयोग होता है। अस्थमा के लगभग 40% रोगी इसके लक्षणों को प्रबंधित करने के लिए हर्बल उपचारों का उपयोग करते हैं। इनमें सबसे अधिक प्रयोग अदरक की चाय का किया जाता है। काफी हद तक इससे आराम भी मिलता है।एंटी इन्फ्लामेट्री अदरक में आयरन, कैल्शियम, पोटैशियम, विटामिन ए, विटामिन डी, विटामिन बी 6 और जिंक भी मौजूद होते हैं।
कैसे करें प्रयोग
2 कप पानी को माध्यम आंच पर रखें।
इसमें 1 इंच अदरक के टुकड़े को छोटा काटकर डाल दें।
जब यह उबल जाए, तो इसमें 1 टी स्पून हनी ऐड कर सकती हैं।
इसे सिप कर पीयें।
इरान के शेफा न्यूरोसाइंस रिसर्च सेंटर की साइंटिस्ट लीला बयन की स्टडी बताती है कि लहसुन थेरापयूटिक प्रॉपर्टी वाली सामग्री है। गले में कंजेशन, कोल्ड, कफ, फीवर को दूर करने में लहसुन की चाय पीयी जा सकती है। एंटी-ऑक्सीडेंट और एंटी-इंफ्लेमेट्री गुणों वाला लहसुन रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढाता है। इसमें मौजूद सेलेनियम, मैग्नीज इसे कफ के लिए कारगर बनाता है।
कैसे करें प्रयोग
लहसुन को छील लें।
इसके हाफ टेबलस्पून रस को निकालकर हलके गुनगुने पानी में डालकर पीयें।
2 कप पानी में 1 ती स्पून लहसुन की कलियाँ काट कर डालें।
लो फ्लेम पर 5 मिनट तक उबालें।
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कस्टमाइज़ करेंपानी को छानकर पीयें।
यदि अधिक कडवी लगे, तो 1 टी स्पून हनी मिलाकर भी पी सकती हैं। नियमित प्रयोग से सर्दी जुकाम में राहत मिल सकती है।
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